Parliament Diary: लोकसभा ने वित्त विधेयक को दी मंजूरी, रेलवे परीक्षाओं पर मंत्री का बड़ा बयान

Ashwini Vaishnaw

सरकार को विपक्ष ने आज फिर से महंगाई के मुद्दे पर घेरा और बंगाल में हिंसा का मुद्दा उठाते हुए भाजपा सांसद रूपा गांगुली भावुक हो गयीं। इसके अलावा आज लोकसभा ने वित्त विधेयक को मंजूरी भी प्रदान कर दी। आइये डालते हैं एक नजर दोनों सदनों की आज की कार्यवाही से जुड़ी बड़ी बातों पर।

लोकसभा ने शुक्रवार को ‘वित्त विधेयक 2022’ को मंजूरी प्रदान कर दी जिससे वित्त वर्ष 2022-23 की बजटीय प्रक्रिया पूरी हो गई। निचले सदन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश 39 सरकारी संशोधनों को स्वीकार करके और विपक्षी दलों के सदस्योंद के संशोधनों को अस्वीकार करके वित्त विधेयक को मंजूरी दे दी। लोकसभा में वित्त विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि मोदी सरकार आम लोगों पर कर का कम भार डालने की नीति पर काम करती है और इसका प्रमाण है कि कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने एवं व्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयासों के दौरान कोई नया कराधान नहीं किया गया जबकि जर्मनी, ब्रिटेन और कनाडा सहित 32 देशों में कर लगाया गया। गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को सदन ने अगले वित्त वर्ष के बजट में विभिन्न मंत्रालयों एवं विभागों के लिए प्रस्तावित अनुदानों की मांगों एवं उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को ‘गिलोटिन’ (एक साथ बिना चर्चा) के माध्यम से मंजूरी दी थी। इसके बाद संसद में बजटीय प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को वित्त विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए रखा गया जिसे निचले सदन ने मंजूरी दे दी। वित्त विधेयक को मंजूरी बजटीय प्रक्रिया का अंतिम चरण है।

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कोई परीक्षा परिणाम नहीं रोका गया

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार को संसद में बताया कि गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (एनटीपीसी) सहित रेलवे में भर्ती के लिए परीक्षाएं आयोजित करने के पश्चात रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा कोई परीक्षा परिणाम नहीं रोका गया है। राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘गैर तकनीकी लोकप्रिय श्रेणियों (एनटीपीसी) की परीक्षा आयोजित करने के पश्चात रेलवे भर्ती बोर्ड द्वारा कोई परीक्षा परिणाम रोका नहीं गया है।’’ ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले बिहार व उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर एनटीपीसी पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया के विरोध में अभ्यर्थियों ने हंगामा किया था।

वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2017-18 और 2018-19 के दौरान रेलवे भर्ती बोर्ड दो द्वारा विभिन्न समूह-‘ग’ और लेवल-1 (पूर्ववर्ती समूह ‘घ’) पदों की कुल 2,83,747 रिक्तियों के लिए सात नई केंद्रीकृत रोजगार अधिसूचनाएं जारी की गई हैं। उन्होंने कहा, ‘‘चार केंद्रीयकृत रोजगार सूचनाओं के तहत 1,43,034 रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया पहले ही पूरी की जा चुकी है। इसके अलावा तीन केंद्रीकृत रोजगार अधिसूचनाओं के अंतर्गत 1,40,713 रिक्तियों के लिए भर्ती प्रक्रिया परीक्षा चरण पर है।’’ रेल मंत्री ने बताया कि इसके अलावा रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे सुरक्षा विशेष बल ने भी चार रोजगार अधिसूचनाओं के अंतर्गत कुल 10,568 रिक्तियों के लिए भी भर्ती प्रक्रिया पूरी कर ली है। उन्होंने कहा, ‘‘वर्ष 2016-17 से 2020-2021 के दौरान विभिन्न समूह ‘ग’ लेवल-1 (सहित) और सुरक्षा संबंधी पदों के लिए कुल 2,00758 उम्मीदवारो को रेल में नियुक्ति के लिए पैनलबद्ध किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘क्षेत्रीय रेलों व उत्पादन इकाइयों द्वारा उम्मीदवारों के चरित्र एवं पूर्ववृत्त सहित सभी पात्रता संबंधी मानदंडों को पूरा करने के आधार पर सभी पैनलबद्ध उम्मीदवारों को नियुक्ति के लिए पेशकश की जाती है।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या रेलवे नियुक्तियां करने में ढिलाई बरत रहा है और इसलिए बेरोजगारों को रेलवे सेवा में शामिल होने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं, वैष्णव ने कहा, ‘‘जी नहीं।’’

