देश में डिजिटल क्रांति के दौर में भाषा की मर्यादा पर ध्यान देना बेहद आवश्यक : भाजपा सांसद सुधांशु त्रिवेदी

 Sudhanshu Trivedi
ANI
रेनू तिवारी । Nov 5 2022 11:25AM

प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ सिर्फ प्रभासाक्षी परिवार के लिए ही नहीं बल्कि हर हिंदी प्रेमी के लिए हर्ष का दिवस है क्योंकि जो सपना भारत में इंटरनेट के आगमन के साथ देखा गया था वो आज सच हो रहा है। आज मोबाइल पर, कम्प्यूटर पर, सोशल मीडिया पर हर जगह हिंदी में सबकुछ है।

प्रभासाक्षी की 21वीं वर्षगाँठ सिर्फ प्रभासाक्षी परिवार के लिए ही नहीं बल्कि हर हिंदी प्रेमी के लिए हर्ष का दिवस है क्योंकि जो सपना भारत में इंटरनेट के आगमन के साथ देखा गया था वो आज सच हो रहा है। आज मोबाइल पर, कम्प्यूटर पर, सोशल मीडिया पर हर जगह हिंदी में सबकुछ है। यह हिंदी की ताकत ही तो है कि आपने नहीं बल्कि आपके मोबाइल, कम्प्यूटर और सोशल मीडिया मंचों ने हिंदी सीखी है ताकि आप जब उसका उपयोग करें तो आपको आसानी हो।

जहां तक इंटरनेट पर हिंदी की ताकत और उत्साह बढ़ाने संबंधी यात्रा की बात है तो आप सभी जानते हैं कि जब इंटरनेट पर हिंदी समाचार वेबसाइटों का आगमन हुआ था तभी से प्रभासाक्षी आप सभी के बीच में है। भारत के शुरुआती हिंदी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी का आरम्भकाल से ही एक लक्ष्य था कि मातृभाषा हिंदी में सुविधाजनक फॉन्टों के साथ पाठकों को हर वह जानकारी मुहैया हो जोकि अंग्रेजी पाठकों के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध है।

प्रभासाक्षी ने जो लक्ष्य तय किया था उसे सफलतापूर्वक पूरा किया और तकनीक के सहयोग से स्वयं को बदलते हुए सदैव अपने पाठकों की ज्ञान और सूचना शक्ति को समृद्ध किया। आज अपनी 21वीं वर्षगाँठ के समय हम अपने सभी पाठकों और दर्शकों को विश्वास दिलाते हैं कि आपका विश्वास बरकरार रखने के लिए हम निरन्तर प्रयास करते रहेंगे। इन्हीं शब्दों के साथ आइये 'प्रभासाक्षी विचार मंथन' कार्यक्रमों की शुरुआत करते हैं। पहली परिचर्चा का विषय है- क्या तीखी और ध्रुवीकरण वाली बहसों के इस दौर में दब कर रह जाते हैं असल समाचार? इस परिचर्चा में अपना पक्ष रखने के लिए  भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी जी ने बात की।

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने क्या कहा?

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि आज सूचना संचार प्रणाली के इस युग में विचारों और वक्तव्यों का संप्रेक्षण एक ऐसा माध्यम बनता जा रहा है जो हर व्यक्ति के हाथ में हैं यानी कि आज इंसान पहले की तरह नहीं बल्कि हर तरह की जानकारी, सूचना, संदेश सब कुछ अपने मोबाइल से ही प्राप्त कर लेता हैं। ऐसे में जहां यह इंसानी सहूलियत के लिए है वहीं दूसरी तरफ कुछ नकारात्मकता भी फैली हैं। जहां एक व्यक्ति इसे अच्छे कार्य के लिए प्रयोग कर रहा है वहीं दूसरी तरफ गलत कार्यों के लिए भी यह प्रयोग किया जाता हैं। इंटरनेट के दौर में हर व्यक्ति अपने मोबाइल के माध्यम से दुनिया से जुड़ गया है वहीं भाषा शैली का गतल प्रयोग और अफवाह फैलने जैसी समस्या अभी बरकरार हैं। ऐसे में भाषा पर व्यक्ति को कार्य करने की आवश्यता हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश में डिजिटलीकरण कांति लेकर आ रहे हैं ऐसे में भाषा का गलत प्रयोग और अफवाह न फैलाने को लेकर सतर्क रहने की आवश्यकता है। ऐसे में 21 वर्ष पहले शुरू हुए प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क ने अपनी भाषा की मर्यादा को बनाये रखा। भाजपा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कूमार दूबे से परिचर्चा के दौरान कहा 21 साल पहले जब इंटरनेट पर हिंदी में कुछ खास चीजें उपलब्ध नहीं थी उस समय प्रभासाक्षी ने हिंदी में इंटरनेट पर कंटेंट उपलब्ध करवाया और हिंदी पोर्टल की शुरूआता की। आज 21 साल बाद भी प्रभासाक्षी हिंदी भाषा को संजोय रखने और उसकी शुद्धता को बनाये रखने का निरंतर प्रयास कर रहा हैं। आज के इस युग में टीवी पर बहस, संवादों में, परिचर्चा में भाषा का गलत तरीके से प्रयोग हो रहा हैं ऐसे में हिंदी भाषा की शुद्धता को बनाये रखने का काम प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क कर रहा हैं। 

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