कश्मीर में भी है 'प्रयागराज', यहाँ कुंभ की तरह 12 साल पर लगता है पुष्कर मेला

kashmir pushkar mela

गांदरबल में लगने वाले इस स्नान पर्व में भाग लेने देश के कई हिस्सों से खासकर आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आये। स्थानीय कश्मीरी पंडित समुदाय ने भी इस स्नान पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हम आपको बता दें कि गांदरबल के शादीपोरा में वितस्ता और नाला-ए-सिंध का संगम है।

आपने पुष्कर मेले या पुष्कर स्नान के बारे में तो बहुत सुना होगा लेकिन आपमें से ज्यादातर लोग इसके बारे में यही जानते होंगे कि यह राजस्थान के पुष्कर में हर साल लगने वाला मेला है। आप काफी हद तक सही भी हैं लेकिन आज हम आपको उस पुष्कर स्नान के बारे में बताएंगे जोकि कश्मीर में लगता है। जैसे कुंभ का मेला 12 साल में एक बार लगता है उसी तरह कश्मीर में पुष्कर मेला भी 12 साल में एक बार लगता है। कश्मीर में चल रहे पुष्कर मेले का आज समापन हुआ। कड़कड़ाती ठंड और शून्य से नीचे तापमान के बावजूद बड़ी संख्या में श्रद्धालु इस स्नान पर्व में पहुँचे और पवित्र स्नान कर पूजा पाठ किया।

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कश्मीर के गांदरबल में लगने वाले इस स्नान पर्व में भाग लेने देश के कई हिस्सों से खासकर आंध्र प्रदेश से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आये। स्थानीय कश्मीरी पंडित समुदाय ने भी इस स्नान पर्व में बढ़-चढ़कर भाग लिया। हम आपको बता दें कि गांदरबल के शादीपोरा में वितस्ता (झेलम नदी) और नाला-ए-सिंध का संगम है। इसलिए इस जगह को कश्मीर के प्रयागराज के रूप में भी जाना जाता है। पुष्कर स्नान पर्व में स्नान के बाद लोग यहां स्थित प्राचीन मंदिर में पूजा-पाठ करते हैं।

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पुष्कर स्नान के लिए प्रशासन ने कई इंतजामात किये थे ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा नहीं हो। यही नहीं सुरक्षा के भी कड़े प्रबंध किये गये हैं जिससे लोग खुश दिखे। अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पुष्कर स्नान में लगभग तीस हजार लोगों ने भाग लिया। यह स्नान पर्व 21 नवंबर को शुरू हुआ था और दो दिसंबर को इसका समापन हुआ। तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था करने वाली पुष्कर समिति के अध्यक्ष भारत रैना ने कहा कि यह मेला हर 12 साल बाद हिंदू कैलेंडर के अनुसार आयोजित किया जाता है। इससे पहले यह मेला 2009 में आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि घाटी में हालिया हत्याओं के बाद लगभग 35,000 लोगों ने अपना पंजीकरण रद्द कर दिया। उन्होंने कहा कि पूरे भारत में हिंदुओं और विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों के लिए इस स्थान का बहुत धार्मिक महत्व है। प्रभासाक्षी संवाददाता ने पुष्कर स्नान पर्व का जायजा लिया और दूरदराज से आये श्रद्धालुओं से बातचीत की।

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