ऑपरेशन गंगा पर कांग्रेस की बयानबाजी के बीच जानें UPA सरकार की लीबिया से भारतीयों को रेस्क्यू करने की सच्चाई

यूपीए सरकार की लीबिया निकासी के बारे में किए जा रहे दावों के बीच आइए जानते हैं कि उस समय वास्तव में कैसा रहा था ऑपरेशन? 2 मार्च 2011 को रॉयटर्स की एक रिपोर्ट जिसका शीर्षक था india struggles with libiya evacuation यानी भारतीयों को निकालने के लिए संघर्ष कर रही। इसी रिपोर्ट में बताया गया।
24 फरवरी की अहले सुबह से ही रूस ने यूक्रेन पर चढ़ाई शुरू कर दी। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस कदम से पश्चिमी देश उनके विरोध में आ गए। अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों की तरफ से रूस पर कड़े प्रतिबंध भी लगाए गए। लेकिन इस सब से बेपरवाह पुतिन ने सीमा पर डेढ़ लाख सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी। राजधानी कीव से लेकर खारकीव तक रूसी सेना ने जमकर बमबारी की। रूस के यूक्रेन पर चढ़ाई के बीच हजारों भारतीय छात्र की सुरक्षित वतन वापसी एक बड़ा मुद्दा बन गया। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को वापस लाने को लेकर सरकार की तरफ से कवायद जारी है। ऑपरेशन गंगा के तहत छात्रों को वापस लाया जा रहा है, जिसमें भारतीय वायुसेना भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। लेकिन इन सब से इतर विपक्षी कांग्रेस पार्टी द्वारा लगातार मोदी सरकार की आलोचना की जा रही है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी सोशल मीडिया के जरिये बीजेपी सरकार के ऊपर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
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फंसे हुए भारतीयों को निकालने में तत्कालीन सरकार को समर्थन देने के बजाय, कांग्रेस पार्टी भू-राजनीतिक संघर्ष को एक 'राजनीतिक अवसर' के रूप में देख रही है। इसने मुट्ठी भर फंसे हुए भारतीय छात्रों को हुई असुविधा के अलग-अलग मामलों को उठाकर मोदी सरकार को नाकाम बताने की कोशिश में लगी है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कुछ गिने-चुने मामलों का इस्तेमाल इस प्रोपोगेंडा को आगे बढ़ाने के लिए कर रही है कि सरकार छात्रों की जरूरतों को पूरा नहीं कर रही है। प्रथम दृष्टया इसे पीआर स्टंट के रूप में सरकार की पहल को कमजोर करने का प्रयास भी माना जा सकता है।
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कांग्रेस ने लीबिया के खिलाफ यूक्रेन में भारत के निकासी मिशन को खड़ा किया
यूक्रेन से छात्रों को निकालने की प्रक्रिया में मोदी सरकार के मंत्री व्यक्तिगत भागीदारी भी निभा रहे हैं। जिसके बाद कांग्रेस की तरफ से साल 2011 में लीबिया में मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान किए गए मिशन बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। तमिलनाडु से कांग्रेस सांसद मणिकराम टैगोर ने इससे संबंधित एक ट्वीट भी किया जिसमें उन्होंने लिखा कि 2011 में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने लीबिया में युद्ध क्षेत्र से 15,400 भारतीयों को निकाला। यह न केवल भारतीयों के लिए बल्कि नेपालियों और बांग्लादेशियों के लिए भी कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया था। लेकिन दुख की बात है कि आज शहंशाह निजी लोगों के लिए 8600 करोड़ रुपये का विमान खरीदने में व्यस्त हैं। अगले दिन कांग्रेस की केरल इकाई ने दावा किया कि मनमोहन सिंह की सरकार ने लीबिया में युद्ध क्षेत्र से 16000 भारतीयों को बिना कोई ढिंढोरा पीटे निकाला। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बीती रात मोदी सरकार के मंत्री पीयूष गोयल 210 भारतीय छात्रों के साथ टीवी पर थे। 28 फरवरी को प्रमुख कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी ने भी डॉ मनमोहन सिंह को 2011 में लीबिया से 18000 भारतीयों को बिना किसी 'शोर-शऱाबे' के निकालने का श्रेय दिया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 1 मार्च को यूक्रेन में नवीन शेखरप्पा की दुखद मौत को लेकर आरोप लगाया कि भारत सरकार के पास भारतीय नागरिकों की त्वरित निकासी के लिए कोई 'रणनीतिक योजना' नहीं है।
लीबिया का ऑपरेशन
बता दें की लीबिया के उत्तरी अफ्रीकी राज्य में गद्दाफी सरकार के खिलाफ 15 फरवरी 2011 को सिविल वॉर छिड़ गया था जो अक्टूबर 2011 तक चला। इसके चलते वहां करीब 18 हजार भारतीय फंस गए थे। लीबिया के पोर्ट बंद होने की वजह से इवैकुएशन में काफी दिक्कत हो रही थी। सेंट्रल एयरपोर्ट भी बर्बाद हो गए थे। फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारतीय नेवी और एयर इंडिया ने मिलकर ऑपरेशन सेफ होमकमिंग किया। इसे 26 फरवरी 2011 को शुरू किया गया और 11 मार्च 2011 को पूरा हुआ और इसमें 15 हजार से अधिक भारतीयों को सुरक्षित निकाला गया।
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यूपीए के दौर में लीबिया से भारतीयों की निकासी
यूपीए सरकार की लीबिया निकासी के बारे में किए जा रहे दावों के बीच आइए जानते हैं कि उस समय वास्तव में कैसा रहा था ऑपरेशन? 2 मार्च 2011 को रॉयटर्स की एक रिपोर्ट जिसका शीर्षक था india struggles with libiya evacuation यानी भारतीयों को निकालने के लिए संघर्ष कर रही। इसी रिपोर्ट में बताया गया कि रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार अपने नागरिकों को सफलतापूर्वक वापस लाने में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य देशों से पीछे रह गई। 1 मार्च 2011 तक, भारत ने केवल 4,500 नागरिकों को निकाला था जबकि चीन ने अपने 32,000 नागरिकों को निकाला था। अमेरिकी सरकार ने तब तक बचाव अभियान लगभग पूरा कर लिया था। जब यूपीए सरकार ने लीबिया में ऑपरेशन शुरू किया इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा कि लीबिया निकासी अभियान को रेंगने जैसी संज्ञा देते हुए कहा कि बाकी सभी घर पर सुरक्षित हैं, जबकि भारत एकमात्र प्रमुख देश है जिसके हजारों छात्र अभी भी लीबिया में फंसे हुए हैं। जब मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तत्कालीन भारत सरकार को चीन की तुलना में 'धीमे' होने के लिए जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा, तो भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा था कि हम यहां चीन के साथ प्रतिस्पर्धा में नहीं हैं। अब अगर ऑपरेशन गंगा की बात करे तो इसके विपरीत, चीन ने 28 फरवरी, 2022 को यूक्रेन से अपने नागरिकों को निकालना शुरू किया, जबकि 219 भारतीय नागरिकों को लेकर एयर इंडिया की पहली उड़ान 26 फरवरी की शाम को बुखारेस्ट से मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच चुकी थी।
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