पिता की स्व-अर्जित और विरासत में मिली संपत्ति पर बेटियों का भी हक, उच्चतम न्यायालय ने सुनाया फैसला

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न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि वसीयत के बिना मरने वाले किसी हिंदू पुरुष के मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति चाहे वह स्व-अर्जित हो या पारिवारिक संपत्ति की विभाजन में मिली हो उत्तराधिकारियों के बीच वितरण होगा।

संपत्ति विरासत पर सुप्रीम कोर्ट का बृहस्पतिवार को एक अहम निर्णय आया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बिना वसीयत के मरने वाले पिता की स्व अर्जित संपत्ति में बेटियां भी हकदार होंगी। बेटियों को परिवार के दूसरे सदस्यों जैसे मरने वाले पिता के भाइयों के बेटे और बेटियों पर वरीयता मिलेगी। यह फैसला हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत हिंदू महिलाओं और विधवाओं के संपत्ति अधिकारों से संबंधित है।

उच्चतम न्यायालय ने सुनाया फैसला

दरअसल तमिलनाडु के परिवार की बेटियों के बंटवारे के मुकदमे को खारिज करने वाले मद्रास हाईकोर्ट के फैसले के अपील पर यह फैसला आया है। जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह  अहम फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि वसीयत के बिना मरने वाले किसी हिंदू पुरुष के मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति चाहे वह स्व-अर्जित हो या पारिवारिक संपत्ति की विभाजन में मिली हो उत्तराधिकारियों के बीच वितरण होगा।

बेटियां संपत्ति में होंगी हकदार

उच्चतम न्यायालय की पीठ ने यह भी कहा कि हिंदू पुरुष की बेटी मरने वाले पिता के अन्य संबंधियों ( जैसे भाइयों के बेटे/ बेटियों) के साथ वरीयता में संपत्ति की उत्तराधिकारी होने की हकदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ किसी दूसरे कानूनी उत्तराधिकारी के ना होने के वक्त में बेटी को अपने पिता की स्व-अर्जित संपत्ति को लेने के अधिकार से जुड़े एक कानूनी मुद्दे पर गौर कर रहा था।

51 पन्नों का निर्णय

जस्टिस कृष्ण मुरारी ने 51 पन्नों का फैसला लिखते हुए इस सवाल पर भी गौर किया कि क्या ऐसी भी कोई संपत्ति बेटी को पिता की मृत्यु के बाद मिलेगी जिनकी वसीयत तैयार किए बिना मृत्यु हो गई हो और उनका कोई दूसरा उत्तराधिकारी न हो।

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