Prabhasakshi Exclusive: China ने अपनी सेना में भर्ती के नियमों में क्या बदलाव किये हैं? आखिर चाहता क्या है ड्रैगन?

चीन ने युद्धकाल में सैन्य भर्ती के लिए संशोधित नियमों का एक नया ‘सेट’ जारी किया है, जिसमें पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता देना, अधिक क्षमता वाले सैनिकों को नियुक्त करना, अनिवार्य सैन्य सेवा का मानकीकरण करना आदि शामिल हैं।
प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी से जानना चाहा कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच चीन ने सैन्य भर्ती के लिए जो नये नियम जारी किये हैं उसका असल मकसद क्या है? साथ ही हम यह भी जानना चाहते हैं कि चीनी राष्ट्रपति ने अपने हालिया भाषण में समुद्री अधिकारों की रक्षा पर जोर क्यों दिया है? हम यह भी जानना चाहते हैं कि क्या ताइवान के साथ जिस तरह के तनाव चल रहे हैं उसको देखते हुए दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावनाएं हैं? साथ ही चीन ने इजराइल और फिलस्तीन के बीच शांति वार्ता कराने का प्रस्ताव दिया है। इसे कैसे देखते हैं आप?
इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चीन ने युद्धकाल में सैन्य भर्ती के लिए संशोधित नियमों का एक नया ‘सेट’ जारी किया है, जिसमें पूर्व सैनिकों को प्राथमिकता देना, अधिक क्षमता वाले सैनिकों को नियुक्त करना, अनिवार्य सैन्य सेवा का मानकीकरण करना आदि शामिल हैं। उसके इस कदम को ताइवान के साथ युद्ध की तैयारियों के तौर पर देखा जा रहा है। सैन्य भर्ती से जुड़े संशोधित नियमों को स्टेट काउंसिल और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) ने जारी किया है। सीएमसी चीन की सेना का शीर्ष निकाय है, जिसके अध्यक्ष राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं। उन्होंने कहा कि सीएमसी का लक्ष्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती प्रदान करने के लिए संस्थागत गारंटी मुहैया करना और मजबूत सशस्त्र बल बनाना है। 11 अध्यायों में 74 अनुच्छेद वाले नये नियमों में अधिक क्षमता वाले सैनिकों की भर्ती पर जोर देना, अनिवार्य सैन्य भर्ती का मानकीकरण करना और प्रणाली की क्षमता को बढ़ाना है। नये नियम अगले महीने से प्रभावी होंगे।
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ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी ने कहा कि नियमों में कहा गया है कि भर्ती प्रक्रिया में युद्ध की तैयारी को ध्यान में रखा जाए और अधिक क्षमता वाले रंगरुटों को शामिल कर सेना की क्षमता बढ़ानी चाहिए। पहली बार, युद्धकाल में भर्ती पर एक अलग अध्याय नियमों में शामिल किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि पूर्व सैनिकों को भर्ती में प्राथमिकता दी जाएगी और उन्हें उनकी मूल इकाइयों या समान पदों पर नियुक्त किये जाने की संभावना है। बताया जा रहा है कि जिन नागरिकों को युद्धकाल के दौरान भर्ती का नोटिस मिला है उन्हें अपना नाम दर्ज कराने के लिए समय पर निर्दिष्ट स्थान पर अवश्य जाना चाहिए, अन्यथा उन्हें दंड का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, दक्षिण चीन सागर सहित कई मोर्चों पर और विशेष रूप से ताइवान जलडमरुमध्य में चीन के भू-राजनीतिक तनावों का सामना करने के मद्देनजर नये नियम जारी किये गये हैं। साथ ही राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पीएलए के दक्षिणी सैन्य कमान के दौरे पर सेना के प्रशिक्षण को मजबूत करने और सभी मोर्चों पर सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के स्तर को बढ़ावा देने के उपायों में तेजी लाने पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि जहां तक चीनी राष्ट्रपति के भाषण की बात है तो ताइवान और दक्षिण चीन सागर को लेकर बढ़ते तनाव के बीच जिनपिंग ने सेना से देश की संप्रभुता और समुद्री अधिकारों तथा हितों की दृढ़ता से रक्षा करने एवं आसपास के क्षेत्रों की समग्र स्थिरता बनाए रखने का प्रयास करने को कहा है। शी चीनी सेना के उच्च कमान ‘केंद्रीय सैन्य आयोग’ के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने दक्षिणी थिएटर कमांड में सैनिकों का निरीक्षण करने के बाद प्रशिक्षण को मजबूत करने और सभी मोर्चों पर सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के स्तर को बढ़ावा देने के उपायों में तेजी लाने पर जोर दिया। उन्होंने सशस्त्र बलों से सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और लोगों द्वारा सौंपे गए कर्तव्यों को दृढ़ता से पूरा करने का आह्वान किया। दक्षिणी थिएटर कमांड के नौसेना मुख्यालय में शी ने कहा कि सशस्त्र बलों को राजनीतिक दृष्टिकोण से सैन्य मुद्दों का विश्लेषण और समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जटिल परिस्थितियों में समय पर और उचित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने की क्षमता को बढ़ाना चाहिए।
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी ने कहा कि इसके अलावा, जहां तक चीनी शांति प्रस्ताव की बात है तो चीन के विदेश मंत्री ने इज़राइल और फलस्तीन के अपने समकक्षों से कहा है कि उनका देश क्षेत्र में मध्यस्थता के ताजा प्रयासों के तहत दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता में मदद करने को तैयार है। चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, चीन के विदेश मंत्री छिन कांग ने इज़राइल और फिलस्तीन के अधिकारियों को सोमवार को फोन किया और दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बीजिंग की चिंता जाहिर की। बयान के मुताबिक, किन ने शांति वार्ता की बहाली के लिए समर्थन भी व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि चीन ने सऊदी अरब और ईरान के 2016 से ठप पड़े राजनयिक संबंधों को बहाल करने में मदद की थी। यह चीन की कूटनीति का एक नाटकीय क्षण था, जिसके जरिये उसने पश्चिम एशिया में एक राजनयिक खिलाड़ी के तौर पर अपनी क्षमताओं को दर्शाया था। कांग ने इज़राइल के विदेश मंत्री एली कोहेन के साथ अपनी बातचीत में जोर देकर कहा कि सऊदी अरब और ईरान ने बातचीत के जरिये मतभेदों को दूर करने का एक अच्छा उदाहरण पेश किया है। उन्होंने कोहेन से कहा कि चीन इज़राइलियों और फलस्तीनियों को राजनीतिक इच्छा शक्ति दिखाने और शांति वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए कदम उठाने के वास्ते प्रोत्साहित करता है।
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