विपक्ष ने रसोई गैस की कीमतों पर सरकार को घेरा

विपक्षी दलों ने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि, महंगाई, अर्थव्यवस्था और गरीबों एवं अमीरों के बीच खाई बढ़ने को लेकर लोकसभा में सरकार को घेरा और ‘माल एवं सेवा कर’ (जीएसटी) में राज्यों की जरूरतों का ध्यान रखने एवं क्रिप्टो करेंसी पर रुख स्पष्ट करने की मांग की। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार ने बजट में गांव, गरीब, किसान और महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ रोजगार एवं उद्योग पर खास ध्यान दिया है और इसमें देश को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का खाका पेश किया गया है। लोकसभा में ‘वित्त विधेयक 2022’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि केंद्र की नीतियों के कारण ऋण बोझ बढ़ता जा रहा है जो अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार को बाहरी कारकों के साथ उठाये गये अपने कदमों को उचित ठहराने के बजाय मजबूत नीति लानी चाहिए जिस तरह पूर्ववर्ती संप्रग सरकार 2008 में और अन्य मौकों पर लाई थी। गोगोई ने कहा कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में असमानता की स्थिति है। उन्होंने कहा कि देश में गरीबों और अमीरों के बीच अंतराल बढ़ गया है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि देश में पहले ही असमानता बढ़ रही है और यह सरकार उस पर भरोसा करने वाली जनता को, देश के गरीबों को केवल ‘‘अंध राष्ट्रवाद’’ दे रही है। उन्होंने पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि क्रिप्टो को लेकर सरकार का कोई स्पष्ट संदेश या रुख नहीं है। गोगोई ने कहा कि सरकार को क्रिप्टो करेंसी को परिभाषित करना चाहिए और इसे देश में वैध करार देने या प्रतिबंधित करने को लेकर उसकी ओर से जल्द स्पष्टीकरण आना चाहिए क्योंकि देश में बड़ी संख्या में लोग क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन कर रहे हैं। उन्होंने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में राज्यों की जरूरतों का ध्यान रखने की मांग की। चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के निशिकांत दुबे ने कहा कि सरकार ने बजट में गांव, गरीब, किसान और महिलाओं के सशक्तीकरण के साथ रोजगार एवं उद्योग पर खास ध्यान है और इसमें देश को 5000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का खाका पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद यूक्रेन संकट के कारण एक अलग चुनौती पैदा हुई है और इसके कारण तेल की कीमतें बढ़ रही हैं।

महंगाई पर विपक्षी दलों के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा सांसद ने आरोप लगाया कि वर्ष 2004 से 2014 के बीच कांग्रेस नीत पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के दौरान लगभग 1.44 लाख करोड़ रूपये के तेल बांड जारी किये गए जिस पर 6.4 प्रतिशत से 8.5 प्रतिशत ब्याज देय था। दुबे ने कहा कि इस तेल बांड के तहत सरकार द्वारा 3.22 लाख करोड़ रूपये लौटाने की बात थी। इस तेल बांड में बड़े-बड़े कारोबारियों ने निवेश किया था। उन्होंने सवाल किया कि ऐसा पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने किसके फायदे के लिये किया था? भाजपा सदस्य ने कहा कि मोदी सरकार ने पेट्रोल में इथेनाल मिश्रित करने की पहल की है जो तेल पर निर्भरता कम करने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों को सशक्त बनाने की बात करते हैं। इसका ही उदाहरण है कि भारत ने 50 अरब डॉलर के अनाज का निर्यात किया। उन्होंने कहा कि तेल पर निर्भरता को समाप्त करने के लिये हाइड्रोजन और बिजली के उपयोग को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। दुबे ने सवाल कि विपक्षी दलों के शासन वाली राज्य सरकारें क्यों पेट्रोलियम पदार्थ को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि केरल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और दिल्ली में पेट्रोल, डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) सबसे अधिक है जहां विपक्षी दलों की सरकारें हैं। भाजपा सदस्य ने कालाधन के खिलाफ कार्रवाई करने के सरकार के कदमों का भी उल्लेख किया। वहीं, द्रमुक सदस्य के सुंदरम ने कहा कि कर दाताओं के समक्ष अफरातफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है जो दोहरे कर लगने के कारण है। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के प्रभावों से लोग उबरे ही नहीं थे कि कोविड महामारी उनके लिये आघात के रूप में आई। उन्होंने कहा कि लोगों की आय से जुड़े विषयों का समाधान नहीं निकलेगा तब उनकी आजीविका कैसे चलेगी। द्रमुक सदस्य ने कहा कि किसान साल 2022 में इस बात के इंतजार में है कि उनकी आय दोगुनी होने का वादा कब पूरा होगा ।

