NCERT ने पाठ्यक्रम में किये बड़े बदलाव, Congress बोली- इतिहास बदलने की BJP की कोशिश हो जायेगी विफल

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हम आपको बता दें कि पिछले वर्ष पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने और कुछ अंशों के अप्रसांगिक होने के आधार पर एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ अंशों को पाठ्यपुस्तक से हटा दिया था।

राष्ट्रीय शिक्षा अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कुछ विषयों की पाठ्य पुस्तकों के पाठ्यक्रम में बदलाव क्या किये, इस पर नया राजनीतिक घमासान मच गया है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है तो वहीं भाजपा का कहना है कि कुछ बदला नहीं जा रहा है बल्कि इतिहास की जो बातें छिपाई गयी थीं वह बताई जा रही हैं। जहां तक पाठ्य पुस्तकों से हटाये गये संदर्भों की बात है तो आपको बता दें कि एनसीईआरटी की नये शैक्षणिक सत्र के लिए 12वीं कक्षा की राजनीतिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में ‘महात्मा गांधी की मौत का देश में साम्पद्रायिक स्थिति पर प्रभाव, 'गांधी की हिन्दू मुस्लिम एकता की अवधारणा ने हिन्दू कट्टरपंथियों को उकसाया' और 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों पर कुछ समय के लिए प्रतिबंध' सहित कई पाठ्य अंश अब मौजूद नहीं हैं। एनसीईआरटी ने हालांकि यह दावा किया है कि इस वर्ष पाठ्यक्रम में कोई काटछांट नहीं की गई है और पाठ्यक्रम को पिछले वर्ष जून में युक्तिसंगत बनाया गया था। हम आपको बता दें कि पिछले वर्ष पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने और कुछ अंशों के अप्रसांगिक होने के आधार पर एनसीईआरटी ने गुजरात दंगों, मुगल दरबार, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन आदि के कुछ अंशों को पाठ्यपुस्तक से हटा दिया था। हालांकि पाठ्यपुस्तक को युक्तिसंगत बनाने के नोट में महात्मा गांधी के अंश के बारे में कोई उल्लेख नहीं है।

एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश सकलानी ने कहा, ''पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की कवायद पिछले वर्ष की गई और इस वर्ष जो कुछ हुआ है, वह नया नहीं है।’’ उन्होंने हालांकि बिना घोषणा के युक्तिसंगत बनाने की कवायद के परिणामस्वरूप हटाये गए अंशों के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। एनसीईआरटी की वेबसाइट पर एक नोट में कहा गया है, ''कोविड-19 महामारी के मद्देनजर यह महसूस किया गया कि छात्रों पर पाठ्यसामग्री के बोझ को कम किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में पाठ्य सामग्री के बोझ को कम करने और रचनात्मक सोच का उपयोग करके अनुभव के आधार पर सीखने पर जोर दिया गया है। इस परिप्रेक्ष्य में सभी कक्षाओं में और सभी विषयों में पाठ्यपुस्तकों को युक्ति संगत बनाने का कार्य शुरू किया गया है।’’ इसमें कहा गया है कि वर्तमान संस्करण बदलाव के बाद नये रूप में तैयार संस्करण है और वर्तमान पाठ्यपुस्तक युक्तिसंगत पुस्तक है। इन्हें वर्ष 2022-23 में युक्ति संगत बनाया गया था और 2023-24 में भी जारी रहेगा। शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत नये पाठ्यक्रम ढांचे पर अभी भी काम चल रहा है और नयी पाठ्यचर्या अकादमिक सत्र 2024 से पेश की जाएगी।

उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने एनसीईआरटी की संशोधित किताबों को अपने स्कूलों में चालू सत्र से ही पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है, जिसमें 12वीं कक्षा की इतिहास की किताबों से मुगल बादशाह और दरबारों के अंश हटा दिये गए हैं। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, ‘‘हम अपने छात्रों को एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाते हैं, जो भी संशोधित संस्करण में है उसका पालन किया जाएगा।’’ अपर मुख्य सचिव (बेसिक और माध्यमिक शिक्षा) दीपक कुमार ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए।

उल्लेखनीय है कि एनसीईआरटी ने मुगल साम्राज्य से संबंधित अध्यायों को हटाकर कक्षा 12वीं के इतिहास के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है। इतिहास की पाठ्यपुस्तक में मुगल दरबारों के अध्यायों को एनसीईआरटी द्वारा संशोधित संस्करण में हटा दिया गया है। इसके परिणामस्वरूप सीबीएसई, उत्तर प्रदेश और एनसीईआरटी पाठ्यक्रम का पालन करने वाले अन्य राज्य बोर्डों सहित सभी बोर्डों के पाठ्यक्रम में बदलाव होंगे। संशोधित पाठ्यक्रम 2023-24 शैक्षणिक वर्ष के लिए लागू किया जाएगा। 

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दूसरी ओर, इस मुद्दे पर हो रही राजनीति की बात करें तो आपको बता दें कि कांग्रेस ने 12वीं कक्षा की एनसीईआरटी की राजनीतिक विज्ञान की किताब से कुछ संदर्भों को हटाए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने का प्रयास करने वाले खुद ‘इतिहास के कूड़ेदान’ में पहुंच जाते हैं। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जितना भी प्रयास कर लें, लेकिन इतिहास बदलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘आप पुस्तकों में चीजों को बदल सकते हो, लेकिन इतिहास नहीं बदल सकते। भाजपा और आरएसएस के लोग कितना भी प्रयास कर लें, इतिहास नहीं मिटने वाला है।’’

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘प्रतिशोध की भावना के साथ इतिहास बदला जा रहा है।’’ कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इतिहास का पुनर्लेखन आरएसएस और भाजपा का हमेशा से प्रयास रहा है। आप इतिहास को तोड़-मरोड़ सकते हैं, लेकिन इसे मिटा नहीं सकते हैं। इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि जो इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश करते हैं वो खुद इतिहास के कूड़ेदान में पहुंच जाते हैं।’' 

उधर, राज्यसभा के सदस्य कपिल सिब्बल ने 12वीं कक्षा की एनसीईआरटी की किताबों में से कुछ संदर्भों को हटाए जाने की खबरों को लेकर स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भारत के अनुरूप, आधुनिक भारतीय इतिहास 2014 से आरंभ होना चाहिए। 

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