Prabhasakshi NewsRoom: स्वर्णमंडित हुईं बाबा केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारें, कपाट शीतकाल के लिए बंद

kedarnath temple
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आज सेना की 11 मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, तीर्थ पुरोहित और रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अलावा तीन हजार से अधिक श्रद्धालु भी मौजूद थे।

उत्तराखंड के उच्च गढ़वाल हिमालयी क्षेत्र में स्थित विश्वप्रसिद्ध केदारनाथ धाम के कपाट आज भैया दूज के पर्व पर श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए। बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा-अर्चना के बाद शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। हम आपको बता दें कि केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने से पहले मंदिर के गर्भगृह की दीवारों और छतों पर सोने की परतें चढ़ाने का काम पूरा हो गया है।

आज सेना की 11 मराठा रेजीमेंट के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय, तीर्थ पुरोहित और रूद्रप्रयाग जिला प्रशासन के अलावा तीन हजार से अधिक श्रद्धालु भी मौजूद थे। इस दौरान, श्रद्धालुओं के ‘बम बम भोले’ और ‘जय केदार’ के उद्घोष से केदारनाथ धाम गुंजायमान रहा। मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि तड़के तीन बजे केदारनाथ मंदिर को खोले जाने के बाद चार बजे से कपाट बंद करने की समाधि पूजन प्रक्रिया शुरू हुई। पुजारी टी गंगाधर लिंग ने भगवान केदारनाथ के स्वयंभू ज्योर्तिलिंग को श्रृंगार रूप से समाधि रूप देते हुए उसे बाघंबर, भृंगराज फूल, भस्म, स्थानीय शुष्क फूलों-पत्तों से ढक दिया। इसके बाद भैरव नाथ के आह्वान के साथ गर्भगृह और मुख्य द्वार को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया और भगवान शंकर की पंचमुखी डोली उखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर की तरफ रवाना हो गई। शीतकाल के दौरान भगवान केदारनाथ की पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में ही होगी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थयात्रियों का आभार जताया और कहा कि इस बार चारधाम यात्रा में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में नयी केदार पुरी अस्तित्व में आ चुकी है, जहां तीर्थयात्रियों को हर संभव सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। धामी ने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने गौरीकुंड-केदारनाथ रोपवे का शिलान्यास किया है और इसके बनने से केदारनाथ यात्रा और सुगम हो जाएगी। इससे पहले, गढ़वाल हिमालय के चारधाम के नाम से प्रसिद्ध मंदिरों में से एक गंगोत्री धाम के कपाट बुधवार को अन्नकूट पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए थे। यमुनोत्री के कपाट भी आज बंद कर दिए गये, जबकि बदरीनाथ के कपाट 19 नवंबर को बंद होंगे। उल्लेखनीय है कि सर्दियों में बर्फबारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधाम के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं और अगले साल अप्रैल-मई में फिर से खोले जाते हैं।

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गढ़वाल क्षेत्र की आर्थिक रीढ़ मानी जाने वाली चारधाम यात्रा के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। इस वर्ष छह माह के यात्रा मौसम में 43 लाख से अधिक तीर्थयात्री चारधाम के दर्शन के लिए पहुंचे। केदारनाथ में 15,61,882 श्रद्धालुओं ने बाबा के दर पर माथा टेका। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दीवाली से पहले केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिर का दौरा किया और यहां चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की।

इस बीच, केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों और छतों पर सोने की परतें चढ़ा दिये जाने से मंदिर का दृश्य बेहद अलौकिक नजर आ रहा है। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि गर्भगृह में सोने की परतें चढ़ाने में करीब तीन दिन का समय लगा। उन्होंने बताया, ‘‘रविवार को धनतेरस के अवसर पर शुरू हुए कार्य में अलग-अलग माप की 560-565 सोने की परतों का इस्तेमाल हुआ। गर्भगृह की दीवारें, छत, छत्र, शिवलिंग की चौखट, सब कुछ स्वर्णमंडित हो गया है जिससे मंदिर और अधिक अलौकिक, भव्य एवं दिव्य लग रहा है।' हम आपको बता दें कि इससे पहले, केदारनाथ मंदिर में गर्भगृह की दीवारों पर चांदी परतें लगी हुई थीं। चांदी की जगह सोने की परतें लगाने का प्रस्ताव समिति को पिछले साल अगस्त में मुंबई के शिवभक्त लक्खी परिवार से मिला था। समिति ने उत्तराखंड सरकार की अनुमति लेने के बाद इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

अजेंद्र अजय ने बताया कि उसके बाद गर्भगृह का आवश्यक माप इत्यादि लेकर उसके अनुरूप दिल्ली में सोने की परतें तैयार की गयीं और उन्हें ट्रक में भरकर भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड तक लाया गया। उन्होंने बताया कि गौरीकुंड से 18 खच्चरों पर लाद कर इन्हें केदारनाथ पहुंचाया गया और मंदिर के गर्भगृह में लगाया गया। समिति के अध्यक्ष ने बताया कि गर्भगृह में सोने की परतें चढ़ाने के मामले में धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और पुरातत्व विशेषज्ञों की सलाह का पूरा पालन किया गया। उन्होंने बताया कि गर्भगृह में सोने की परत चढ़ाने से पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान के विशेषज्ञों के दल ने परियोजना का अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि तीन दिन तक चले कार्य के दौरान एएसआई के दो अधिकारी मौके पर लगातार मौजूद रहे।

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