Pandit Birju Maharaj के नृत्य के वक्त घुंघरू भी किया करते थे बात, कथक को दुनिया में दिलाया अलग मुकाम

Birju Maharaj
प्रतिरूप फोटो
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Prabhasakshi News Desk । Feb 4 2025 11:52AM

बिरजू महाराज का आज जन्मदिन है। बिरजू महाराज एक ऐसी शख्सियत थे, जो घुंघरू की झंकार से दर्शकों का मन मोह लेते थे। कहा जाता है कि बिरजू महाराज जब नृत्य करते थे, तब उनके घुंघरू भी बात करते थे। ताल और घुंघरू का तालमेल करना एक नर्तक के लिए आम बात है।

सुप्रसिद्ध कथक नर्तक बिरजू महाराज का आज जन्मदिन है। बिरजू महाराज एक ऐसी शख्सियत थे, जो घुंघरू की झंकार से दर्शकों का मन मोह लेते थे। कहा जाता है कि बिरजू महाराज जब नृत्य करते थे, तब उनके घुंघरू भी बात करते थे। ताल और घुंघरू का तालमेल करना एक नर्तक के लिए आम बात है, लेकिन अपनी घुंघरू की झनकार से दर्शकों को मनमोहित करने की जब बात होती है तो बिरजू महाराज का नाम सबसे पहले आता है। उन्होंने कथक को भारत सहित पूरे विश्व में एक अलग मुकाम पर पहुंचाया था। आज बिरजू महाराज के जन्मदिन के मौके पर जानते हैं उनके बारे में कुछ खास बातें।

बिरजू महाराज का प्रारम्भिक जीवन

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी 1938 को हुआ था। महाराज के पिता का नाम जगन्नाथ महाराज और माताजी का नाम अम्मा महाराज था। बिरजू महाराज जब केवल तीन साल के थे, तभी पिता ने उनमें नृत्य की प्रतिभा को देखते हुए दीक्षा देना शुरू कर दिया था। जब बिरजू महाराज नौ साल के हुए तो उनके पिता की मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्होंने चाचा आचार्य शंभू और लच्छू महाराज से दीक्षा लेना शुरू कर दिया। कुछ वर्षों बाद पंडित महाराज दिल्ली आ गए और संगीत भारती में बच्चों को कथक सिखाना शुरू कर दिया।

कई कलाओं में की महारत हासिल

बिरजू महाराज को कथक के साथ-साथ तबला, पखावज नाल और सितार आदि वाद्य यंत्र में भी महारत हासिल थी। इसके साथ ही वे एक अच्छे गायक कवि और चित्रकार भी थे। उन्होंने कथक को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली में नृत्य स्कूल 'कलाश्रम' की स्थापना की, जहां कथक के अलावा इससे संबंधित विषयों पर शिक्षा दी जाती थी। बिरजू महाराज ने कथक को एक अलग पहचान दी। उन्होंने कई हिंदी फिल्मों में भी नृत्य का निर्देशन किया है। बिरजू महाराज ने सत्यजीत राय की शास्त्रीय कीर्ति 'शतरंज के खिलाड़ी', यश चोपड़ा की फिल्म 'दिल तो पागल है', 'गदर एक प्रेम कथा' 'डेढ़ इश्किया' और संजय लीला भंसाली की फिल्म 'देवदास' के साथ साथ 'बाजीराव मस्तानी' में नृत्य का निर्देशन किया है।

पुरस्कार

उन्होंने अपने लंबे सफर में कई प्रसिद्धियां बटोरी हैं। बिरजू महाराज को 1986 को पद्म विभूषण सम्मान, संगीत नाटक अकादमी और कालिदास सम्मान से भी नवाजा गया था। इसके बाद साल 2002 में लता मंगेशकर पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया। साल 2012 में सर्वश्रेष्ठ नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार फिल्म विश्वरूपम से उन्हें नवाजा गया। इसके बाद 2016 में पंडित बिरजू महाराज को हिंदी फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में मोहे रंग दो लाल गाने के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला।

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