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रक्षा बजट में किसी तरह की कमी नहीं

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि देश के रक्षा बजट में कोई कमी नहीं है और दस साल के अंदर रक्षा बजट में खर्च 76 प्रतिशत बढ़ गया है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि यह कहना उचित नहीं है कि रक्षा का बजट कम है। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा की गंभीरता को देखते हुए सबसे अधिक बजट रक्षा मंत्रालय का ही है। भट्ट ने कहा कि यह 2013-14 के बजट से करीब दोगुना होकर लगभग 5.25 लाख करोड़ रुपये हो गया है। उन्होंने कहा कि ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (सिपरी) के अनुसार रक्षा बजट में खर्च के आधार पर भारत दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। सिपरी के मुताबिक भारत ने 2011 से 2020 के बीच में रक्षा बजट पर खर्च 76 प्रतिशत बजट बढ़ाया है, जबकि पूरी दुनिया में इस अवधि में रक्षा बजट का खर्च केवल 9 प्रतिशत बढ़ा है। उन्होंने कहा कि सिपरी ने 2020 में यह भी कहा कि भारत रक्षा क्षेत्र में निर्यात के लिए भी दृढ़ता से खड़ा है। भट्ट ने कहा कि रक्षा मंत्रालय के बजट में कोई कमी नहीं है और उसे जब भी जरूरत पड़ती है तो वित्त मंत्रालय तत्काल स्वीकृति देता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदन में कहा कि रक्षा बजट को लेकर 2000 में कारगिल समीक्षा समिति बनाई गयी थी जिसमें सेना के वर्तमान अधिकारी, पूर्व अधिकारी, राजनेता और राजनयिक आदि शामिल थे। उन्होंने कहा कि समिति ने गंभीरता पूर्वक विचार किया कि रक्षा क्षेत्र को आवंटन किस तरह किया जाए। सिंह के मुताबिक समिति ने सिफारिश दी कि रक्षा के लिए बजट जीडीपी का एक निश्चित प्रतिशत निर्धारित करने की जरूरत नहीं है और साथ ही कहा कि हमें यह देखना चाहिए कि रक्षा पर खर्च हुए प्रत्येक रुपये का अधिकतम मूल्य मिले। एक अन्य पूरक प्रश्न के जवाब में राजनाथ सिंह ने कहा कि रक्षा क्षेत्र में पूंजी व्यय से 60 प्रतिशत धन केवल भारत में उत्पादन के लिए है और सरकार जरूरत होने पर ही विदेश से आयात करेगी।

तेजस ट्रेन में सांसदों की यात्रा

सरकार ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारतीय रेल की नयी ट्रेन तेजस में संसद सदस्यों की यात्रा को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है और इस संबंध में बाद में विचार किया जाएगा। रेल राज्य मंत्री रावसाहब दानवे ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। समाजवादी पार्टी सदस्य चौधरी सुखराम सिंह यादव ने कहा कि सांसदों के पहचान पत्र पर ‘‘एनी ट्रेन, एनी क्लास’’ (किसी भी ट्रेन में कोई भी श्रेणी) लिखा होता है। उन्होंने कहा कि सांसद किसी भी ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं लेकिन नयी शुरू हुयी तेजस ट्रेनों में सांसदों को इस आधार पर यात्रा की अनुमति नहीं मिलती। उन्होंने रेल मंत्री से इस बारे में स्थिति स्पष्ट करने को कहा। इसके जवाब में रेल राज्य मंत्री दानवे ने कहा कि इस संबंध में अभी कोई नीति निर्धारित नहीं की गयी है और इस बारे में बाद में विचार किया जाएगा। तेजस ट्रेन को देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन भी कहा जाता है जिसमें यात्रियों को कई सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं। ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने के लिए टक्कर रोधी व्यवस्था के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि अभी इसका परीक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि यह एक नयी प्रौद्योगिकी है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि जल्दी ही इसका कार्यान्वयन किया जाएगा।

