NSA अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग के बीच मुलाकात, लद्दाख गतिरोध और यूक्रेन संकट को लेकर चर्चा
चीन के विदेश मंत्री राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मिलने पहुंचे।पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब दो साल से गतिरोध के कारण व्याप्त तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी उच्च स्तरीय यात्रा पर बृहस्पतिवार की शाम भारत आए। चीन के विदेश मंत्री सुबह करीब 10 बजे डोभाल के कार्यालय पहुंचे।
नयी दिल्ली। भारत आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के कार्यालय पहुंचे। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों के बीच पूर्वी लद्दाख गतिरोध और यूक्रेन संकट के भू-राजनीतिक प्रभावों पर चर्चा हुई। बैठक के संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। पूर्वी लद्दाख में पिछले करीब दो साल से गतिरोध के कारण व्याप्त तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्री वांग यी उच्च स्तरीय यात्रा पर बृहस्पतिवार की शाम भारत आए। चीन के विदेश मंत्री सुबह करीब 10 बजे डोभाल के कार्यालय पहुंचे। डोभाल के बाद वांग अपने भारतीय समकक्ष एस. जयशंकर से मुलाकात करेंगे।
दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के ऑफिस साउथ ब्लॉक पहुंचे। pic.twitter.com/IOMsnvwjGQ
— ANI_HindiNews (@AHindinews) March 25, 2022
इसे भी पढ़ें: पुष्कर सिंह धामी के शपथ ग्रहण में शामिल हुईं वसुंधरा राजे, क्या हैं इसके सियासी मायने?
समझा जाता है कि वांग और डोभाल के बीच बैठक में सीमा मुद्दे पर व्यापक चर्चा हुई।वांग और डोभाल दोनों देशों के बीच सीमा वार्ता के लिए विशेष प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। डोभाल और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने को लेकर जुलाई 2020 में फोन पर लंबी बातचीत की थी।
इसे भी पढ़ें: शराब सिंडिकेट की मददगार है हिमाचल सरकार , हिमाचल आप
भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध का हल निकालने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता भी कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने बातचीत के बाद कुछ स्थानों से अपने सैनिक वापस भी बुलाए हैं। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई थी। हालांकि, वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल पाया था। गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद के बाद, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को हिंसक संघर्ष से तनाव बढ़ गया था। इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे। दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी तैनाती बढ़ाई है। वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों ओर में से प्रत्येक हिस्से में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
अन्य न्यूज़