कमलनाथ सरकार ने चाइनीज कंपनी को दिया था नियम विरूद्ध 271 करोड़ का ठेका

Kamal Nath government
दिनेश शुक्ल । Jun 27 2020 9:30PM

डर की शर्तों के अनुसार कुल काम को तीन हिस्सों में बांटा जाना था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उर्जा मंत्री को प्रभावित करके टेंडर की शर्तों की अवहेलना करते हुए 271 करोड़ का पूरा काम स्वमं ले लिया। चीनी कंपनी जेटीटी ने 2013 में डिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी बना ली है। जिसके नाम पर उसने यह ठेका हासिल किया है।

भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने चीनी कंपनी को नियम विरूद्ध 271 करोड़ का ठेका दिया था। पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अजय विश्नोई ने तत्कालीन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर यह आरोप लगाया है। अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में बताया है कि किस तरह नियमों को ताक पर रखकर कमलनाथ सरकार ने चीनी कंपनी को उपकृत किया। मध्य प्रदेश पावर ट्रांसमिशन कंपनी ने फाइवर नेटवर्क स्थापित करने चीनी कंपनी जेटीटी को नियम विरूद्ध चीनी कंपनी को यह ठेका दिया है। जिसे टेंडर की शर्तों के अनुसार कुल काम को तीन हिस्सों में बांटा जाना था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ और उर्जा मंत्री को प्रभावित करके टेंडर की शर्तों की अवहेलना करते हुए 271 करोड़ का पूरा काम स्वमं ले लिया। चीनी कंपनी जेटीटी ने 2013 में डिया प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी बना ली है। जिसके नाम पर उसने यह ठेका हासिल किया है।  

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पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया है कि डाटा ट्रांसफर के लिए स्थापित होने जा रहे फाइवर नेटवर्क की स्थापना का काम चीन की कंपनी को न दिया जाए। चूँकि टेंडर शर्तो का उलंघन करके पूरा आदेश एक ही कंपनी को दिया गया है इस आधार पर कार्य आदेश निरस्त किया जाए। पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने यह मुद्दा उस समय उठाया है जब चीनी कंपनीयों के सामान और सेवाओं को लेकर पूरे देश में बहिष्कार करने का महौल बना हुआ है। यही नहीं मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद आगे आकर सबसे पहले चीनी सामान और सेवाओं की खिलाफ अभियान छेड़ने की बात कही है। 

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वही कमलनाथ सरकार द्वारा चीनी कंपनी जेटीटी को दिए गए इस टेंडर में करोड़ों के लेन-देन के आरोप भी लग रहे है। उपरोक्त ठेका प्रदेश में विद्युत के दावारा ट्रांसमीट करने हेतु फाइबर नेट वर्क स्थापित करने के लिए है। जबकि सामरिक दृष्ट्री से देखा जाए तो शासकीय आंकड़ो और डेटा की चोरी बचाने वाला काम चीनी कंपनी को देना खतरनाक हो सकता है। कमलनाथ सरकार ने 17 मार्च 2020 को सरकार जाने से तीन दिन पहले यह ठेका चीनी कंपनी को दिया है। पूर्व मंत्री और विधायक की माने तो टेंडर की शर्तों को देखा जाए तो टेंडर नंबर टीआर-19/2019 की शर्त क्रमांक 38.5 में स्पष्ट था कि पूरा काम एक ही कंपनी को नहीं दिया जाएगा। जिसमें एल1 को 50 प्रतिशत, एल2 को 30 प्रतिशत और एल3 को 20 प्रतिशत काम भागों में बांटकर दिया जाएगा। लेकिन सूत्र बताते है कि चूँकि काम सबको मिलना था, इसलिए सबने मिलीभगत से रेट जायदा भरे परंतु चीनी कंपनी ने बाकी कंपनीयों को धोखा देते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की मदद से 271 करोड़ रूपए का पूरा आर्डर खुद ले लिया। 

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