लॉकडाउन: बेंगलुरु के चिड़ियाघर की अनोखी पहल, जानवरों को लिया जा सकता है गोद

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जंगली बिल्ली और असमी बंदर को पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष की दर से गोद लिया जा सकता है। इसी प्रकार दरियाई घोड़ा, बाघ और जिराफ समेत अन्य जानवरों को गोद लेने की वार्षिक दर तय की गई है।

बेंगलुरु। वन्यजीव संरक्षण में रुचि रखने वालों के लिए बेंगलुरु के बनेरघट्टा जैव उद्यान (बीबीपी) ने लॉकडाउन के दौरान एक अनोखी पहल करते हुए चिड़ियाघर के जानवरों को गोद लेने का अवसर प्रदान करने का कार्यक्रम शुरू किया है। इस कार्यक्रम के जरिये बीबीपी के जानवरों को गोद लिया जा सकता है। चिड़ियाघर के अधिकारियों ने बताया, “जानवरों को गोद लेकर आपको उनके भोजन और चिकित्सा पर होने वाले खर्च में सहयोग करने का अवसर मिल सकता है।

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 इस कार्यक्रम के द्वारा जानवरों को गोद लेने पर 80जी के तहत आयकर में छूट मिलने का प्रावधान है। 21 हाथियों को ऑनलाइन गोद लिया जा सकता है।” गोद लेने की राशि के हिसाब से चिड़ियाघर में प्रवेश पर गिफ्ट वाउचर और बोर्ड पर गोद लेने वालों के नाम लिखे जाने का भी प्रावधान किया गया है। बीबीपी ने गोद लिए जा सकने वाले जानवरों का सूची बनाई है। किंग कोबरा और इंडियन रॉक पाइथन को 3,500 रुपये प्रतिवर्ष की दर से गोद लिया जा सकता है। 

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जंगली बिल्ली और असमी बंदर को पांच हजार रुपये प्रतिवर्ष की दर से गोद लिया जा सकता है। इसी प्रकार दरियाई घोड़ा, बाघ और जिराफ समेत अन्य जानवरों को गोद लेने की वार्षिक दर तय की गई है। सरकार द्वारा संचालित बीबीपी के कार्यकारी निदेशक वनश्री विपिन सिंह ने पीटीआई-से शुक्रवार को कहा, “गोद लेने के इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल लाभ अर्जित करना नहीं है बल्कि जागरूकता पैदा करना और संरक्षण कार्यों से जुड़े लोगों से संपर्क साधना है। 

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