दिग्विजय सिंह बर्थडे: विरोधियों को अनोखे अंदाज में देते हैं मात, परिवार से विरासत में मिली राजनीति

Digvijay Singh
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मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और वर्तमान में मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह का आज ही के दिन 28 फरवरी को जन्म हुआ था। वह अपने अनोखे अंदाज से अपने विरोधियों को मात देते हैं। राजनीति के मामले में वह अन्य नेताओं से काफी अलग हैं।

दिग्विजय सिंह एक भारतीय नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं। भारत की आजादी से पहले दिग्विजय सिंह का जन्म हुआ था। दिग्विजय को राजनीतिक गुण उनके परिवार से मिले थे। आज ही के दिन यानि की 28 फरवरी को उनका जन्म हुआ था। वह अपने अनोखे अंदाज में अपने विरोधियों को मात देते हैं। दिग्विजय अपने विरोधियों के खिलाफ कभी अक्रामक रवैया नहीं अपनाते हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको दिग्विजय सिंह के जीवन से जुड़े कुछ बातें बताने जा रहे हैं। 

जन्म और शिक्षा

आज ही के दिन यानि की 28 फरवरी 1947 को दिग्विजय सिंह का जन्म इंदौर में गुना जिले के राघौगढ़ में हुआ था। इनके पिता का नाम बालभद्र सिंह है। बालभद्र ग्वालियर राज्य के तहत आने वाले राघोगढ़ के राजा थे। दिग्विजय सिंह को उनके साथी अर्जुन सिंह के नाम से भी पुकारते है। उन्होंने अपनी शिक्षा इंदौर के डेली कॉलेज से पूरी की है।  इंदौर के श्री गोविन्द्रम सेकसरिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एवं साइंस कॉलेज से उन्होंने मकैनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद इंजीनियर बने। 

शादी

दिग्विजय सिंह का निजी जीवन भी काफी चर्चाओं में रहा। उन्होंने दो शादियां की थी। दिग्विजय सिंह ने साल 1969 में राणा आशा कुमारी से शादी की थी। लेकिन साल 2013 में आशा की कैंसर बीमारी से मौत हो गई। जिसके बाद साल 2015 में उन्होंने राज्य सभा टीवी एंकर अमृता राय से शादी कर ली।

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राजनीतिक करियर

दिग्विजय सिंह साल 1969 में राघोगढ़ नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष बने। वह इस पद पर साल 1971 तक बने रहे। इसी दौरान कांग्रेस पार्टी में भी एक मेंबर के तौर पर शामिल हुए। साल 1977 में एमपी विधानसभा में चुनाव में उन्हें जीत मिली और वह राघोगढ़ से विधायक चुने गए। साल 1980 में एमपी विधानसभा इलेक्शन में दिग्विजय फिर से विधायक बनें और इस दौरान उन्होंने कैबिनेट मिनिस्टर के तौर पर कृषि, पशुपालन एवं मत्सय पालन, सिंचाई और कमांड क्षेत्र के काफी विकास कार्य किए। 

साल 1984 में लोकसभा चुनाव के दौरान वह राजगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के एक MP के तौर पर चुने गए। राजगढ़ और गुना जैसे क्षेत्र में MP बनने के बाद दिग्विजय को पुरे एमपी की कांग्रेस कमेटी का प्रेजिडेंट बनने का मौका मिला। वह 1985 से 1988 तक इस पद पर रहे। लेकिन साल 1989 के चुनाव में दिग्विजय अपना क्षेत्र नहीं बचा सके। हालांकि साल 1991 में उन्हें फिर से सत्ता के लिए चुना गया। बता दें कि दिग्विजय मध्यप्रदेश के सीएम भी बने। सीएम के पद पर रहते हुए दिग्विजय ने काफी अच्छा काम किया। इस पद पर वह साल 2003 तक बने रहे। वहीं अगले चुनाव में हार मिलने के बाद वह 10 साल तक किसी भी चुनाव में नहीं खड़े हो सके।

इसके बाद साल 2013 में उन्हें ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। इस दौरान उन्होंने ओडिशा, बिहार, यूपी, असम, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और गोवा राज्यों की पार्टी का काम संभाला। वहीं साल 2013 में वह 6 सदस्यीय समिति के मेंबर बने। 

कार्य और उपलब्धियां

गांव के गरीब लोगों को एक पावर देने के लिए डिसेंट्रलाइजेशन कांसेप्ट को दिग्विजय ही सबके सामने लेकर आए।

दिग्विजय के सत्ता में रहने पर मध्य प्रदेश में 26 हजार से ज्यादा प्राइमरी स्कूल बनाए हए। 

दिग्विजय के टाइम पीरियड के समय में राष्ट्रीय जनगणना के हिसाब से लिटरेसी रेट में 20.11% की बढ़ोत्तरी हुई थी।

विवाद

साल 1998 में जब दिग्विजय एमपी के सीएम थे तो पुलिस द्वारा एक क्राइम सीन किया गया था। जिसमें 19 से 24 किसानों को गोली मार दी गई थी। 

साल 2011 में अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन को दफनाने के दौरान दिग्विजय ने लादेन के धर्म का सम्मान नहीं किया। उस दौरान भी काफी विवाद हुआ था।

साल 2013 में बोध गया बमबारी के बाद दिग्विजय सिंह ने इसे हमले को भाजपा से जुड़ा बताया था। जिसके बाद काफी घमासान मचा था। 

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