सिमडेगा में भीड़ द्वारा की गयी नृशंस हत्या मामले में ग्राम प्रधान गिरफ्तार

Arrest

एक पखवाड़ा पहले ही झारखंड विधानसभा ने शीतकालीन सत्र में भीड़ की हिंसा को रोकने से संबंधित एक विधेयक पारित किया था, जिसमें हिंसा के दोषी व्यक्तियों के लिए तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा जुर्माना और संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।

सिमडेगा| झारखंड के सिमडेगा जिले के कोलेबिरा थानांतर्गत बेसराजरा गांव में गत चार जनवरी को उन्मादी भीड़ के द्वारा भाजपा कार्यकर्ता संजू प्रधान को जिंदा जलाकर मारने की घटना के कथित मास्टरमाइंड ग्राम प्रधान सुबन बूढ़ को पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना के बाद से ही पुलिस इस नृशंस घटना के कथित मास्टरमाइंड ग्राम प्रधान की तलाश कर रही थी और लगातार दबिश देने के बाद आज उसे गिरफ्तार करने में सफलता मिली। सिमडेगा जिले के कोलेबिरा थाना क्षेत्र में चार जनवरी को भीड़ ने पेड़ काटने के संदेह में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी और फिर शव को जला दिया था।

पुलिस सूत्रों ने बताया था कि मौके पर इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित थे कि उन्हें नियंत्रित करने में पुलिस प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी।

थाना प्रभारी रामेश्वर भगत ने बताया था कि ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान कई बार मना करने पर भी जंगल से पेड़ काटकर बेच देता था। इसलिए ग्रामीणों ने आक्रोशित होकर यह कदम उठाया।

सिमडेगा के पुलिस अधीक्षक शम्स तबरेज ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि 32 वर्षीय युवक संजू प्रधान की भीड़ के साथ मिलकर निर्मम हत्या करने के मामले में शामिल रहे सात आरोपियों को पुलिस पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

घटना के विरोध में बुधवार को भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिले भर में मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर विरोध जताया और भोक्ता समाज ने कोलेबिरा में सड़क जाम कर घटना पर रोष जताते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की थी।

बुधवार को पुलिस ने 13 नामजद समेत कुल 38 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। मारे गये युवक की पत्नी ने आरोप लगाया है कि जब उन्मादी भीड़ ने संजू को घेर कर पत्थरों एवं लाठियों से मारा तो वह वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों से लगातार उसे बचाने के लिए गिड़गिड़ाती रही लेकिन किसी पुलिसकर्मी ने उसकी कोई मदद नहीं की। उसने यह भी आरोप लगाया कि उसके पति को जब जलाया गया तब वह जिंदा था।

एक पखवाड़ा पहले ही झारखंड विधानसभा ने शीतकालीन सत्र में भीड़ की हिंसा को रोकने से संबंधित एक विधेयक पारित किया था, जिसमें हिंसा के दोषी व्यक्तियों के लिए तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा के अलावा जुर्माना और संपत्ति कुर्क करने का प्रावधान है।

पश्चिम बंगाल और राजस्थान के बाद ऐसा कानून पारित करने वाला झारखंड देश का तीसरा राज्य बन गया है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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