कहां से आया 'सर तन से जुदा' का नारा, कैसे पूरे भारत में फैल गया, देखते ही देखते बन गया बेरहमी से हत्या का एजेंडा

 Sar tan Se Juda
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Aug 24 2022 6:43PM

साल 2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई थी। दरअसल, सलमान तासीर ने पाकिस्तान के बदनाम ईशनिंदा कानून की आलोचना की थी। जिसके बाद उन्हीं के बॉडीगार्ड मुमताज कादिरी ने सलमान तासीर को गोली मार दी।

गुस्ताख ए रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। गुस्ताख का मतलब होता है अपमान और रसूल का मतलब है पैगंबर मोहम्मद साहब यानी पैगंबर मोहम्मद साहब का जो भी अपमान करेगा उसका सिर धड़ से अलग कर दिया जाएगा। पहले  ईश निंदा पर मुसलमानों द्वारा कभी कभार इक्का दूक्का टारगेटेड हमलों में काफी अंतराल हुआ करता था लेकिन भारत में  इस्लामिक कट्टरता अब अपने क्लाइमेक्स के चरण में प्रवेश कर गई है। यानी अब टारगेट केवल इस निंदा का आरोपी नहीं होगा  बल्कि ईश निंदा के आरोपी का समर्थन करने वाला होने लगा है यानी टारगेट एक नही अब टारगेट  मास ( समूह/समुदाय) बन गया है। 

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पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ एक वीडियो में उनकी कथित टिप्पणी पर गिरफ्तारी के कुछ घंटों बाद बीजेपी से निलंबित विधायक टी राजा सिंह को जमानत मिल गई। हैदराबाद के कई हिस्सों में निलंबित भाजपा नेता राजा सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है. इन प्रदर्शनों में ‘सर तन से जुदा’ के नारे लगे। सर तन से जुदा नारा बोलना कट्टरपंथियों का फैशन बन गया है। इससे पहले सर तन से जुदा के नारे के नाम पर कन्हैया लाल और उमेश कोल्हे जैसे लोगों को बेरहमी से कत्ल कर दिया गया है। अब धार्मिक जुलुसों में भी सर तन से जुदा के नारे लगने लगे हैं। सर तन से जुदा समाज में दहशत फैलाने और लोगों को डराने का जरिया बनता जा रहा है। क्या इस्लाम में जो सबक बताए गए हैं उनमें कही भी सर तन से जुदा का जिक्र है? क्या कुरान में कहीं कहा गया है कि सर तन से जुदा करो? जिसका सीधा सा जवाब है- नहीं। फिर आखिर ये सर तन से जुदा का नारा आया कहां से? 

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इसका जवाब है आतंकियों का अड्डा यानी पाकिस्तान। साल 2011 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई थी। दरअसल, सलमान तासीर ने पाकिस्तान के बदनाम ईशनिंदा कानून की आलोचना की थी। जिसके बाद उन्हीं के बॉडीगार्ड मुमताज कादिरी ने सलमान तासीर को गोली मार दी। खादिम हुसैन रिजवी के कट्टरपंथी संगठन तहरीक ए लब्बैक ने हत्यारे मुमताज को गाजी की उपाधि दी थी। इसी दौर से दो नारे निकले थे। पहला- लब्बैक रसूल अल्लाह और दूसरा गुस्ताख ए नबी की एक ही सजा, सर तन से जुदा, सर तन से जुदा। साल 2015 आते आते खादिम की तहरीक ए लब्बैक ने इस नारे को काफी प्रचलित किया और धीरे धीरे ये वार क्राई का रूप भी लेने लगा। साल 2018-19 में भारत के इस्लामी कट्टरपंथियों ने इस नारे को अपनाना शुरू किया। अब ये भारत में विभिन्न इस्लामी कट्टरपंथियों के प्रदर्शन में भी सुना जाने लगा है। मतलब 10 सालों के अंदर-अंदर पाकिस्तान का ये कट्टपंथी जहर फैलता गया। हिन्दुस्तान में सर तन से जुदा बेरहमी से हत्या का एजेंडा बन चुका है। 

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