कोरोना महामारी के बाद सरकार की चौकस आर्थिक नीतियों की वजह से भारत अच्छी स्थिति में: भाजपा

 Gopal Krishna Agarwal

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्णा अग्रवाल ने कहा इसके विपरीत महामारी से पैदा हुए उससे बड़े संकट को मोदी सरकार ने ‘‘उत्कृष्टता’’ के साथ प्रबंधन किया और आज स्थिति यह है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना है कि वह 14 महीनों तक आयात का कोष उपलब्ध करा सकता है।

नयी दिल्ली|  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था में पैदा हुए संकट से निपटने में भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नीत केंद्र सरकार की चौकस आर्थिक नीतियों के कारण कई अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में रहा।

पार्टी ने साथ ही केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती किए जाने के बाद विपक्ष शासित राज्यों में मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती नहीं किए जाने की आलोचना की।

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भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल में वैट में कटौती नहीं किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि केंद्र व अधिकतर भाजपा व राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) शासित राज्यों में पेट्रोल व डीजल की कीमतों में की गई कटौती की बदौलत ग्राहकों के हाथ में 88,000 करोड़ रुपये जाएंगे और केंद्र सरकार मांग में वृद्धि के लिए काम कर रही है।

सही समय पर उचित निर्णय लेने के लिए मोदी सरकार की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि जब ईंधन की वैश्विक कीमतें गिर रही थीं तब उसने संसाधन बढ़ाए और महामारी से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों को वित्तीय सहयोग प्रदान किया।

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती वैश्विक कीमतों के बावजूद भारत सरकार ने पेट्रोल व डीजल की कीमतों में कटौती की है।

उन्होंने कहा कि कई अन्य देशों की तरह भारत ने अनियंत्रित राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण नहीं किया, जिसकी वजह से वह अमेरिका और यूरोप सहित विश्व के अन्य देशों में ‘स्फीति-विषयक’ दबावों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘अधिकतर देशों ने बड़े स्तर पर मुद्रा छापने और ‘हेलीकॉप्टर मनी’ जैसी जल्द परिणाम देने वाली नीतियों को अपनाया... लेकिन हमने अनियंत्रित राजकोषीय घाटे का वित्तपोषण नहीं किया। हमारी सरकार ने भारी दबाव के बावजूद चौकस भरी आर्थिक नीतियों को अपनाया।’’

ज्ञात हो कि आर्थिक संकट के बीच जब आम लोगों का खर्च कम हो जाता है तो सरकार मुफ्त पैसे बांटकर लोगों के खर्च और उपभोग को बढ़ावा देती है।

देश के आम लोगों के खर्च में बढ़ोतरी होने से मांग बढ़ती है और अर्थव्यवस्था में सुधार आता है। यही पैसा ‘हेलीकॉप्टर मनी’ कहलाता है।

उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने समय-समय पर वित्तीय प्रोत्साहन का रुख किया और क्षेत्रवार आर्थिक पैकेज दिए तथा समाज के सबसे पिछड़े तबके को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से मदद की।

भाजपा प्रवक्ता ने 2004 से 2014 तक के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल को अर्थव्यवस्था के लिहाज से भारत के लिए सबसे बेकार करार दिया और कहा कि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उसके खराब प्रबंधन के चलते देश में 2013 में आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हुई।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘उस समय तथाकथित अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अधीन भारत की स्थूल आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई थी और भारत में विदेशी मुद्रा भंडार का संकट खड़ा हो गया था और हम ‘डेब्ट डिफॉल्ट’ की कगार पर पहुंच गए थे।’’

उन्होंने कहा इसके विपरीत महामारी से पैदा हुए उससे बड़े संकट को मोदी सरकार ने ‘‘उत्कृष्टता’’ के साथ प्रबंधन किया और आज स्थिति यह है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना है कि वह 14 महीनों तक आयात का कोष उपलब्ध करा सकता है।

एयर इंडिया के निजीकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक सुधारों की दिशा में आगे बढ़ रहा है और सरकार आने वाले दिनों में सुधारों के लिए और भी कदम उठाएगी।

उन्होंने कहा कि भारत के व्यापारिक निर्यात में अक्ट्रबर में 62.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई जबकि कृषि उत्पादों की निर्यात वृद्धि अप्रैल से अगस्त के बीच पिछले साल इसी अवधि के मुकाबले 21.8 प्रतिशत रही।

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उन्होंने कहा कि कुल कर राजस्व एक साल में दोगुना हुआ जबकि करेत्तर आय (नॉन टैक्स रिवेन्यू) 70 प्रतिशत तक बढ़ी और जीएसटी संग्रह सितंबर में अब तक का सबसे अधिक1.3 लाख करोड़ रुपये रहा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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