सुदर्शन टीवी मामले में सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं दो कांग्रेस नेताओं की पत्नियां, 4 टॉप न्यूज एकंर पर लगाया ये आरोप

sudhrashan tv
निधि अविनाश । Sep 25 2020 3:22PM

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा और दिवंगत प्रवक्ता राजीव त्यागी की पत्नी संगीता त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ न्यूज एंकरों और हेट स्पीच के पैडलरों को बोलने की आजादी का लाभ नहीं देने की मांग की है।

सुदर्शन टीवी मामले के खिलाफ याचिका पर सुनवाई को लेकर अब कांग्रेस के दो प्रवक्ताओं की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दर्ज कर मामले की जांच करने की मांग की है। यह दिवंगत कांग्रेस नेता राजीव त्यागी और पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नियां है। बता दें कि कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा और दिवंगत प्रवक्ता राजीव त्यागी की पत्नी संगीता त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ न्यूज एंकरों और हेट स्पीच के पैडलरों को बोलने की आजादी का लाभ नहीं देने की मांग की है। उनके मुताबिक कुछ न्यूज एंकर अपने शो के जरिए नफरत फैलाने की कोशिश करते हैं और ऐसे न्यूज चैनल को विचार अभिव्यक्ति की आजादी का लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। हाल ही में एक टीवी डिबेट में हिस्सा लेने के बाद राजीव त्यागी को दिल का दौरा पड़ गया था जिससे उनकी मौत हो गई थी। इसी को देखते हुए अब उनकी पत्नी संगीता त्यागी और पवन खेड़ा की पत्नी कोटा निलिमा ने इस मामले में हस्तक्षेप कर याचिका में 4 टॉप न्यूज एकंरों के शो पर आरोप लगया है। आरोप यह है कि इन 4 न्यूज एकंरों के शो ज्यादातर सांप्रदायिक फैलाते है और यह सत्तारूढ़ पार्टी का समर्थन करते हैं। 

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कोटा नीलिमा और संगीता त्यागी ने अधिवक्ता सुनील फर्नांडीस के माध्यम से संयुक्त रूप से एक आवेदन दिया है जिसमें उन्होंने देश के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नाजी जर्मनी से तुलना की है और इस याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई करने की मांग की है। बता दें कि कांग्रेस के दो प्रवक्ताओं की पत्नी ने अपनी याचिका के जरिए कहा है कि ये न्यूज एकंर आम तौर पर अपने चैनल पर 'अतिथियों को बुलाकर उनपर चिल्लाते है और आक्रामक हो जाते है। साथ ही अगर कोई एंकर अतिथी के विचार से सहमत नहीं होता हैं तो वह उनका माइक म्यूट कर देते है और बोलने नहीं देते है। नीलिमा और त्यागी ने कहा, "एंकर लगातार विरोध करते हैं और विपक्षी आवाज को रोकते हैं और अतिथि को म्यूट कर देते है। इस प्रकार, दर्शक अतिथि को बोलता हुआ देख सकता है, लेकिन उसे एक 'पैंटोमाइम' की तरह सुनने में असमर्थ हो जाता है। वहीं कोर्ट में एक और महिला याचिकाकर्ता, सामाजिक कार्यकर्ता मधु किश्वर ने कहा कि “स्वतंत्र भाषण, अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत स्वतंत्रता की गारंटी के अलावा, अनुच्छेद 21 के मुताबिक किश्वर ने अपने वकील रवि शर्मा के माध्यम से कहा कि  किसी भी भाषण की निंदा नहीं की जा सकती है या कानून के तहत निर्धारित कार्यवाही या प्रक्रिया के साथ 'घृणास्पद भाषण' कहा जा सकता है।

 

पांच न्यायाधीशों वाली पीठ को इस मुद्दे का संदर्भ देने का अनुरोध करते हुए, किश्वर ने कहा, कि फ्री स्पीच को तभी उचित माना जा सकता है जब इसे सार्वजनिक व्यवस्था, राज्य की सुरक्षा के हित में लागू किया जाए। या अन्य देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध हो जबकि ग्राफिक्स के टोन और टेनर और यहां तक ​​कि 'बिंदास बोल' के एपिसोड में इस्तेमाल किए गए कुछ शब्द अवांछनीय हो सकते हैं, लेकिन टीवी चैनल को बाहर करना गलत होगा।

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गौरतलब है कि सुदर्शन टीवी के 'बिंदास बोल' ने कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन किया था जिसके बाद केन्द्र सरकार ने यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी थी जिसके बाद कोर्ट ने चैनल को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस इंदू मलहोत्रा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया है कि सुदर्शन टीवी को जारी किए गए नोटिस का जवाब 28 सिंतबर तक मांगा है और अगर चैनल किसी भी कारण से नोटिस का जवाब नहीं देता है तो फिर पक्षीय निर्णय के अनुसार पैसला लिया जाएगा।

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