आयुर्वेदिक चिकित्सकों को शल्यक्रिया कीअनुमति के खिलाफ भोपाल में सांकेतिक हड़ताल

 permission of Ayurvedic doctors
दिनेश शुक्ल । Dec 11 2020 9:21PM

इस संबंध में आईएमए का कहना है कि अनुमति देने के लिए सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से केवल मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए का मानना है कि यह मिक्सोपैथी को वैध बनाने की दिशा में एक और कदम है।

भोपाल। आयुर्वेदिक चिकित्सकों को सर्जरी की अनुमति दिये जाने के खिलाफ देश भर के एलोपैथिक चिकित्सक लामबंद हो रहे हैं। इस निर्णय के खिलाफ के खिलाफ एलौपैथिक चिकित्सक 11 दिसम्बर को राष्ट्रव्यापी हड़ताल पर रहे। वही शुक्रवार को राजधानी भोपाल सहित मध्य प्रदेश के करीब 8 हजार डॉक्टरों ने हड़ताल का समर्थन करते हुए इसमें सांकेतिक रूप से शामिल हुए। 

 

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हालांकि इस दौरान आम दिनों की तरह भोपाल के शासकीय हमीदिया और जेपी अस्पताल में ओपीडी चालू रही। मरीजों को देखना और ऑपरेशन भी चालू रहे। सरकारी डॉक्टरों ने सिर्फ सैद्धांतिक समर्थ दिया, जबकि प्राइवेट डॉक्टर भी इमरजेंसी सेवाएं देते रहे। डॉक्टर राकेश मालवीय ने बताया कि हम एसोसिएशन के समर्थन में है, लेकिन सरकारी अस्पतालों की ओपीडी चालू रही। सिर्फ काली पट्‌टी बांधकर काम किया। इस दौरान कोरोना संक्रमण और इमरजेंसी से जुड़ी चिकित्सीय सेवाएं जारी रही। 

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मध्य प्रदेश के नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर महेश गुप्ता और महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर नेहा रेजा ने बताया कि सीसीआईएम द्वारा हाल ही में प्रकाशित राजपत्र के अनुसार आयुर्वेद में शल्य (जनरल सर्जरी) और शालाक्य (ईएनटी) के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स को 58 शास्त्र क्रियाएं करने की कानूनी अनुमति प्रदान की गयी है। आईएमए ने देश भर में इसका विरोध शुरू किया है।

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इस संबंध में आईएमए का कहना है कि अनुमति देने के लिए सीसीआईएम की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से केवल मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। आईएमए का मानना है कि यह मिक्सोपैथी को वैध बनाने की दिशा में एक और कदम है। इसलिए 11 दिसंबर को सुबह 6 से शाम 6 बजे तक विरोध स्वरुप डॉक्टर हड़ताल पर रहे। इस दौरान सभी गैर-जरूरी और गैर-कोविड सेवाओं को बंद रखा गया। जबकि आपातकालीन सेवाएं जारी रही। हालांकि कई अस्पतालों में पहले से तय ऑपरेशन भी नहीं किए गए। वही भोपाल के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांधकर सांकेतिक तौर पर हड़ताल का समर्थन किया। इस दौरान शासकीय हमीदिया अस्पताल, जे.पी. अस्पताल और बैरागढ़ स्थित सिविल अस्पताल में  रोजमर्रा की तरह मरीजों को देखा गया।  

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