कश्मीर के विपक्षी दलों ने भारत-पाक वार्ता की हिमायत की

नेशनल कान्फ्रेंस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने आज कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के लिए भारत और पाक को बातचीत करनी चाहिए और केंद्र को इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए।

श्रीनगर। नेशनल कान्फ्रेंस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने आज कहा कि कश्मीर मुद्दे के हल के लिए भारत और पाकिस्तान को बातचीत करनी चाहिए और केंद्र को इस मुद्दे पर राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध इसका हल नहीं है। नेशनल कान्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘जम्मू-कश्मीर में अमन को लेकर हम सभी चिंतित हैं। भारत और पाकिस्तान को एक साथ बैठकर इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।’’

इस बैठक में माकपा और कांग्रेस के नेता भी शामिल हुए। उन्होंने कहा, ‘‘बातचीत के जरिए कश्मीर मुद्दे का हल निकाला जा सकता है। युद्ध इसका समाधान नहीं है।’’ अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा साल 2002 में कश्मीर में दिए गए भाषण को याद करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने कहा था कि दोस्त तो बदले जा सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदले जा सकते। उन्होंने कहा, ‘‘पड़ोसियों के साथ हम शांति से रहेंगे तो हम सब समृद्ध होंगे। यदि हम टकराव का रास्ता अपनाएंगे तो उनका विकास भले ही प्रभावित हो सकता है लेकिन इससे हमारे विकास पर भी असर पड़ेगा।’’ घाटी के हालात को ‘‘खतरनाक’’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को शांति कायम करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए और इसके लिए राजनीतिक प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है। अब्दुल्ला, जिनके साथ अन्य विपक्षी पार्टियों के नेता भी थे, उन्होंने कहा, ‘‘हालात खतरनाक हैं, इस पर हम एकमत हैं। इसका जितनी जल्दी समाधान निकाला जाएगा उतना ही देश और दक्षिण एशियायी क्षेत्र के लिए बेहतर होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह एक राजनीतिक मुद्दा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि इसका हल निकाला जाना जरूरी है। सत्तारूढ़ पार्टी पीडीपी के एजेंडा में भी हुर्रियत कान्फ्रेंस समेत सभी पक्षकारों से बातचीत करना शामिल है।’’ उन्होंने कहा कि वार्ता की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए सभी राजनीतिक बंदियों और वर्तमान अशांति के दौरान गिरफ्तार किए गए युवाओं को रिहा किया जाना चाहिए।

विपक्षी दलों ने कश्मीर में पैलेट बंदूकों के इस्तेमाल के कारण हुई मौतों और लोगों की आंखों की रोशनी जाने के मामलों की जांच करने और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति की अध्यक्षता में आयोग का गठन करने की मांग भी की। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार कश्मीर में हालात में सुधार लाने के लिए यदि गंभीर है तो उसे सुरक्षा बलों द्वारा कथित तौर पर घरों को तबाह करने और बंदियों का शोषण करने पर रोक लगानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को स्कूलों की वार्षिक परीक्षा नवंबर माह में करवाने के अपने फैसले पर भी पुन: विचार करना चाहिए। साढ़े तीन महीने तक स्कूल बंद रहे हैं। परीक्षाएं देर से ली जानी चाहिए..ऐसा पहले भी हुआ है।’’

जब यह पूछा गया कि विपक्षी दलों की मांगों से आतंकवादियों के हौसले और बुलंद हो सकते हैं तो अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हम मुद्दे को सुलझा लेंगे तो आतंकवाद होगा ही नहीं। दोनों देश इसका समाधान निकाल लेंगे तो आतंकवाद अपनी ही मौत मर जाएगा।’’ विपक्षी दलों ने वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए राज्य विधानसभा के विशेष सत्र की मांग की। अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘लोगों को सदन में अपने विचार और सुझाव रखने का मौका दीजिए, हो सकता है कि हमें कोई समाधान सूझ जाए।’’

हालांकि उरी हमले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार करते हुए अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘फिलहाल हम राज्य में अमन कायम करने और राज्य को बचाने को लेकर चिंतित हैं। जवानों के बलिदानों को हम नहीं भूल रहे।’’

जब फारूक अब्दुल्ला से पूछा गया कि पिछली बैठकों में विपक्षी दलों के सुझावों को केंद्र द्वारा तवज्जो नहीं दिए जाने को देखते हुए इन दलों के विधायकों को क्या इस्तीफा दे देना चाहिए था, तो उन्होंने कहा, ‘‘यह कोई हल नहीं है। समाधान लड़ कर निकाला जा सकता है, इस्तीफा देकर नहीं।’’

कुलगाम से माकपा विधायक मोहम्मद यूसुफ तरीगामी ने कहा कि संसदीय प्रक्रिया में शामिल होकर केंद्र पर दबाव बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘संसदीय प्रक्रिया या राजनीतिक संस्थानों में किसी तरह शामिल होकर हम भारत सरकार पर दबाव बना सकते हैं। हम यहां शिगूफा छोड़ने के लिए नहीं आए हैं। हम राज्य के संजीदा नागरिक हैं और जम्मू-कश्मीर की जनता के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।’’ दो महीने पहले ही नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने इसी तरह विपक्षी दलों की बैठक बुलाई थी। विपक्ष के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस के आला नेताओं से अगस्त माह में मुलाकात की थी, जिसके बाद सितंबर के पहले हफ्ते में सर्वदलीय शिष्टमंडल कश्मीर दौरे पर गया था।

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