Congress की केरल इकाई ने राहुल गांधी के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए ‘मौन सत्याग्रह’ किया

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विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के सांसद, विधायक, पूर्व मंत्रियों सहित कई वरिष्ठ नेता तिरुवनंतपुरम स्थित गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए। प्रदर्शन शाम तक जारी रहेगा।

तिरुवनंतपुरम। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के प्रति एकजुटता व्यक्त करने के लिए कांग्रेस की केरल इकाई के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बुधवार को तिरुवनंतपुरम में मौन सत्याग्रह किया। कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं के अनुसार, मानहानि मामले में राहुल गांधी को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया और उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया। विरोध प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस के सांसद, विधायक, पूर्व मंत्रियों सहित कई वरिष्ठ नेता तिरुवनंतपुरम स्थित गांधी पार्क में महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने एकत्र हुए। प्रदर्शन शाम तक जारी रहेगा।

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) प्रमुख के. सुधाकरन, विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन, के. सुरेश, राजमोहन उन्नीथन और के मुरलीधरन सहित कई सांसद और जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष इस विरोध प्रदर्शन में शामिल थे। मौन सत्याग्रह शुरू करने से पहले केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेश ने आरोप लगाते हुए कहा, मोदी सरकार, राहुल गांधी को अपमानित करने और उन्हें संसद से दूर रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन देशभर के कांग्रेस कार्यकर्ता उनकी ऐसी सभी चालों को रोकने के लिए एकजुट होकर उनके (राहुल गांधी) साथ खड़े रहेंगे।

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लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने से पहले राहुल गांधी केरल के वायनाड निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे। ‘मोदी उपनाम’ टिप्पणी को लेकर 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने के अनुरोध संबंधी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा खारिज किये जाने के बाद कांग्रेस महासचिव (संगठन) के. सी. वेणुगोपाल ने हाल ही में पार्टी की सभी प्रदेश इकाई प्रमुखों और प्रमुख पदाधिकारियों को विरोध प्रदर्शन को लेकर पत्र लिखा था। वेणुगोपाल ने लिखा, पूरी दुनिया ने देखा कि कैसे राहुल गांधी अलग-अलग मंचों पर लगातार मोदी और अडाणी के संबंधों पर सवाल उठाते रहे हैं और उन्हें उजागर करते रहे हैं। उनके साहसी प्रयास ने प्रधानमंत्री और भाजपा को कुटिल कदम उठाने पर मजबूर किया है, जिसके कारण उन्हें दोषी ठहराया गया और उन्हें लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य कर दिया गया।

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