ओमीक्रोन को हल्के में लेने की गलती नहीं करें और कोविड दवाओं के दुरुपयोग से बचेंः सरकार

Omicron

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की बात करें तो पिछले चौबीस घंटों में संक्रमण के कुल 2,47,417 नए मामले आए हैं जिनमें ओमीक्रोन स्वरूप के 5,488 मामले शामिल हैं। इसके साथ ही महामारी के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,63,17,927 हो गयी है।

नमस्कार न्यूजरूम में आप सभी का स्वागत है। भारत में कोरोना ने खतरनाक रफ्तार पकड़ ली है लेकिन हैरत की बात यह है कि लोग अब भी सतर्क नहीं हो रहे हैं जिसको देखते हुए सरकार ने कहा है कि ओमीक्रोन को हल्के में लेने की गलती नहीं करें। सरकार ने कोविड दवाओं के दुरुपयोग को लेकर भी चेताया है। भारत में कोरोना के आंकड़ों की बात करें तो 236 दिनों के बाद देश में लगभग ढाई लाख के आसपास संक्रमण के नये मामले आये हैं। वैसे यह तो आधिकारिक आंकड़े हैं लेकिन असल आंकड़े इससे भी ज्यादा हो सकते हैं क्योंकि खासकर शहरों में जो लोग सेल्फ टेस्ट किटों से जाँच कर रहे हैं वह अपने स्वास्थ्य के बारे में जानकारी सरकार के साथ साझा नहीं कर रहे हैं जोकि चिंता की बात है।

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भारत में कोरोना की लहर तेज

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों की बात करें तो पिछले चौबीस घंटों में संक्रमण के कुल 2,47,417 नए मामले आए हैं जिनमें ओमीक्रोन स्वरूप के 5,488 मामले शामिल हैं। इसके साथ ही महामारी के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 3,63,17,927 हो गयी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में ओमीक्रोन स्वरूप के एक दिन में 620 मामले आए जो अब तक सर्वाधिक मामले हैं और इसी के साथ ही कोरोना वायरस के इस स्वरूप के मामले बढ़कर 5,488 हो गए हैं। इनमें से 2,162 लोग स्वस्थ हो गए या देश छोड़कर चले गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, उपचाराधीन मरीजों की संख्या बढ़कर 11,17,531 हो गयी है जो 216 दिनों में सर्वाधिक है जबकि 380 मरीजों के जान गंवाने से मृतकों की संख्या बढ़कर 4,85,035 हो गयी है।

ओमीक्रोन को हल्के में नहीं लें

इस बीच, केंद्र सरकार ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं के दुरुपयोग तथा इसके अधिक मात्रा में इस्तेमाल के खिलाफ आगाह किया है। सरकार ने लोगों से कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के इलाज के दौरान दवाओं का इस्तेमाल विवेकपूर्ण तरीके से करें। नीति आयोग (स्वास्थ्य) के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा, ‘‘हम जो भी दवा देते हैं उसका विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल होना चाहिए, इसका अधिक मात्रा में इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।'' उन्होंने कहा कि पिछली बार हमने बहुत डरावनी स्थिति देखी जब दवाओं के अधिक मात्रा में इस्तेमाल कारण बहुत संख्या में लोगों को म्यूकरमाइकोसिस होने का खतरा बढ़ गया।’’ डॉ. वीके पॉल ने कहा कि स्टेरॉयड के इस्तेमाल से म्यूकरमाइकोसिस होने का खतर बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि स्टेरॉयड एक सशक्त जीवन रक्षक दवा है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी होते हैं जिससे प्रतिरक्षा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। डॉ. पॉल के मुताबिक स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल कई जैवरसायन के रास्ते में रुकावट बन जाता है, इसलिए इसका अधिक मात्रा में इस्तेमाल बहुत बड़ा सबक था।

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डॉ. पॉल ने कहा कि आम आदमी को पता होना चाहिए कि राष्ट्रीय प्रोटोकॉल-आयुष और मुख्यधारा के प्रोटोकॉल के तहत सटीक उपचारों की एक सूची है और हमें उसी तक सीमित रहना चाहिए। डॉ. पॉल ने कहा कि ये प्रोटोकॉल सर्वश्रेष्ठ विशेषज्ञों द्वारा तैयार किए गए हैं, लेकिन हमें असल चिंता कोविड के उपचार में दवाओं के अधिक मात्रा में इस्तेमाल और दुरुपयोग को लेकर है। डॉ. पॉल ने कहा, ‘‘बुखार के लिए पैरासिटामोल दिया जाता है और खांसी के लिए आयुष सिरप का उपयोग किया जा सकता है। यही हमने होम केयर मॉड्यूल में भी निर्धारित किया है। यदि खांसी तीन दिनों से अधिक समय तक रहती है, तो बुडेसोनाइड नामक एक इनहेलर होता है, केवल यही तीन चीजें हैं जिन्हें उपयोग करने की जरूरत है। इसके अलावा गरारे करें, आराम करें, ज्यादा काम न करें।’’ डॉ. वीके पॉल ने हालांकि यह भी कहा कि ओमीक्रोन को हल्के में लेने की भूल नहीं करें।

महाराष्ट्र सरकार चिंतित

इस बीच, महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार जनवरी के अंत या फरवरी के पहले सप्ताह में राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में तेजी आने की आशंका है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि बुधवार को एक प्रस्तुति के दौरान स्वास्थ्य विभाग द्वारा यह अनुमान जताए जाने के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने इस पर चिंता व्यक्त की। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि राज्य में चिकित्सीय ऑक्सीजन की दैनिक आवश्यकता में वृद्धि देखी गई है और वर्तमान मांग 400 मीट्रिक टन है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बैठक के दौरान कहा, ‘‘अगर ऑक्सीजन की मांग 700 मीट्रिक टन तक बढ़ जाती है, तो सख्त प्रतिबंधों की आवश्यकता होगी। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन को टीकाकरण में तेजी लानी चाहिए और आवश्यक कदम उठाने चाहिए।’’

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