Delhi blast case: अदालत ने जसीर बिलाल वानी की 7 दिन हिरासत बढ़ाई, बड़ा खुलासा बाकी!

एनआईए ने फरीदाबाद निवासी एक व्यक्ति को डॉ. उमर-उन-नबी को कथित तौर पर शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। डॉ. उमर-उन-नबी वही व्यक्ति है जिसने 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के बाहर विस्फोट करने वाली विस्फोटकों से लदी कार चलाई थी।
दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को लाल किला विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी जसीर बिलाल वानी उर्फ दानिश की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत सात दिनों के लिए बढ़ा दी। एजेंसी ने वानी को इसलिए पेश किया क्योंकि प्रधान सत्र एवं जिला न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना द्वारा 18 नवंबर को दी गई 10 दिनों की हिरासत आज समाप्त होने वाली थी। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के काजीगुंड निवासी वानी को एनआईए ने 17 नवंबर को श्रीनगर में गिरफ्तार किया था। उस पर 10 नवंबर के विस्फोट से पहले ड्रोन में बदलाव करने और रॉकेट विकसित करने का प्रयास करने सहित आतंकवादी गतिविधियों के लिए कथित तौर पर तकनीकी सहायता देने का आरोप है।
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एनआईए ने फरीदाबाद निवासी एक व्यक्ति को डॉ. उमर-उन-नबी को कथित तौर पर शरण देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। डॉ. उमर-उन-नबी वही व्यक्ति है जिसने 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के बाहर विस्फोट करने वाली विस्फोटकों से लदी कार चलाई थी। आधिकारिक प्रवक्ता के अनुसार, एजेंसी ने हरियाणा के फरीदाबाद के धौज निवासी सोयब को दिल्ली आतंकी बम विस्फोट से पहले "आतंकवादी उमर-उन-नबी" को कथित तौर पर रसद सहायता प्रदान करने के आरोप में गिरफ्तार किया है।
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सोयब इस मामले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किया गया सातवाँ आरोपी था, जो जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा भंडाफोड़ किए गए एक 'सफेदपोश' आतंकी मॉड्यूल का हिस्सा था। एनआईए ने इससे पहले मामले की जाँच के दौरान कार बम हमलावर उमर के छह अन्य प्रमुख सहयोगियों को गिरफ्तार किया था। फरीदाबाद स्थित अलफला विश्वविद्यालय में प्रयोगशाला सहायक के रूप में काम करने वाले सोयब ने कथित तौर पर उमर को विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला से रसायन प्राप्त करने में मदद की थी।
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