पितृपक्ष में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करना है तो करना होगा यह काम
पितरों का श्राद्ध हमेशा उस तिथि को करना चाहिए, जिस तिथि में वह परलोक चले गए थे। इसलिए उसी दिन दान दक्षिणा और ब्राहमणों को भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष भी खत्म होता है और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं।
मान्यता है की पितृपक्ष में पितृ अपने परिजनों के यहां निवास करते हैं, इसलिए उनको प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध और तर्पण विधि विधान से किया जाना जरूरी है। जिससे उनकी आत्मा को शांति मिल सकें और वह प्रसन्न होकर सुख समृद्धि का आशीर्वाद हमें दे सकें। पितृपक्ष को शुभ समय माना गया है, क्योंकि इस समय देवता तुल्य पितृ अपने परिजनों के यहां आते हैं और खुश होकर उन्हें आशीर्वाद भी देते हैं। यहीं वह समय हैं जब कई समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
मेरठ कैंट स्तिथ प्रसिद्ध पीठ भगवान् औघ्रनाथ मंदिर के पुजारी प०सारंगधर त्रिपाठी बताते है की पितरों का श्राद्ध हमेशा उस तिथि को करना चाहिए, जिस तिथि में वह परलोक चले गए थे। इसलिए उसी दिन दान दक्षिणा और ब्राहमणों को भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने से पितृदोष भी खत्म होता है और बिगड़े हुए काम भी बनने लगते हैं। पितृपक्ष में हर रोज पितरों के नाम का जल तर्पण करना चाहिए। साथ ही कुछ दान भी करना चाहिए। अगर दान करना संभव न हो तो कबूतर और कौओं के लिए एक हिस्सा भोजन का निकालकर छत पर रख देना चाहिए। पितृपक्ष में गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति को कभी भी द्वार से खाली हाथ नहीं जाने देना चाहिए। माना जाता है कि पितर किसी भी रूप में आ सकते हैं। इसलिए हमेशा उनके आदर सत्कार के लिए तत्पर रहना चाहिए। जिससे किसी भी प्रकार उनका अनादर न हो। ऐसा करने से पितर और माता लक्ष्मी दोनों ही प्रसन्न होती है। पितृ भी धन वैभव और खुशहाली का आशीर्वाद देते है।
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