पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा TMC में हुए शामिल, चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर उठाये सवाल

Yashwant Sinha
अभिनय आकाश । Mar 13 2021 12:36PM

बिहार के पटना में जन्मे और शिक्षित हुए सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। यशवंत सिन्हा बीजेपी से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे और अपने बयानों से सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे।

लगातार अपने बयानों से मोदी सरकार को घेरने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले हैं। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा टीएमसी भवन पहुंच गए हैं। बता दें कि यशवंत सिन्हा बीजेपी से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे और अपने बयानों से सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे। कहा जा रहा है कि यशवंत सिन्हा राज्यसभा भेजे जा सकते हैं। दिनेश त्रिवेदी ने हाल ही में राज्यसभा पद से इस्तीफा दिया है जिसके बाद से यह सीट यशवंत सिन्हा को दिए जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। 

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आयोग की निष्पक्षता पर उठाये सवाल

टीएमसी में शामिल होने के बाद यशवंत सिन्हा के निशाने पर चुनाव आयोग रहा। उन्होंने कहा कि मैं बहुत अफसोस के साथ कह रहा हूं कि चुनाव आयोग अब स्वतंत्र संस्था नहीं रही है। तोड़-मरोड़ कर चुनाव(8 चरणों में मतदान) कराने का फैसला मोदी-शाह के नियंत्रण में लिया गया है और भाजपा को फायदा पहुंचाने के​ ​ख्याल से लिया गया है। यशवंत सिन्हा ने टीएमसी की शान में कसीदे पढ़ते हुए कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस बहुत बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस आएगी। बंगाल से पूरे देश में एक संदेश जाना चाहिए कि जो कुछ मोदी और शाह दिल्ली से चला रहे हैं, अब देश उसको बर्दाश्त नहीं करेगा। 

बिहार के पटना में जन्मे और शिक्षित हुए सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स (स्नातकोत्तर) डिग्री प्राप्त की। इसके उपरांत उन्होंने पटना विश्वविद्यालय में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी। उन्होंने यह कहते हुए भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के पश्चात् पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से असंतुष्ट थे। 

राजनीतिक करियर

  • यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति से जुड़ गए।
  •  1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया।
  • जून 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने। मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया। 
  • 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे। 

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