अयोध्या पर अदालती फैसले के बाद देश में हिंदुत्व फिर से उभर कर आया: गुरुमूर्ति

गुरुमूर्ति

गुरुमूर्ति ने कहा कि हिन्दुत्व संघर्ष पैदा नहीं करता है और कई विदेशी लेखकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है तथा कहा है कि इसके कारण ही भारत में इस्लाम और ईसाई धर्म जड़ें जमा सका।

नयी दिल्ली। आरएसएस विचारक एस गुरुमूर्ति ने बृहस्पतिवार को कहा कि अयोध्या विवाद पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद हाशिये पर चला गया हिन्दुत्व फिर से उभर कर आया है। गुरुमूर्ति ने कहा कि हिन्दुत्व संघर्ष पैदा नहीं करता है और कई विदेशी लेखकों ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया है तथा कहा है कि इसके कारण ही भारत में इस्लाम और ईसाई धर्म जड़ें जमा सका। भारतीय रिजर्व बैंक बोर्ड के सदस्य गुरुमूर्ति ने विवेकानंद इंटरनेशनल फाउन्डेशन द्वारा ‘अयोध्या आंदोलन और राष्ट्रीय राजनीति’ विषय पर आयोजित वेबिनार में ये बातें कहीं। 

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राम मंदिर आंदोलन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह मुद्दा तब प्रमुखता से आया, जब 1990 के दशक के प्रारंभ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिंह राव द्वारा नियुक्त नरेश चंद्रा समिति ने पाया कि सभी साक्ष्य साबित करते हैं कि अयोध्या में विवादित स्थान पर मंदिर था। गुरुमूर्ति ने दावा किया कि कई राजनीतिक नेताओं और दलों ने राजनीतिक लाभ के लिये इस विवाद को नहीं सुलझाया, अन्यथा इसका आसानी से समाधान निकाला जा सकता था। विवादित भूमि को लेकर उच्चतम न्यायालय के फैसले को मील का पत्थर बताते हुए उन्होंने कहा, ‘‘अयोध्या पर फैसले के बाद परिवर्तन आया.....हिदुत्व जो हाशिये पर चला गया था, जिसे साम्प्रदायिक, पिछड़ा और समसामयिक भारत के लिये अनुपयुक्त कहा जाता था, वह (देश में) फिर से उभर कर आया है।’’ गुरुमूर्ति ने सुझाव दिया कि यह घटनाक्रम (हिन्दुत्व) देश में चर्चा के हर क्षेत्र में उभर कर आया। उन्होंने कहा कि यह राजनीति में भी था जहां भाजपा तथा शिवसेना इसे मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 

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उन्होंने अपने संबोधन के दौरान वी पी सिंह सरकार के दौरान और उसके बाद की कई घटनाओं को भी याद किया, जब उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली तथा भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री के एन गोविंदाचार्य के साथ मिलकर विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिये भूमि पूजन एवं शिलान्यास किया था। पिछले वर्ष नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए विवादित स्थल पर एक ट्रस्ट द्वारा राम मंदिर का निर्माण किये जाने का रास्ता साफ किया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में एक मस्जिद के लिये पांच एकड़ जमीन देने को भी कहा था।

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