भारतीयों को जलवायु परिवर्तन से निपटने की कोशिश करते देख गांधी को खुशी होती: जयशंकर

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[email protected] । Oct 3 2019 4:09PM

जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं, जलवायु परिवर्तन से केवल नवीकरणीय ऊर्जा और अधिक ऊर्जा क्षमता विकसित करके ही निपटा नहीं जा सकता। इसके लिए हमारी जीवनशैली में वास्तविक बदलाव करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 2019 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीत मिली। ऐसा सामाजिक-आर्थिक सेवाओं के मामले में प्रभावी तरीके से काम करने और इस दृष्टिकोण के अनुरूप लाभों के कारण संभव हुआ।

वाशिंगटन। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यदि महात्मा गांधी भारतीयों को जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ध्यान केंद्रित करते देखते, तो उन्हें खुशी होती। जयशंकर ने जोर दिया कि इस वैश्विक चुनौती से केवल नवीकरणीय ऊर्जा विकसित करके नहीं निपटा जा सकता और इससे निपटने के लिए जीवनशैली में वास्तविक बदलाव करने की आवश्यकता है। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस के पुस्तकालय में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर आयोजित एक समारोह में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते संयुक्त राष्ट्र में एक कार्यक्रम में पूछा था कि अगर महात्मा गांधी एक स्वतंत्र देश में पैदा हुए होते, तो क्या होता।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘स्पष्ट रूप से, इसका जवाब सरल नहीं है, क्योंकि गांधी जी का दृष्टिकोण और उनके विचार मानव गतिविधि में बहुत व्यापक स्तर तक फैले हैं। हम एक हद तक इसे कुछ सीमाओं के भीतर परिभाषित कर सकते हैं, संभवत: 17 सतत विकास लक्ष्यों के जरिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ तरीके से बताया जा सकता है।

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दुनिया आज इन लक्ष्यों को हासिल करना चाहती है।’’ उन्होंने कहा कि इन लक्ष्यों में गरीबी और भुखमरी को समाप्त करने, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार सुनिश्चित करने, लैंगिक एवं आय में समानता हासिल करने, जलवायु परिवर्तन से निपटने और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली अपनाने, उसी के अनुसार हमारी उपभोग एवं उत्पादन की आदतों को ढालने और सतत विकास के लिए घरेलू एवं वैश्विक साझेदारियां करने की बात की गई है। जयशंकर ने कहा, ‘‘दरअसल, ये सभी बातें गांधी जी के लेखन, उन्होंने जिन चीजों की वकालत की और उन्होंने जो उदाहरण पेश किए, उनमें प्रतिबिम्बित होती है। वह वास्तव में एक ऐसी हस्ती थे, जो अपने दौर से आगे की सोचते थे और उनकी सीख की प्रासंगिकता आधुनिक समय में और बढ़ी है।’’ उन्होंने कहा कि गांधी हमें जिन चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करते देखना चाहते थे, जलवायु परिवर्तन उनमें से एक है।  मंत्री ने कहा, ‘‘पेरिस में, हमारी मध्यस्थता के कारण विभिन्न क्षेत्र एवं हित एकसाथ आए। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन की स्थापना के कारण विश्व में व्यापक स्तर पर सौर तकनीक का प्रयोग किया गया। स्वयं भारत ने 120 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता का निर्माण किया है। हमारा लक्ष्य 2022 तक 175 गीगावाट क्षमता हासिल करना है।’’उन्होंने कहा कि भारत की नई आकांक्षा 2030 तक 450 गीगावाट नवीकरणीय क्षमता विकसित करना है।

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जयशंकर ने कहा, ‘‘लेकिन जैसा कि आप सभी जानते हैं, जलवायु परिवर्तन से केवल नवीकरणीय ऊर्जा और अधिक ऊर्जा क्षमता विकसित करके ही निपटा नहीं जा सकता। इसके लिए हमारी जीवनशैली में वास्तविक बदलाव करने की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को 2019 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीत मिली। ऐसा सामाजिक-आर्थिक सेवाओं के मामले में प्रभावी तरीके से काम करने और इस दृष्टिकोण के अनुरूप लाभों के कारण संभव हुआ। जयशंकर ने कहा, ‘‘मोदी सरकार के राष्ट्रीय आंदोलनों ने एसडीजी के सार को अपनाया, भले ही यह स्वच्छ भारत हो, बेटी पढाओ बेटी बचाओ हो, आयुष्मान भारत हो, जन धन योजना हो, नमामि गंगे हो, स्मार्ट सिटीज हो, डिजिटल भारत हो, कौशल भारत-कुशल भारत हो या स्टार्ट अप इंडिया हो। ग्रामीण आवास के अलावा विद्युत, खाना बनाने वाली गैस और पानी तक सार्वजनिक पहुंच मुहैया कराने के लिए महत्वाकांक्षी पहलें इन आंदोलनों को आज समर्थन दे रही हैं।’’ जयशंकर ने कहा, ‘‘2014 से अब तक नौ करोड़ 90 लाख शौचालय बनाकर पूरी आबादी को यह सुविधा मुहैया कराई गई है। इसके अलावा एक करोड़ 50 लाख किफायती ग्रामीण घर बनाए गए हैं और दो करोड़ निर्माणाधीन हैं। आठ करोड़ महिलाओं को खाना बनाने में इस्तेमाल होने वाली गैस के कनेक्शन मुहैया कराए गए हैं। बीस करोड़ लघु कर मुहैया कराए गए हैं, इनमें से 75 प्रतिशत कर महिलाओं को दिए गए हैं। 36 करोड़ नए बैंक खाते खोले गए हैं।’’

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उन्होंने कहा कि आगामी पांच साल में केवल मौजूदा पहलों को ही आगे नहीं लेकर जाया जाएगा बल्कि नए आंदोलन भी शुरू किए जाएंगे। एक बार इस्तेमाल हो सकने वाली प्लास्टिक को बंद करना इसी प्रकार की नई मुहिम है।जयशंकर ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री द्वारा एक राष्ट्रीय संबोधन में लड़कियों के लिए शौचालय की बात करना लोगों को अजीब लगा। उन्होंने कहा कि वे लोग शायद गांधी की एक प्रसिद्ध उक्ति को भूल गए कि ‘स्वच्छता में ही ईश्वर का वास होता है’ या ‘स्वच्छता, आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका तक पहुंच सुनिश्चित कर मानव अधिकारों को सबसे व्यावहारिक रूप में प्रदान किया जा सकता है।’ उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से, भारत के लोगों ने एक अलग ढंग से इन चीजों को लिया और समय आने पर इसे दृढ़ता से लागू भी किया। जयशंकर ने कहा कि प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी ने अमेरिका में इसी प्रकार की प्राथमिकाओं में सराहनीय नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा, ‘‘स्वच्छ शासन एवं हरित विकास की ओर आपकी प्रतिबद्धता को व्यापक स्तर पर पहचाना गया है।’’

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