समिति के चारों सदस्य ‘काले कानूनों के पक्षधर’, किसानों को न्याय नहीं मिल सकता: कांग्रेस

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कांग्रेस ने कृषि कानूनों को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के मकसद से मंगलवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई समिति के चारों सदस्यों को ‘काले कृषि कानूनों का पक्षधर’ करार दिया और दावा किया कि इन लोगों की मौजूदगी वाली समिति से किसानों को न्याय नहीं मिल सकता।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने कृषि कानूनों को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के मकसद से मंगलवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित की गई समिति के चारों सदस्यों को ‘काले कृषि कानूनों का पक्षधर’ करार दिया और दावा किया कि इन लोगों की मौजूदगी वाली समिति से किसानों को न्याय नहीं मिल सकता। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यह भी कहा कि इस मामले का एकमात्र समाधान तीनों कानूनों का रद्द करना है।

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उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने तीन नये कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिये चार सदस्यीय समिति गठित कर दी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिये भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घन्वत, दक्षिण एशिया के अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की।

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सुरजेवाला ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि समिति के इन चारों सदस्यों ने इन कानूनों का अलग अलग मौकों पर खुलकर समर्थन किया है। उन्होंने सवाल किया, ‘‘जब समिति के चारों सदस्य पहले से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और खेत-खलिहान को बेचने की उनकी साजिश के साथ खड़े हैं तो फिर ऐसी समिति किसानों के साथ कैसे न्याय करेगी?’’ सुरजेवाला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को जब सरकार को फटकार लगाई तो उम्मीद पैदा हुई कि किसानों के साथ न्याय होगा, लेकिन इस समिति को देखकर ऐसी कोई उम्मीद नहीं जगती।

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हमें नहीं मालूम कि उच्चतम न्यायालय को इन लोगों के बारे में पहले बताया गया था या नहीं? वैसे, किसान इन कानूनों को लेकर उच्चतम न्यायालय नहीं गए थे। इनमें से एक सदस्य भूपिन्दर सिंह इस कानूनों के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय गए थे। फिर मामला दायर करने वाला ही समिति में कैसे हो सकता है? इन चारों व्यक्तियों की पृष्ठभूमि की जांच क्यों नहीं की गई? कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘ये चारों लोग काले कानूनों के पक्षधर हैं। इनकी मौजूदगी वाली समिति से किसानों को न्याय नहीं मिल सकता। इस पर अब पूरे देश को मंथन करने की जरूरत है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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