किसान संगठन ने समिति के सदस्यों को बताया सरकार समर्थक, बोले- उसके समक्ष नहीं होंगे पेश
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के सदस्य विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे लिखते रहे हैं कि कृषि कानून किसानों के हित में है।
नयी दिल्ली। नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों ने गतिरोध तोड़ने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति को मंगलवार को मान्यता नहीं दी और कहा कि वे समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे और अपना आंदोलन जारी रखेंगे। सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने दावा किया कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित समिति के सदस्य ‘‘सरकार समर्थक’’ हैं। उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले अगले आदेश तक विवादास्पद कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी और केंद्र तथा दिल्ली की सीमाओं पर कानून को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों के बीच जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया।
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किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित समिति के सदस्य विश्वसनीय नहीं हैं क्योंकि वे लिखते रहे हैं कि कृषि कानून किसानों के हित में है। हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे।’’ किसान नेता ने कहा कि संगठनों ने कभी मांग नहीं की कि उच्चतम न्यायालय कानून पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करे और आरोप लगाया कि इसके पीछे केंद्र सरकार का हाथ है। उन्होंने कहा, ‘‘हम सिद्धांत तौर पर समिति के खिलाफ हैं। प्रदर्शन से ध्यान भटकाने के लिए यह सरकार का तरीका है।’’
किसान नेताओं ने कहा कि उच्चतम न्यायालय स्वत: संज्ञान लेकर कृषि कानूनों को वापस ले सकता है। एक अन्य किसान नेता दर्शन सिंह ने कहा कि वे किसी समिति के समक्ष पेश नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि संसद को मुद्दे पर चर्चा करनी चाहिए और इसका समाधान करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई बाहरी समिति नहीं चाहते हैं।’’
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बहरहाल, किसान नेताओं ने कहा कि वे 15 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली बैठक में शामिल होंगे। उच्चतम न्यायालय की तरफ से बनाई गई चार सदस्यों की समिति में बीकेयू के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, शेतकारी संगठन(महाराष्ट्र) के अध्यक्ष अनिल घनावत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान दक्षिण एशिया के निदेशक प्रमोद कुमार जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी शामिल हैं। हरियाणा और पंजाब सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान पिछले वर्ष 28 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं और तीनों कानूनों को वापस लेने तथा अपनी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गारंटी की मांग कर रहे हैं।
We had said yesterday itself that we won't appear before any such committee. Our agitation will go on as usual. All the members of this Committee are pro-govt and had been justifying the laws of the Government: Balbir Singh Rajewal, Bhartiya Kisan Union (R) https://t.co/KE9vMGUKjl pic.twitter.com/n2FFh5oj9k
— ANI (@ANI) January 12, 2021
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