काशी कोर्ट में वर्शिप एक्ट का कानूनी परीक्षण, मस्जिद पक्ष ने शिवलिंग की बात को अफवाह बताया, सोमवार को होगी अगली सुनवाई

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अभिनय आकाश । May 26 2022 4:04PM

मुस्लिम पक्ष की ओर से शिवलिंग को लेकर सबसे ज्यादा आपत्ति जताई जा रही है। उसका ये कहना है कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता है कि वो शिवलिंग है या फिर फव्वारा है। जिस तरह से लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम हिंदू पक्ष की ओर से किया जा रहा है।

वाराणसी जिला अदालत में ज्ञानवापी मामले में ऑर्डर 7 रूल 11 को लेकर आज दोपहर 2 बजे से शुरू हुई बहस करीब 2 घंटे चली है। कोर्ट के अंदर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर चर्चा की और मुस्लिम पक्ष ने 1991 एक्ट का हवाला दिया है। कोर्ट रूम में हरिशंकर जैन सहित दोनों ही पक्षों से 36 लोगों की मौजूदगी रही। मुस्लिम पक्ष ने केस को सुनवाई के लायक ही नहीं बताया है। मामले की अगली सुनवाई 30 मई यानी सोमवार को होगी। आज का पूरा दिन अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता अभय नाथ यादव ने ही अपनी दलीलें रखी। हालांकि बीच-बीच में हिंदू पक्ष की ओर से आपत्ति जरूरी दर्ज की जाती रही। 

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मुस्लिम पक्ष की ओर से शिवलिंग को लेकर सबसे ज्यादा आपत्ति जताई गई। उसका ये कहना है कि जब तक ये साबित नहीं हो जाता है कि वो शिवलिंग है या फिर फव्वारा है। जिस तरह से लोगों की भावनाओं को भड़काने का काम हिंदू पक्ष की ओर से किया जा रहा है। उसको रोके जाने की जरूरत है और इसको लेकर कई तरह की दलीलें भी रखी जा रही है।  मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने कहा कि शिवलिंग होने की बात अफवाह है। लोगों की भावनाएं भड़काई जा रही हैं।  अफवाह से व्वस्थता पर असर पड़ रहा है। मस्जिद समिति का तर्क है कि ज्ञानवापी के अंदर शिवलिंग का अस्तित्व अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है। मस्जिद समिति ने कहा कि शिवलिंग के होने की अफवाह से जनता में खलबली मची हुई है। इसकी अनुमति तब तक नहीं दी जानी चाहिए जब तक कि अस्तित्व सिद्ध न हो जाए।

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दोनों पक्षों में इस बीच गहमा-गहमी भी दिखी। हिन्दू पक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है और इसके लिए वेद पुराणों का हवाला भी दिया जा रहा है। हिन्दू पक्ष की ओर से कहा जा रहा है कि शिवलिंग वहां हमेशा से था। पूजा अर्चना भी उस जगह की जाती थी। हिन्दू पक्ष की ओर से फिर से वहां पूजा की इजाजत देने व जगह को काशी विश्वनाथ टेंपल ट्रस्ट को सौंपे जाने की मांग  कर रहा है।  गौरतलब बै कि 1991 एक ऐसा एक्ट है जिसको लेकर कोर्ट किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति नहीं रखना चाहता है। यही कारण है कि मुस्लिम पक्ष की ओर से जितनी भी दलीलें दी गई। क्योंकि गौर करने वाली बात ये है कि उनके पास इस बात को लेकर कोई पुख्ता प्रमाण हिंदू पक्ष जितने नहीं हैं। हिंदू पक्ष की ओर से मंदिर होने का दावा किया जा रहा है, किताबों के पन्नों का हवाला दिया जा रहा है। एक अंग्रेज इतिहासकार को लेकर भी हिंदू पक्ष आगे बढ़ रहा है। सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विदेश से भी जो मेहमान हिन्दुस्तान आकर रहे थे उनको भी आधार बनाकर हिन्दू पक्ष की ओर से अपनी बातें रखी गई। अब सोमवार को कोर्ट की ओर से तय हो जाएगा कि इस मामले पर क्या फैसला लिया जाता है। 


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