झारखंड HC से लालू को मिली राहत, प्रोविजनल बेल की अवधि बढ़ी
झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद के प्रमुख लालू प्रसाद को चारा घोटाले के देवघर कोषागार समेत सभी तीन मामलों में स्वास्थ्य कारणों से दी गयी
रांची। झारखंड उच्च न्यायालय ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद के प्रमुख लालू प्रसाद को चारा घोटाले के देवघर कोषागार समेत सभी तीन मामलों में स्वास्थ्य कारणों से दी गयी अंतरिम जमानत की अवधि को तीन जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया है। उच्च न्यायालय ने लालू को इलाज के लिए दायर अंतरिम याचिका पर सुनवाई करते हुए 11 मई को छह सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत स्वीकृत की थी जिसकी अवधि 27 जून को समाप्त हो रही थी।
न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह के आज अवकाश पर रहने से इस मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने की और उन्होंने लालू के वकीलों की इस दलील पर कि उनका अनेक गंभीर बीमारियों के लिए इलाज अभी जारी है, अंतरिम जमानत की अवधि तीन जुलाई तक के लिए बढ़ा दी। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश ने अब 29 जून के लिए निर्धारित की है जब इसकी नियमित सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह बहस सुनेंगे।
लालू के अधिवक्ता प्रभात कुमार ने बताया कि मामले की सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह के अवकाश पर होने से मुख्य न्यायाधीश ने लालू को एक सप्ताह की फौरी राहत दी है। मामले को देख रहे नियमित न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 29 जून को लालू को इस मामले में राहत देने के बारे में फैसला सुनाएंगे।
कुमार ने बताया कि लालू का एक-दो दिनों में मुम्बई में एक ऑपरेशन भी होना है। वैसे उनका इलाज मुख्य रूप से दिल्ली और बेंगलुरू में चल रहा है। इससे पूर्व उच्च न्यायालय ने 11 मई को लालू की ओर से दायर अंतरिम जमानत की याचिका स्वीकार करते हुए इलाज के लिए छह सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी थी।
हालांकि देवघर मामले में न्यायालय ने लालू की नियमित जमानत याचिका 23 फरवरी को खारिज कर दी थी और कहा था कि उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती है।
लालू ने पिछले वर्ष 23 दिसंबर को इस मामले में सुनायी गयी साढ़े तीन वर्ष की कैद की सजा के खिलाफ 12 जनवरी को झारखंड उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी और जमानत की याचिका भी दायर की थी। लालू एवं चारा घोटाले के 15 अन्य सह अभियुक्तों को सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में 23 दिसंबर को दोषी करार दिया था और छह जनवरी को वीडियो कांफ्रेंसिंग से सजा सुनायी थी।
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