आदिवासी कपराडा सीट पर भाजपा फिर चाहेगी दबदबा बनाना, पीएम मोदी कर चुके हैं रैली

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रितिका कमठान । Nov 28 2022 12:46PM

गुजरात में विधानसभा चुनाव का आयोजन दो चरणों में किया जाना है। प्रथम चरण में मतदान एक दिसंबर और दूसरे चरण में मतदान 5 दिसंबर को किया जाएगा। चुनाव के नतीजे आठ दिसंबर को आएंगे। आदिवासी कपराडा सीट पर प्रथम चरण में मतदान होना है।

गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 को लेकर पार्टियां तैयारियों में जुट गई है। इस सीट पर जीत की दावेदारी करने के लिए उम्मीदवार मजबूती से मैदान में उतरने लगे है। कपरादा विधानसभा सीट में कुल 15 उम्मीदवार मैदान में है। यहां बीजेपी, आप और कांग्रेस पार्टी चुनाव मैदान में है। वलसाड जिले की कपराडा विधानसभा सीट मुख्य रुप से आदिवासी बहुल सीट है। 

इस सीट पर भाजपा के जीतूभाई चौधरी का कब्जा है। इस बार भी पार्टी ने उन्हें ही चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस पार्टी ने जयेन्द्रभाई गावित पर और आप ने यहां से वसंतभाई बरजुलभाई पर भरोसा जताते हुए उन्हें टीकट दिया है। वैसे तो वर्ष 2012 और 2017 में ये सीट कांग्रेस पार्टी के खाते में थी मगर वर्ष 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान ये सीट कांग्रेस पार्टी के हाथ से निकल गई। इस सीट पर भाजपा का कब्जा हो गया। भाजपा का कब्जा होने से ये सीट चर्चा में आ गई थी। 

ऐसे थे नतीजे

इस सीट पर अंतिम बार वर्ष 2020 में उपचुनाव हुआ था। इस चुनाव के दौरान बीजेपी के उम्मीदवार जीतूभाई हरजीभाई चौधरी ने 1,12,941 मत प्राप्त किए थे और इस सीट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार बाबूभाई जिवलाभाई पटेल को हराया था, जिन्हें 65,875 मत मिले थे। वर्ष 2017 में इस सीट पर जीतूभाई हरजीभाई ने जीत हासिल की थी मगर उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थामा था। इस सीट पर उपचुनाव के बाद भी उनका कब्जा बना रहा था।

तीन आदिवासी समुदायों का है कब्जा

इस सीट पर कुल तीन आदिवासी समुदायों का कब्जा है। ये इलाका आदिवासी समाज की मुख्य तीन उपजातियों वारली, धोडिया पटेल और कुंकना के लोगों से युक्त है। यहां कुल दो लाख 60 हजार और 595 मतदाता है। पुरुष मतदाताओं की संख्या एक लाख 32 हजार 739 और महिला मतदाताओं की संख्या एक लाख 27 हजार 854 है।

जानें सीट की अहमियत

वलसाड जिले की कपराडा विधानसभा सीट दक्षिण गुजरात की अहम सीटों में शामिल है। भाजपा और कांग्रेस के लिए ये सीट हमेशा से अहम रही है। इस सीट पर जीत का सारा दारोमदार आदिवासी समुदाय पर रहता है। ऐसे में पार्टियों और उम्मीदवारों की कोशिश रहती है कि आदिवासी समाज को जोड़कर रखें। बता दें कि इस सीट पर जीत हासिल करना मुश्किल है क्योंकि यहां सिर्फ विकास के नाम पर वोट हासिल करना पार्टियों के लिए बड़ी चुनौती रहती है। इस सीट पर स्थानीय उम्मीदवार का कब्जा होने के अधिक संभावना रहती है। 

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