मथुरा में असली बृजवासी होने के मुकाबले में दिलचस्प हुई चुनावी जंग

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[email protected] । Apr 3 2019 1:48PM

नीय भाजपा नेता जहां हेमा से नाखुश बताये जा रहे हैं और उन्हें दूसरी सीट देने की भी पहले चर्चा रही, वहीं कुंवर नरेंद्र सिंह के भाई और तीन बार सांसद रहे कुंवर मानवेंद्र सिंह चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए।

मथुरा। जाट समुदाय के दबदबे वाली मथुरा लोकसभा सीट पर दिलचस्प जंग देखने को मिलेगी जिसमें मौजूदा भाजपा सांसद हेमा मालिनी को ‘मोदी लहर’ पर भरोसा है वहीं दूसरी ओर इसे ‘बृजवासी बनाम बाहरी’ के बीच मुकाबला करार दे रहे विपक्ष का दावा है कि सांसद को स्थानीय समस्याओं से कोई सरोकार नहीं रहा। इस सीट पर, पहली बार राष्ट्रीय लोकदल ने कोई जाट उम्मीदवार नहीं उतारा है। समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और रालोद के गठबंधन ने राजपरिवार के सदस्य कुंवर नरेंद्र सिंह को टिकट दिया है जो तीन विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। भाजपा के, अगड़े वोटों में सेंध मारने के लिये कांग्रेस ने महेश पाठक को उतारा है। पिछले चुनाव में रालोद के जयंत चौधरी को 3,30,743 वोट से हराने वाली हेमा के लिये इस बार चुनौती आसान नहीं होगी बशर्ते विपक्ष जाट, अन्य पिछड़े वर्ग, मुस्लिम और ठाकुर वोटों का ध्रुवीकरण करने में कामयाब रहता है। मतदाताओं के मूड को भांपना हालांकि आसान नहीं है क्योंकि कई बार स्थानीय मसले हाशिये पर चले जाते हैं। कुछ का मानना है कि बालाकोट हवाई हमला और मिशन शक्ति चुनावी मसले हो सकते हैं तो कुछ की नजर में मथुरा में किसानों की समस्यायें, बेरोजगारी और विकास का अभाव बड़े मुद्दे हैं। 

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के पास एक दुकानदार ने कहा, ‘‘हम हेमा मालिनी को नहीं जानते लेकिन हम मोदी को वोट देंगे। कई बार देश के लिये अपनी समस्यायें भूलनी पड़ती है।’’ वहीं छाता के रहने वाले एक ग्रामीण ने कहा, ‘‘हेमा मालिनी कभी हमारे गांव नहीं आईं। हमने 2014 के बाद उन्हें नहीं देखा। हम उनके लिये वोट क्यों दें ? इस बार स्थानीय व्यक्ति को वोट देंगे जो हमारे लिये खड़ा तो होगा।’’ दोनों उम्मीदवारों के लिये आंतरिक गुटबाजी भी बड़ा मसला है। स्थानीय भाजपा नेता जहां हेमा से नाखुश बताये जा रहे हैं और उन्हें दूसरी सीट देने की भी पहले चर्चा रही, वहीं कुंवर नरेंद्र सिंह के भाई और तीन बार सांसद रहे कुंवर मानवेंद्र सिंह चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए। हिंदुओं के तीर्थ मथुरा में 17,99,321 मतदाता हैं जिनमें 9,75,843 पुरूष और 8,23,276 महिलायें हैं। इसमें पांच विधानसभा क्षेत्र छाता, मांट, गोवर्धन, मथुरा और बलदेव आते हैं। इसे भाजपा का गढ़ नहीं कहा जा सकता। 1991 से 2004 तक भले ही यहां से भाजपा जीती हो लेकिन 2004 में कांग्रेस से मानवेंद्र और 2009 में रालोद के जयंत विजयी रहे। हेमा को यकीन है कि केंद्र में मोदी सरकार के काम और मथुरा में विकास की उनकी परियोजनाओं के दम पर उन्हें वोट मिलेंगे। 

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उन्होंने कहा, ‘‘मैने यहां काफी काम किया है और बहुत कुछ करना है। इसके लिये पांच साल और चाहिये। मैं बृज की विरासत को आधुनिकीकरण के साथ पुनर्जीवित करना चाहती हूं। इसीलिये चुनाव लड़ रही हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को मोदी जी पर भरोसा है और वे उनके लिये और मेरे काम के लिये वोट भाजपा को डालेंगे।’’ दूसरी ओर हेमा पर अपने संसदीय क्षेत्र की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कुंवर नरेंद्र सिंह ने कहा कि मुंबई में बैठकर मथुरा की राजनीति नहीं हो सकती। उन्होंने कहा ,‘‘ मैं बृजवासी हूं और मुझे यहां लोगों की समस्यायें पता है। पिछली बार वह मोदी लहर में जीत गई थीं लेकिन मथुरा के लिये उन्होंने कुछ नहीं किया। यहां विकास गायब है। फिरकापरस्त और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के मुकाबले में धर्मनिरपेक्ष ही जीतेंगे।’’ कुंवर नरेंद्र सिंह ने कहा, ‘‘पूछिये उनसे, कि यमुना की सफाई के लिये क्या किया? छाता शक्कर मिल कब शुरू होगी? बेरोजगारी, वृंदावन में बंदरों से परेशानी ... ये सब इतने बड़े मसले हैं लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। योगी सरकार में विकास हुआ है तो सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश में।’’

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