इस साल के अंत तक 4जी सेवा

सरकार ने शुक्रवार को संसद में कहा कि भारत संचार निगम लिमिटेड (बीएसएनएल) इस साल के अंत तक 4जी सेवा शुरू कर देगा और इसके साथ ही दूरसंचार कंपनी की सेवा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कंपनी की स्थिति में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं। चौहान ने कहा कि सरकार ने इस सिलसिले में अक्टूबर 2019 में एक पैकेज की भी घोषणा की थी जिसके बाद कंपनी के 70 प्रतिशत कर्मचारियों ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली। उठाए गए विभिन्न कदमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार ने कंपनी को भूमि अधिग्रहण और बाजार से पैसा लेने की भी छूट दी है। प्रश्नकाल के दौरान कई सदस्यों ने शिकायत की थी कि बीएसएनएल की सेवा दयनीय है। देश में 5जी सेवा शुरू होने के संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार ने हाल ही में चार कंपनियों को प्रायोगिक आधार पर स्पेक्ट्रम का आवंटन किया है और इस संबंध में जरूरी जांच प्रक्रिया पूरी होने को है। चौहान ने कहा कि सरकार ने इस प्रक्रिया के साथ दूरसंचार नियामक ट्राई को मार्गदर्शन करने के लिए भी कहा है ताकि स्पेक्ट्रम की नीलामी की जा सके। उन्होंने कहा कि साल के अंत तक देश में 5जी सेवा शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि भारत में पूरी दुनिया में सबसे कम दर पर दूरसंचार सेवा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि 2014 में डेटा की खपत प्रति माह औसत एक जीबी थी जो अब बढ़कर करीब 15 जीबी हो गयी है। उन्होंने कहा कि डेटा की कीमतों में खासी कमी आयी है और एक समय इसकी कीमत 270 रुपये प्रति जीबी थी जो अब करीब 10 रुपये प्रति जीबी हो गयी है। इसके अलावा कॉलिंग की दर लगभग मुफ्त हो गयी है।

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विवेकाधीन कोटा समाप्त करने की उठी मांग

भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने शुक्रवार को केंद्रीय विद्यालयों (केवी) में दाखिले के लिए सांसदों को मिले विवेकाधीन कोटे को समाप्त करने की मांग उठाई। उच्च सदन में शून्य काल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए मोदी ने कहा कि इस कोटे ने सांसदों का ‘‘जीना हराम’’ कर दिया है, क्योंकि कोटा सिर्फ 10 छात्रों के दाखिले का होता है और सैंकड़ों की संख्या में लोग इसके लिए पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय विद्यालयों में दाखिले के लिए प्रत्येक सांसदों को 10 विवेकाधीन कोटा है और इसके अतिरिक्त प्रत्येक विद्यालय के प्रबंधन समिति के अध्यक्ष का 17 कोटा है। मैं शिक्षा मंत्री से इसे समाप्त करने की मांग करता हूं।’’ उन्होंने कहा कि सांसदों के पास 7,880 छात्रों के दाखिले का कोटा है जबकि प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के पास करीब 29,000 कोटा है। मोदी ने कहा, ‘‘यह विवेकाधीन कोटा प्रतिभा में पारदर्शिता के खिलाफ और बहुत अलोकतांत्रिक है।’’ उन्होंने कहा कि इसमें आरक्षण का भी कोई प्रावधान नहीं होता है और ऐसा करके आरक्षण के लाभार्थियों को हम इसके लाभ से वंचित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विवेकाधीन कोटे से दाखिले के कारण शिक्षकों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ता है। समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव ने प्राथमिक स्कूलों की खस्ताहाल स्थिति और उनमें शिक्षकों के अभाव का मुद्दा उठाया और कहा कि इन स्कूलों में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चे गरीब परिवारों के होते हैं। उन्होंने कहा कि इन स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की संख्या बहुत कम है और जो हैं भी तो उन्हें अन्य चुनाव व अन्य प्रशासनिक कामों में लगा दिया जाता है। उन्होंने मांग की कि सभी प्राथमिक स्कूलों में कम्प्यूटर की जानकारी रखने वाले कम से कम एक क्लर्क की नियुक्ति की जाए और उन्हें चुनाव संबंधी दायित्वों से मुक्त रखा जाए। द्रविड़ मुनेत्र कषगम के तिरुची शिवा ने यादव की मांग का समर्थन किया और कहा कि देश की भावी पीढ़ी को संवारने की जिम्मेदारी शिक्षकों के हाथ में होती हैं और उनके साथ जैसे बर्ताव होना चाहिए वह नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘शिक्षकों से शिक्षक जैसा बर्ताव किया जाना चाहिए।’’ बीजू जनता दल के प्रशांत नंदा ने कलाकारों की दयनीय स्थिति का मुद्दा उठाया और कहा कि उन्हें मिलने वाली पेंशन भी समय पर नहीं मिल रही है। उन्होंने कहा कि पेंशन के लाभार्थी कलाकारों को अप्रैल 2021 के बाद से पेंशन नहीं मिली है और उनके राज्य ओड़िशा के कई ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें 2018 से पेंशन नहीं मिल रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार से समय पर पेंशन जारी करने और उन्हें मिलने वाली 4,000 रुपये प्रति माह की राशि को बढ़ाने की भी मांग की। कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की स्थिति का मुद्दा उठाया और सरकार से उन्हें वापस लाने की मांग की। उन्होंने कहा कि गुजरात के गिर-सोमनाथ इलाके का एक मुछआरा गलती से पाकिस्तान की सीमा में चला गया और उसे पाकिस्तान की जेल में बंद कर दिया गया। उन्होंने कहा कि तीन महीने की सजा पूरी करने के बाद भी उसे नहीं छोड़ा गया और बाद में उसकी वहां मौत हो गई और अभी तक उसका शव भी नहीं लाया जा सका है। उन्होंने कहा, ‘‘शव लाने के लिए सरकार को जो जरूरत पड़े, वह कदम उठाने चाहिए। कूटनीति के जरिए या फिर लाल आंखे दिखाकर...बड़ा सीना है तो वह भी दिखाइए। जिंदा नहीं ला सकते तो कम से कम शव तो लेकर आइए।’’ 

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण ने पुणे में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डा बनाए जाने की मांग की जबकि मनोनीत सदस्य सोनल मानसिंह ने एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया और सरकार से इस पर रोक के लिए उचित कदम उठाने की मांग की। आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने बीमा कंपनियों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए जाने वाले धोखाधड़ी का मामला उठाया और सरकार से उनके हितों की रक्षा की मांग की। बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने कोरोना महामारी के दौरान अनाथ हो गए बच्चों का मुद्दा उठाया और कहा कि ऐसे बच्चों के संबंध में राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग और केंद्रीय महिला व बाल विकास मंत्रालय के आंकड़ों में बहुत अंतर है। पीड़ित बच्चों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके, इसके लिए नियमों को आसान बनाया जाना चाहिए।

अनिवार्य मतदान का कोई प्रस्ताव नहीं

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि देश में अनिवार्य मतदान की व्यवस्था से जुड़ा कानून लाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। रिजिजू ने यह भी कहा कि सरकारी योजनाओं का फायदा लेने के लिए मतदान के प्रमाणपत्र को अनिवार्य बनाने की योजना नहीं है। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें मतदान को अनिवार्य बनाने के सुझाव विभिन्न संगठनों या राज्य सरकारों से मिले हैं तो उन्होंने इसका जवाब ‘नहीं’ में दिया।

