न्यू ईयर ईव पर डिलीवरी सेवा ठप! स्विगी, जोमैटो के कर्मचारी सड़कों पर, जानिए क्या हैं प्रमुख मांगें

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नए साल के जश्न के बीच, स्विगी, जोमैटो, अमेज़न और फ्लिपकार्ट के डिलीवरी वर्कर्स 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को बंद करने और बेहतर वेतन व सुरक्षा की मांग को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर हैं, जिससे कई शहरों में डिलीवरी सेवाओं पर असर पड़ने की संभावना है। गिग वर्कर्स को उचित मेहनताना, सामाजिक सुरक्षा और सम्मानजनक व्यवहार न मिलने के कारण यह हड़ताल हो रही है, जिसमें 1 लाख से ज्यादा वर्कर्स शामिल हैं।

साल 2025 की समाप्ति पर आ चुका है। ऐसे में नए साल की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। कुछ घंटे बाद ही पूरी दुनिया 2026 के स्वागत का जश्न मनाएगा। इस बीच, नए साल पर ऑनलाइन शॉपिंग से लेकर पार्टियों की तैयारी करने वालों को तगड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि, न्यू ईयर ईव से पहले स्विगी, जोमैटो, अमेजन, फ्लिपकार्ट सहित सभी डिलीवरी वर्कर्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल की घोषणा कर दी है। नए साल की पार्टी में खाना ऑर्डर करने से लेकर ऑनलाइन डिलीवरी में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

किन शहरों पर दिखेगा इसका असर?

तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन तथा इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के आह्वान पर यह हड़ताल की जा रही है। इसके चलते दिल्ली, मुंबई, पुणे, कोलकाता और हैदराबाद जैसे महानगरों में सेवाओं पर असर पड़ने की संभावना है। साथ ही लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर और पटना जैसे टियर-2 शहरों में भी डिलीवरी सेवाएं बाधित हो सकती हैं।

1 लाख से ज्यादा वर्कर्स की स्ट्राइक

आपको बता दें कि, महाराष्ट्र, कर्नाटक, दिल्ली एनसीआर, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के समेत कई क्षेत्रीय यूनियन्स ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया है। इनका दावा है कि आज देशभर में 1 लाख से ज्यादा डिलीवरी वर्कर्स ऐप पर ऑनलाइन नहीं करेंगे या फिर कम समय के लिए ही एक्टिव रहेंगे।

आखिर क्यों हो रही है हड़ताल

इस तरह की हड़ताल पहले भी क्रिसमस के दिन सभी वर्कर्स ने हड़ताल की थी। यूनियन का कहना है कि गिग वर्कर्स की मांग में इजाफे के बाद भी उनकी कार्यशैली में बदलाव नहीं हो रहा है। कंपनियां न तो उन्हें ठीक से वेतन दे पा रही है और न ही सुरक्षा की गारंटी मिलती है। डिलीवरी वर्कर्स की खराब स्थिति को लेकर यह हड़ताल रखी गई है। वर्कर्स का कहना है कि 10 मिनट में डिलीवरी मॉडल के कारण सड़क पर गिग वर्कर्स हादसों का शिकार हो जाते हैं। धूप, गर्मी, ठंड और बरसात में दिन-रात डिलीवरी करने बावजूद इनको कंपनियों की ओर से दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा और पेंशन जैसी सुविधाएं नहीं मिलती हैं।

क्या मांगें हैं गिग वर्कर्स

- वर्कर्स की तरफ से जारी किए बयान में 9 प्रमुख मांगे शामिल हैं।

- फेयर और ट्रांसपेरेंट वेतन स्ट्रक्चर लागू होना चाहिए।

- 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को तुरंत बंद कर देना चाहिए।

- बिना किसी प्रक्रिया के आईडी ब्लॉक और पेनल्टी पर रोक लगे।

- सुरक्षा के लिए जरुरी गियर और उपाय दिए जाएं।

- एल्गोरिदम के आधार पर भेदभाव न हो, सभी को बराबर काम मिले।

- प्लेटफॉर्म और कस्टमर्स से सम्मानजनक व्यवहार मिले।

- काम के दौरान ब्रेक और तय समय से अधिक काम बिल्कुल न कराएं।

- एप और तकनीकी सपोर्ट मजबूत हो, खासकर पेमेंट और रूटिंग की समस्याओं के लिए।

- इसके साथ ही स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवर और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षाएं सुनिश्चित की जाएं।

कौन हैं गिग वर्कर्स?

डिलीवरी से जुड़े कामगारों को गिग वर्कर्स की श्रेणी में रखा जाता है। ये वे लोग होते हैं जो अस्थायी रूप से काम करके अपनी आमदनी करते हैं। आईटी क्षेत्र से लेकर ई-कॉमर्स उद्योग तक, गिग वर्कर्स का योगदान बेहद महत्वपूर्ण है। इसके बावजूद, अक्सर इन्हें न तो उचित मेहनताना मिलता है और न ही कंपनियों की ओर से पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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