भारत खो रहा अपने दोस्त? विदेश मंत्री बोले- अब पता चल रहा वास्तव में कौन है दोस्त

india-is-losing-its-friend-foreign-minister-said-now-you-know-who-is-really-friend
[email protected] । Mar 7 2020 9:14PM

इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट में सीएए के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि हमने इस कानून के जरिए देशविहीन लोगों की संख्या घटाने की कोशिश की है। इसकी सराहना होनी चाहिए उन्होंने कहा कि हमने इसे इस तरीके से किया कि हम अपने लिये बड़ी समस्या न बना दें।

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर भारत की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए शनिवार को कहा कि दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है जो कहे कि उसके यहां हर किसी का स्वागत है। जयशंकर ने जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर आलोचना करने के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की निंदा की है। उन्होंने कहा कि उसके निदेशक पूर्व में भी गलत रहे हैं और कश्मीर मुद्दे से निपटने के संयुक्त राष्ट्र निकाय के पिछले रिकॉर्ड को भी देखा जाना चाहिए।  इकोनॉमिक टाइम्स ग्लोबल बिजनेस समिट में सीएए के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, “हमने इस कानून के जरिए देशविहीन लोगों की संख्या घटाने की कोशिश की है। इसकी सराहना होनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “हमने इसे इस तरीके से किया कि हम अपने लिये बड़ी समस्या न बना दें।” 

मंत्री ने कहा, “हर कोई जब नागरिकता को देखता है तो इसका संदर्भ और मानक होते हैं। मुझे एक भी ऐसा देश दिखाएं जो कहता हो कि विश्व के हर व्यक्ति का उसके यहां स्वागत है। कोई ऐसा नहीं कहता। अमेरिका को देखें, यूरोपीय देशों को देखें। मैं आपको हर यूरोपीय देश का उदाहरण दे सकता हूं। इसके कुछ सामाजिक पैमाने हैं।” विदेश मंत्री ने कहा कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) से बाहर होना भारत के कारोबार के हित में है।  कश्मीर मुद्दे पर यूएनएचआरसी निदेशक के भारत के साथ सहमत न होने पर जयशंकर ने कहा, “यूएनएचआरसी निदेशक पूर्व में भी गलत रहे हैं।” उन्होंने कहा, “यूएनएचआरसी सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे से पल्ला झाड़ रहा है जैसे की उसका पड़ोसी देश से कोई लेना-देना नहीं है। कृपया समझने की कोशिश करें कि उनका कहां से संबंध है; यूएनएचआरसी के कश्मीर मुद्दे से निपटने के पूर्व के रिकॉर्ड पर भी गौर करें।” 

इसे भी पढ़ें: कोरोना वायरस का असर, आनंदीबेन पटेल ने निरस्त किया होली मिलन कार्यक्रम

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अपने दोस्तों को खो रहा है, जयशंकर ने कहा, “हो सकता है कि हम यह जान रहे हैं कि वास्तव में हमारे दोस्त कौन हैं।” उन्होंने कहा कि यह एक तरह का भू-राजनीतिक आकलन है क्योंकिकभी ऐसा वक्त था जब भारत बेहद रक्षात्मक था, उसकी क्षमताएं कम थीं, खतरे ज्यादा थे और जोखिम कहीं ज्यादा था।  उन्होंने कहा, “हमने दुनिया को साधने की नीति अपनाई थी लेकिन तटस्थ रहकर। हम अब और ऐसा नहीं कर सकते। हम दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और जल्द ही तीसरी होंगे। हमें हर किसी से जुड़कर समाधान तलाशना होगा।” मंत्री ने कहा, “एक मायने में दुनिया में आपका भू-राजनीतिक क्षेत्र होगा। ऐसे लोग होंगे जो भारत के बदलावों को समझेंगे, जो उससे सहमत होंगे, ऐसे लोग भी होंगे जो उससे सहमत नहीं होंगे। मैं इन दोनों को नहीं मिलाउंगा। मैं सेब और संतरों को नहीं मिलाउंगा। मुझे लगता है कि यह काम की दो अलग प्रक्रियाएं हैं। लेकिन, इन सबके अंत में मैं आगे आउंगा।” सीएए के विरोध और क्या भारत दुनिया को इस बारे में पर्याप्त रूप से संतुष्ट नहीं कर पाया, इस सवाल पर उन्होंने कहा, “मीडिया के बाहर भी दुनिया के वर्ग हैं।” उन्होंने कहा, “सीएए पर हम जो पक्ष रखते हैं वह यह कि कोई यह नहीं तय करेगा कि किसी सरकार या संसद के पास नागरिक बनाने या नागरिकता के नियमों के निर्धारण का अधिकार नहीं है। हर सरकार के पास यह है, हर संसद के पास यह होता है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़