जिन्ना ने जोधपुर हड़पने का बनाया प्लान, पटेल ने महाराजा को कहा- रियासत कहीं नहीं जाएगी, आपको पाकिस्तान भेज दूंगा
महाराज हनुवंत को दिल्ली बुलाया गया। अब जोधपुर को बचाने का पूरा दारोमदार सरदार के कंधों पर था। सरदार पटेल ने जोधपुर महाराजा को दिल्ली बुलाकर समझाया और पूछा कि आपको पाकिस्तान के साथ जाना है? अगर जाना है तो आपको भेज दूं, रियासत नहीं जाएगी।
28 अप्रैल 1947 जोधपुर की रियासत और उसके महाराजा हनुवंत सिंह। सभी राजाओं को अपनी-अपनी सत्ता जाती हुई दिख रही थी। सरदार पटेल पूरी तल्लीनता के साथ खंड-खंड भारत को एक करने में लगे थे। ज्यादातर राज भारत के साथ मिलने के लिए राजी हो गए थे। लेकिन जोधपुर के महाराजा हनुवंत सिंह इससे खुश नहीं थे। पाकिस्तान जोधपुर के बिल्कुल करीब था इसलिए हनुवंत सिंह जोधपुर को पाकिस्तान में शामिल कराना चाहते थे। सरदार पटेल को जब ये बात पता चली तो उन्होंने महाराजा हनुवंत सिंह को समझाने की खूब कोशिश की। लेकिन राजा नहीं माने और अपनी जिद पर अड़े रहे। जोधपुर रियासत 28 अप्रैल को ही संविधान सभा में शामिल हो गई थी। लेकिन 2 अगस्त आते-आते महाराजा हनुवंत सिंह के तेवर पूरी तरह बदल चुके थे।
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जोधपुर महाराज की जिन्ना से मुलाकात
महाराजा ने दिल्ली में मोहम्मद अली जिन्ना से मुलाकात कर पाकिस्तान में शामिल होने की इच्छा जताई। जिन्ना की हाथों की कठपुतली बने भोपाल के नवाब हमीदुल्लाह खां ने इसमें उनकी मदद की। भोपाल के नवाब ने जिन्ना से जोधपुर में महाराजा की मुलाकात करवाई। महाराजा ने जिन्ना से पूछा कि जो रियासतें पाकिस्तान से संबंध स्थापित करना चाहती हैं उन्हें किन शर्तें पर शामिल कराया जा रहा है। जिन्ना ने कहा कि रियासतों से संधि को वो तैयार हैं और उन्हें अच्छी शर्तें दी जाएगी। पाकिस्तान ऐसी रियासतों के साथ स्वतंत्र राज्यों जैसा व्यवहार करेगा। महाराजा हनुवंत जिन्ना के आश्वासन से आश्वस्त होकर वापस लौट आए।
पटेल ने महाराजा को बुलाकर कहा- आपको भेज दूंगा
जब ये खबर जोधपुर के दीवान के जरिये सरदार पटेल तक पहुंची तो वो क्रोधित हो उठे। उन्होंने ये बात माउंटबेटन को बताई और महाराज को दिल्ली तलब करने के लिए कहा। महाराज हनुवंत को दिल्ली बुलाया गया। अब जोधपुर को बचाने का पूरा दारोमदार सरदार के कंधों पर था। सरदार पटेल ने जोधपुर महाराजा को दिल्ली बुलाकर समझाया और पूछा कि आपको पाकिस्तान के साथ जाना है? अगर जाना है तो आपको भेज दूं, रियासत नहीं जाएगी। जोधपुर महाराजा ने पटेल की बात को मान लिया और भारत संघ में विलय के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।
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