Prabhasakshi Newsroom। पांच राज्यों में मिली हार के बाद भी नहीं बदली कांग्रेस, सोनिया ने चलाया 'ब्रह्मास्त्र'
सीडब्ल्यूसी की बैठक में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कहा कि हम पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं। जिसके बाद सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए उनसे अनुरोध किया कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। जिसके बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी समेत तमाम नेताओं ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में हार के कारणों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान सोनिया गांधी ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए अपने परिवार को पार्टी से अलग करने की पेशकश की। जिसकी वजह से नेतृत्व को मजबूत करने के उठ रही मांगें फीकी पड़ गईं।
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सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि हम पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं। जिसके बाद सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए उनसे अनुरोध किया कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें।
4 घंटे तक चली बैठक
सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए सोनिया गांधी जरूरी बदलाव करें और सुधारात्मक कदम उठाएं। बैठक में फैसला किया गया कि संसद के बजट सत्र के समाप्त होने के तुरंत बाद एक चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमें पार्टी का आगामी भविष्य तय होगा और विस्तृत रणनीति बनेगी।
पद छोड़ने को तैयार है गांधी परिवार
सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि अगर उनके परिवार के हटने से पार्टी मजबूत होती है तो वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस छोड़ने के लिए तैयार हैं। सोनिया गांधी के पद छोड़ने की महज बातों से ही बैठक में सन्नाटा पसर लगा और जी-23 समूह में शामिल गुलाम नबी आजाद ने 'ना, ना' करने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। जिसके बाद फैसला हुआ कि संगठनात्मक चुनाव होने तक सोनिया गांधी पद पर बनी रहेंगी।
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सूत्रों ने बताया कि सीडब्ल्यूसी की बैठक में शामिल जी-23 के कुछ नेताओं ने कहा कि वे पार्टी को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाने की मांग करते आ रहे हैं, लेकिन कुछ नेताओं ने उनका अपमान किया है, जो अब बंद होना चाहिए। जी-23 के तीन नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक सीडब्ल्यूसी में शामिल हैं।
वहीं पंजाब चुनाव में हुए नुकसान के लिए पार्टी प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने नेतृत्व परिवर्तन में विलंब और आंतरिक कलह को जिम्मेदार बताया। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
आपको बता दें कि कांग्रेस भविष्य में होने वाले 2022 और 2023 के विधानसभा चुनावों एवं 2024 के लोकसभा व राज्यों के चुनाव की चुनौतियों से मुस्तैदी से निपटने के लिए तत्परता से हर तैयारी करेगी।
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