असम में खोई जमीन वापस पाने के प्रयास में कांग्रेस, विधानसभा चुनाव के लिए चलाया जा रहा छत्तीसगढ़ मॉडल

Congress
अभिनय आकाश । Feb 24 2021 4:55PM

असम में अपना खोया किला वापस जीतने के लिए कांग्रेस जमीनी स्तर पर संगठन को धार देने की कवायद में लगी है। असम से जुड़े मुद्दो को लेकर भी वो लगातार लोगों के बीच जा रही है। इसके अलावा बूथों को अंतिम दौर में मुस्तैदी देने के भी प्रयास जारी है।

आगामी विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा भले ही पश्चिम बंगाल की हो रही हो लेकिन इससे सटे उत्तर पूर्व का असम भी चुनावी दृष्टि से बेहद ही महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यहां बीजेपी की कड़ी टक्कर कांग्रेस से है औऱ कांग्रेस ने इस लड़ाई को जीतने के लिए मुस्लिम समाज की राजनीति के बड़े चेहरे बदरुद्दीन अजमल को अपने साथ जोड़ लिया है। असम में अपना खोया किला वापस जीतने के लिए कांग्रेस जमीनी स्तर पर संगठन को धार देने की कवायद में लगी है। असम से जुड़े मुद्दो को लेकर भी वो लगातार लोगों के बीच जा रही है। इसके अलावा बूथों को अंतिम दौर में मुस्तैदी देने के भी प्रयास जारी है।

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छत्तीसगढ़ की तर्ज पर चलाया जा रहा ये मॉडल

छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को असम का आर्ब्जवर बनाया गया है। जिसके बाद से ही वो बेहद ही आक्रामक तरीके से प्रचार कार्यक्रम और प्रबंधन के काम को अंजाम दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि राज्य की सभी 126 विधानसभा सीटों के हर बूथ पर पूरे दिन ट्रेनिंग कार्यक्रम चल रहा है। यह ट्रेनिंग हर बूथ में मौजूद पांच से छह बूथ सदस्यों के लिए चलाया जा रहा है। 

तरुण गोगोई से कितना फायदा?

पिछले चुनाव में बीजेपी ने असम में जीत दर्ज कर सभी को चौंका दिया। कांग्रेस की हार के लिए उस समय के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को जिम्मेदार माना गया जो सीएम के रुप में हैट्रिक लगा चुके थे। 2016 के चुनाव में भी ही उन्होंने सीएम का चेहरा बनने की जिद नहीं छोड़ी तो हेमंत बिस्वा शर्मा ने पार्टी छोड़ दी थी। पिछले वर्ष तरुण गोगोई की मौत हो गई। भले ही उनके नेतृत्व में कांग्रेस पिछला चुनाव हार गई हो लेकिन राज्य में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। 

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सीटों का गणित

असम विधानसभा में 126 सीटें हैं और असम में वापस सत्ता को हासिल करने के इरादे से कांग्रेस ने एआईयूडीएफ, भाकपा, माकपा, भाकपा (माले) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ गठबंधन किया है। 2016 के विस चुनाव में बीजेपी ने 89 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें उसे 60 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस 122 सीटों पर लड़कर 26 सीटें ही जीतने में कामयाब हो पाई थी। वहीं एजीपी 30 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और 14 सीटें जीतने में सफल हुई थी। बदरुद्दीन अजमल ने 74 सीटों पर लड़कर 13 सीटें जीती थी और वाम दलों का खाता भी नहीं खुला था। 

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