अन्नकूट के मौके पर शीतकाल के लिए बंद हुए गंगोत्री धाम के कपाट
उत्तराखंड के चार धामों के कपाट बंद किए जाने की तैयारियां शुरू हो गई है। बुधवार को अन्नकूट के मौके पर गंगोत्री धाम के कपाट दोपहर में बंद किए गए। इस मौके पर भारी संख्या में श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन करने पहुंचे। जानकारी के मुताबिक यमुनोत्री के कपाट को भैया दूज के मौके पर बंद किया जाएगा।
उत्तरकाशी। उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र के चारधामों के रूप में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को अन्नकूट के मौके पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। सर्दियों में छह माह मंदिर के बंद रहने के दौरान श्रद्धालु मां गंगा की पूजा अर्चना, उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव में कर सकेंगे।
गंगोत्री मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां गंगा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने के बाद मंदिर के कपाट दोपहर 12:01 बजे शीतकाल तक के लिए बंद कर दिए गए। गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान, धर्माधिकारियों तथा सैकडों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया सुबह नौ बजे उदय बेला में शुरू हुई। सर्वप्रथम मां गंगा का मुकुट उतारा गया जिसके बाद अमृत बेला में स्वाती नक्षत्र प्रीतियोग में शुभ लग्न पर ठीक 12:01 पर गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ बंद किए गए।
इस दौरान तीर्थ पुरोहित लगातार गंगा लहरी का पाठ करते रहे। कपाट बंद होने के बाद डोली में सवार होकर गंगा की भोगमूर्ति जैसे ही मंदिर परिसर से बाहर निकली तो पूरा माहौल भक्तिमय हो उठा। बैंड की धुन और परंपरागत ढोल दमाऊ की थाप के साथ तीर्थ पुरोहित गंगा की डोली को लेकर उनके शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव के लिए पैदल रवाना हुए। रात्रि विश्राम के लिए गंगा की डोली मुखबा से चार किमी पहले चंदोमति देवी के मंदिर में पहुंचेगी जहां से बृहस्पतिवार को उसे मुखबा के गंगा मंदिर ले जाया जाएगा।
श्रद्धालु आगामी छह माह तक मुखबा में ही मां गंगा के दर्शन और पूजा अर्चना करेंगे। बृहस्पतिवार को भैया दूज के अवसर पर केदारनाथ तथा यमुनोत्री के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे जबकि बदरीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे। सर्दियों में बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल—मई में फिर खोल दिए जाते हैं।
गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिकी की रीढ़ माने जाने चारधाम यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। कोविड के प्रतिबंध के चलते दो साल बाद चली नियमित चारधाम यात्रा के दौरान इस बार रिकार्ड तोड़ श्रद्धालु पहुंचे हैं। सरकारी आंकडों के अनुसार, इस वर्ष 24 अक्टूबर तक 43,09,634 यात्री चारधाम दर्शन के लिए आ चुके हैं।
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