राम मंदिर पर नहीं होगा भूकंप, तूफान का असर, सहयोग के लिए 10 करोड़ परिवारों तक जाएगा संघ
प्राचीन और पारंपरिक निर्माण पद्धति के जरिए मंदिर का निर्माण किया जाएगा ताकि सहस्त्र वर्षों तक न केवल यह खड़ा रहे बल्कि भूंकप, तूफान या फिर किसी भी प्रकार की आपदा का इस पर कोई असर न पड़े।
नयी दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण कार्य की शुरुआत हो चुकी है और अब इंजीनियरों की टीम यहां की मिट्टी का परीक्षण कर रही है। बता दें कि प्राचीन और पारंपरिक निर्माण पद्धति के जरिए मंदिर का निर्माण किया जाएगा ताकि सहस्त्र वर्षों तक न केवल यह खड़ा रहे बल्कि भूंकप, तूफान या फिर किसी भी प्रकार की आपदा का इस पर कोई असर न पड़े।
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श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि श्री रामजन्मभूमि मन्दिर का निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है ताकि वह सहस्त्रों वर्षों तक न केवल खड़ा रहे, अपितु भूकम्प, झंझावात अथवा अन्य किसी प्रकार की आपदा में भी उसे किसी प्रकार की क्षति न हो। मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग नही किया जाएगा।
The Mandir will be built by adhering to India's ancient and traditional construction techniques. It will also be built to sustain earthquakes, storms and other natural calamities. Iron won't be used in the construction of the Mandir.
— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) August 20, 2020
उन्होंने आगे बताया कि श्री राम जन्मभूमि मन्दिर के निर्माण हेतु कार्य प्रारंभ हो गया है। सीबीआरआई रुड़की और आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के अभियंता भूमि की मृदा के परीक्षण के कार्य में लगे हुए है। मन्दिर निर्माण के कार्य में लगभग 36-40 महीने का समय लगने का अनुमान है।
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नाम गुदवा सकते हैं दानकर्ता
मंदिर निर्माण कार्य में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों को उपयोग में लिया जाएगा। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने बताया कि इन तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी।
उन्होंने कहा कि मन्दिर निर्माण में लगने वाले पत्थरों को जोड़ने के लिए तांबे की पत्तियों का उपयोग किया जाएगा। निर्माण कार्य हेतु 18 इंच लम्बी, 3 एमएम गहरी और 30 एमएम चौड़ी 10,000 पत्तियों की आवश्यकता पड़ेगी। श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र श्रीरामभक्तों का आह्वान करता है कि तांबे की पत्तियां दान करें।
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10 करोड़ घरों से लेंगे सहयोग
मंदिर निर्माण से जुड़े मुद्दे को लेकर गुरुवार को एक बैठक हुई। इस बैठक में चंपत राय, नृपेंद्र मिश्र, सुरेश भैय्याजी जोशी समेत 10 लोग शामिल हुए। इस दौरान यह चर्चा की गई कि मंदिर निर्माण कार्य तीन-साढ़े तीन साल में पूरा हो सकता है। हालांकि, अब निर्माण कार्य शुरू हो गया है ऐसे में प्रोग्रेस रिपोर्ट पर चर्चा के लिए यह बैठकें होती रहेंगी।
बैठक में चंपत राय ने संघ को मंदिर आंदोलन की आत्मा बताया और कहा कि संघ के लोगों को इसलिए बुलाया गया था ताकि उन्हें इस बात की जानकारी रहे कि निर्माण क्षेत्र में क्या चल रहा है। उन्होंने आगे यह भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए कोई संघ की भूमिका को कैसे नजरअंदाज कर सकता है।
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मिली जानकारी के मुताबिक संघ चाहता है कि मंदिर निर्माण कार्य में सहयोग के लिए 10 करोड़ घरों तक पहुंचा जाए। इसके लिए बकायदा योजना तैयार की जा रही है। जिसका मतलब है कि मंदिर निर्माण कार्य में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से 10 करोड़ परिवारों का जुड़ाव बनाया जा सके।
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