विदेश मंत्री को उम्मीद, भारतीयों की वापसी सुगम बनाने में मदद करेंगे खाड़ी देश
लोकसभा में और फिर राज्यसभा में विदेश मंत्री जयशंकर ने विदेशों में रहने वाले भारतीयों, गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के लोगों (पीआईओ) के कल्याण से संबंधित हाल के घटनाक्रमों पर अपने बयान में यह भी कहा कि सरकार विदेशों में काम करने वाले लोगों के रोजगार की चिंताओं से पूरी तरह से अवगत है।
जयशंकर ने यह भी कहा ‘‘कोविड-19 संकट की शुरुआत के समय हमारा ध्यान दूसरे देशों में फंसे लोगों को वापस लाने पर केंद्रित था। हमारा ध्यान अब भी पढ़ाई, रोजगार या अन्य वजहों से वहां वापस जा रहे भारतीयों पर है। ’’ विदेश मंत्री के अनुसार, इस संबंध में हवाई यात्रा के लिए 27 देशों के साथ बबल समझौते किए जा चुके हैं तथा अन्य देशों के साथ भी बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि इसके तहत अकेले एयर इंडिया समूह की 9,500 से अधिक उड़ानें संचालित हुईं और 10.9 लाख भारतीय विदेश गए। ज्यादातर लोग खाड़ी देशों में गए हैं। उन्होंने दूसरे देशों में अध्ययनरत भारतीय छात्रों के बारे में कहा कि जिन संस्थानों में ये छात्र अध्ययन कर रहे हैं, उनसे वे सतत ऑनलाइन संपर्क बनाए हुए हैं। ‘‘इन छात्रों को संस्थानों की ओर से पाठ्यक्रम तथा अन्य जानकारियां मिल रही हैं और उनके आधार पर छात्र आगे के कदम उठा रहे हैं।’’ विदेश मंत्री ने कहा कि जिस तरह सरकार ने आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिये घरेलू स्तर पर काम किया, उसी तरह विदेशों में रहने वाले भारतीयों की आजीविका के लिए भी अथक प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ इस दिशा में बबल समझौता और हवाई सेवा की व्यवस्था एक अहम कदम है। इसके आगे हम अपने सहयोगी देशों की सरकारों से आग्रह कर रहे हैं कि जैसे-जैसे वे स्थिति को पटरी पर लाने की दिशा में कदम बढ़ायें, वे हमारे नागरिकों के रोजगार के विषय पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करें।’’ जयशंकर ने कहा कि हमारे इन प्रयासों के केंद्र में खाड़ी क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के महीनों में सऊदी अरब, कतर और ओमान के नेताओं के साथ चर्चा की। उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे हाल के संवाद से हमें उम्मीद है कि खाड़ी क्षेत्र में हमारी सहयोगी सरकारें भारतीयों की वापसी को सुगम बनाने में मदद करेंगी जिन्हें महामारी के कारण भारत लौटने को मजबूर होना पड़ा था।’’ जयशंकर ने ‘वंदे भारत मिशन’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके माध्यम से 98 देशों से 45,82,043 लोग भारत लौटे। इस मिशन के तहत केरल में सबसे ज्यादा लोग लौटे। इसके बाद दिल्ली और महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग लौटे। वापस आने वाले लोगों में 39 फीसदी लोग कामगार थे।Just as the Government has led the way for an economic recovery at home, we are also similarly untiring in our efforts to help renew livelihoods of our people abroad. The air travel arrangements are a necessary enabling measure: EAM S Jaishankar in Rajya Sabha pic.twitter.com/Gaah4rqua4
— ANI (@ANI) March 15, 2021
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विदेश मंत्री ने कहा कि सरकार ने उन्हें वापस लाने के लिए उचित जरूरी सुविधाएं मुहैया कराईं। भोजन, आश्रय, परिवहन सेवा, मास्क और दूसरी चिकित्सा सुविधाएं भी दी गईं। उन्होंने कहा कि हमारे दूतावास ने संबंधित सरकारों के साथ संपर्क बनाए रखा तथा सामुदायिक संगठनों के साथ संपर्क साधा। साझेदार देशों की सरकारों के सहयोग के बिना इतनी बड़ी संख्या में लोगों को वापस लाना संभव नहीं होता। जयशंकर ने कहा कि मोदी सरकार विदेश में रहने वाले लोगों के हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। जयशंकर के बयान के बाद राज्यसभा में सदस्यों ने विदेश मंत्री से स्पष्टीकरण भी पूछे। द्रमुक के तिरूचि शिवा ने जानना चाहा कि देश लौटे कई भारतीय वापस नहीं जाना चाहते और सरकार ने उनके भविष्य के लिए क्या योजनाएं बनाई हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने पूछा कि कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। ऐसे में पश्चिम एशियाई देशों में काम करने वाले भारतीय वापस जाएंगे तो क्या उन्हें पहले की तरह वेतन मिल पाएगा। उन्होंने विदेशों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य को लेकर भी सवाल पूछा। राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा ‘‘पूर्वी देशों में रह रहे भारतीयों की समस्याओं के हल के लिए सरकार की क्या योजना है ?’’ उन्होंने स्थानीय स्तर पर उद्योगों को बढ़ावा देने की मांग भी की ताकि वापस लौटे उन भारतीयों को रोजगार मिल सके जो वापस नहीं जाना चाहते। राजद के मनोज झा ने खाड़ी देशों से बिहार और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों की बड़ी संख्या में वापसी का जिक्र करते हुए कहा कि इन लोगों के भविष्य के लिए सरकार को कदम उठाना चाहिए। शिरोमणि अकाली दल के सदस्य नरेश गुजराल ने विदेशों में जान गंवाने वाले भारतीयों के परिवार वालों की मदद के लिए हेल्प डेस्क बनाने की मांग की।
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