सर्जिकल स्ट्राइक रक्षा तैयारी का उदाहरणः सरकार
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पूरी दक्षता के साथ की गईं और लक्ष्यों पर निशाना साधा गया एवं उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त किया गया।
सरकार ने आज कहा कि भारतीय सेना द्वारा पिछले वर्ष पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक विशिष्ट सूचना के आधार पर की गयी थी और पूरी दक्षता एवं सटीक ढंग से इस अभियान को पूरा किया गया। सूचना में कहा गया था कि पीओके में शिविरों में मौजूद आतंकवादी भारत में विभिन्न हिस्सों को निशाना बनाने की ताक में हैं। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक पूरी दक्षता के साथ की गईं और लक्ष्यों पर निशाना साधा गया एवं उन्हें पूरी तरह से ध्वस्त किया गया। इस दौरान भारतीय बलों में किसी की मृत्यु का कोई मामला सामने नहीं आया।
वर्ष 2017.18 के लिए रक्षा मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांग पर चर्चा का जवाब देते हुए रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने कहा कि बदलती भू-राजनीतिक परिस्थिति में भारत के समक्ष कई तरह की सुरक्षा चुनौतियां हैं और रक्षा बल इस पर सतत नजर रखते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की रक्षा तैयारियों में कोई कमी नहीं है और मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम सीमापार आतंकवाद, अलगावावाद समेत किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उन्होंने कहा कि सीमापार सेना की सर्जिकल स्ट्राइक हमारी सैन्य तैयारी का उदाहरण है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन एवं निर्माण को भी प्राथमिकता दी जा रही है। हम रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने का प्रयास कर रहे हैं। इसी के अनुरूप हमारी रक्षा खरीद नीति भी बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इसका उदाहरण है कि स्वदेशी वेंडरों को 90 रक्षा अनुबंध प्रदान किये गए हैं जो करीब 80 हजार करोड़ रूपये के हैं। मंत्री के जवाब के बाद सदन ने रक्षा मंत्रालय की अनुदान की मांगों को मंजूरी दे दी।
भामरे ने कहा कि वर्ष 2017-18 का रक्षा व्यय 2,74,140 करोड़ रुपये रहा। इसलिए हमेशा यह कहना और यह धारणा बनाना ठीक नहीं है कि रक्षा व्यय कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ा है और रक्षा के क्षेत्र में भी खर्च में बढ़ोतरी हुई है। भामरे ने बताया कि 2014-15, 2015-16 और इस साल अब तक 2.95 लाख करोड़ रूपये के 147 करार किये गये हैं। इनमें भारतीय बलों के लिए तोप, राइफल, विमान और अन्य शस्त्रों की खरीद शामिल है।उन्होंने कहा कि सेना को मजबूती प्रदान करने के लिए ब्रह्मोस, 155 एमएम की तोप, पिनाक मिसाइल, सैनिकों के लिए बैलिस्टिक हेलमेट का, नौसेना के लिए गहरे समुद्र में बचाव करने वाले जलपोतों, डोर्नियर विमानों का और वायुसेना के लिए राफेल विमानों, हेवीलिफ्ट हेलीकॉप्टरों और अपाचे आक्रमण हेलीकॉप्टरों आदि की खरीद को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ में कोई काम नहीं होने की आलोचना सही नहीं है। स्वाभाविक है कि रक्षा क्षेत्र में बहुत पहले से काम हो रहा है लेकिन पिछले तीन साल में खरीद के स्तर पर मंजूरी की प्रक्रिया तेज हुई है। उन्होंने 2016 की नयी रक्षा खरीद नीति का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें प्रक्रिया में समयसीमा को कम से कम करने का प्रयास किया गया है ताकि मूल्यांकन, मूल्य निर्धारण सही हो और पारदर्शिता आए।
भामरे ने कहा कि नौसेना के लिए महत्वपूर्ण जहाज निर्माण परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा रहा है, साथ ही राफेल लड़ाकू विमान समेत चीनुक और अपाचे हेलीकाप्टरों की खरीद को भी आगे बढ़ाया जा रहा है। मंत्री ने कहा कि अभी हमारे पास लड़ाकू विमान के 33 स्क्वाड्रन हैं और हमें 42 स्क्वाड्रन की जरूरत है। हम इस दिशा में बढ़ रहे हैं और लड़ाकू विमान के स्क्वाड्रन को बढ़ाने के लिए सतत एवं समग्र पहल की जा रही है। इस दिशा में स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान को शामिल करना भी महत्वपूर्ण पहल है। सेना के पास न्यूनतम आयुध भंडार नहीं होने के आरोपों पर रक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि हमारे पास रिपोर्ट है जिसमें कहा गया है कि मार्च 2013 तक हमारे पास न्यूनतम आयुध भंडार नहीं था लेकिन पिछले दो वर्षों में इसमें काफी सुधार हुआ है।
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