कोरोना का असर! नई तकनीकों को सीखने में जुटे स्कूल के टीचर, वेबिनार में ले रहे हिस्सा
ऑनलाइन कक्षाएं केवल स्कूली बच्चों के लिए नई नहीं हैं बल्कि पढ़ा रहे टीचर्स के लिए भी है।ऑनलाइन क्लासेज शिक्षकों के लिए भी नई चुनौतियाँ पेश कर रहा है। ये शिक्षक ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाने के अलावा नई तकनीकों के बारे में खुद को अपडेट करने के लिए वेबिनार में भी भाग ले रहे हैं ।
कोरोना महामारी के बीच स्कूल के बच्चों की क्लासेज ऑफलाइन से ऑनलाइन में तबदील हो गई है। जहां इन बच्चों को पेन और पेपर में काम करना पड़ता था आज वहीं कोरोना संकट के बीच इन बच्चों की उंगलियां की-बॉर्ड में चल रही है। लेकिन ये ऑनलाइन कक्षाएं केवल स्कूली बच्चों के लिए नई नहीं हैं बल्कि पढ़ा रहे टीचर्स के लिए भी है। बता दें कि ऑनलाइन क्लासेज शिक्षकों के लिए भी नई चुनौतियाँ पेश कर रहा है। ये शिक्षक ऑनलाइन क्लासेज में पढ़ाने के अलावा नई तकनीकों के बारे में खुद को अपडेट करने के लिए वेबिनार में भी भाग ले रहे हैं ताकि वह अपने छात्रों की हर चीज में मदद कर सके। 42 साल की शेफाली आर्य, जिन्होंने 19 साल से होम साइंस पढ़ाया है, ने कहा कि "मैं तकनीक में अच्छी नहीं हूं।" उन्होनें बताया कि वह नई तकनीक को सीखने के लिए अपने बेटे की मदद लेती है साथ ही वह नए-नए खाने की विडियों अपने बेटे से बनवाकर अपने छात्रों को बिना किसी मुश्किल के शेयर करती है। नई तकनीक के साथ काम करना शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
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इससे ऑनलाइन क्लास में टीचर का स्क्रीन टाइम भी काफी बढ़ गया है। लगभग सभी शिक्षक शिफ्ट से ज्यादा वक्त ऑवलाइन क्लासेज में दे रहे है। जीडी गोयनका स्कूल की एक शिक्षिका ने बताया कि उनका स्क्रीन टाइम सुबह 7 बजे शुरू होता है और दोपहर 1 बजे तक चलता है। क्लासेज अधिकतम तीन घंटे की होती हैं, लेकिन उन्हें अगले दिन की क्लासेज के लिए काम करना पड़ता है। साथ ही ऑनलाइन क्सासेज की तैयारी करने से लेकर असाइनमेंट तक और फिर छात्रों की ऑनलाइन क्लासेज में अनुपस्थित न होने के कारण छात्रों के माता-पिता को कॉल करना तक शामिल है।
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पूसा रोड स्थित स्प्रिंगडेल्स स्कूल में सामाजिक विज्ञान पढ़ाने वाली सौम्या तनेजा ने कहा कि नया टिचिंग फॉर्म शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। लेकिन "अब सारी क्लासेज के लिए में PowerPoint का इस्तेमाल कर रही हूं, साथ ही क्विज़ और गेम सॉफ्टवेयर को भी अपनी क्लासेज में शामिल कर रही हूं ताकि बच्चे बोर न हो'। जामिया मिलिया इस्लामिया सेकेंडरी स्कूल में एक अंग्रेजी शिक्षक गजाला सिद्दीकी का अपना YouTube चैनल है, जिस पर वह छात्रों के लिए पढ़ाई से संबधित विडियो अपलोड करती है। वहीं मयूर विहार स्थित अह्लकॉन इंटरनेशनल स्कूल के फिजिक्स शिक्षक मयंक दुगर ने कहा कि उन्होंने अपने क्लास 9 के बच्चों को पढ़ाने के लिए क्विजलेट जैसी ऑनलाइन क्विज़ और वेबसाइटों का उपयोग किया है। उन्होंने नए टूल और वेबसाइटों को सीखने के लिए कई वेबिनार में भी भाग लिया।
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