रियायतों का दायरा बढ़ाना फिलहाल वांछनीय नहीं

रेल मंत्री अश्चिनी वैष्णव ने शुक्रवार को संसद में कहा कि यात्रियों को रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है, इसलिए सभी श्रेणी के यात्रियों के लिए रियायतों का दायरा बढ़ाना फिलहाल वांछनीय नहीं है। उन्होंने एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी और कोविड दिशानिर्देश (प्रोटोकॉल) के मद्देनजर 20 मार्च 2020 से भारतीय रेल ने केवल दिव्यांगजनों की चार श्रेणियों, मरीजों की 11 श्रेणियों और छात्रों की ही रियायत जारी रखी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 की वजह से पैदा हुई चुनौतियों के कारण वर्ष 2020-21 में कुल यात्री राजस्व कोविड पूर्व अवधि (2019-20)की तुलना में कम है। उन्होंने कहा कि रियायतें देने की लागत रेलवे पर भारी पड़ती है, इसलिए यात्रियों की सभी श्रेणियों के लिए रियायतों का दायरा बढ़ाना फिलहाल वांछनीय नहीं है। उन्होंने कहा कि राजधानी, दुरंतो और वातानुकूलित गाड़ियों सहित विभिन्न गाड़ियों में खान-पान सुविधाएं 19 नवंबर 2021 से चरणबद्ध तरीके से पुनः बहाल कर दी गई हैं। उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी को देखते हुए गाड़ियों के अंदर लिनेन और पर्दे उपलब्ध कराने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

भारतीय मछुआरों से संबंधित चिंता

सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह तमिलनाडु के मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना द्वारा हिरासत में लेने के विषय को पड़ोसी देश के साथ सर्वोच्च स्तर पर उठाती रही है तथा इस विषय पर आज शुक्रवार को दोनों देशों के संयुक्त कार्य समूह की बैठक हो रही है जिसमें इस मुद्दे पर चर्चा होनी है। लोकसभा में सांसद थिरूनावूकरासू और टीएन प्रतापन के पूरक प्रश्नों के उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने कहा था कि श्रीलंकाई नौसेना समुद्री क्षेत्र में तमिलनाडु के मछुआरों को लगातार परेशान कर रही है और पिछले वर्षों में काफी संख्या में मछुआरों को हिरासत में लिया गया और उनकी नौकाएं जब्त कर ली गईं। सदस्यों ने पूछा कि सरकार इस विषय पर क्या कदम उठा रही है? क्या इस विषय को श्रीलंका की सरकार के साथ उच्च स्तर पर उठाया गया है ? इस पर विदेश राज्य मंत्री ने कहा, ''भारत सरकार अपने नागरिकों के हितों का पूरा ध्यान रखती है, चाहे छात्र हों, श्रमिक हों या कोई भी भारतीय हों। पिछले दिनों युद्धग्रस्त यूक्रेन से 22,500 भारतीयों को निकाल कर लाया गया।’’ उन्होंने कहा कि जहां तक भारतीय मछुआरों का सवाल है, हमने इस विषय को श्रीलंका की सरकार के साथ उच्चतम स्तर पर उठाया है। इसके परिणामस्वरूप काफी संख्या में मछुआरों की रिहाई हुई और उन्हें वापस लाया गया। मुरलीधरन ने कहा कि श्रीलंका की हिरासत में बंद 16 मछुआरों को मुक्त कराने के प्रयास चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारे लिये यह विषय गंभीर चिंता और अत्यधिक महत्व का है। मंत्री ने बताया कि इस विषय पर श्रीलंका की सरकार के साथ विदेश मंत्रालय एवं मत्स्य मंत्रालय के बीच ‘टू प्लस टू स्तर’ पर संवाद तंत्र बनाया गया है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच संयुक्त कार्य समूह बनाया गया है। उन्होंने कहा, ''संयुक्त कार्य समूह की आज बैठक है जिसमें इस बारे में चर्चा होगी।’’ उन्होंने कहा कि सरकार मछुआरों को राजनयिक, कानूनी एवं अन्य तरह की सहायता प्रदान करती है। मुरलीधरन ने कहा कि पिछले सप्ताह की घटना है जब सेशल्स ने 61 भारतीय मछुआरों को हिरासत में लिया था जिनमें तमिलनाडु और केरल के मछुआरे शामिल थे। उन्होंने कहा कि सेशल्स में भारतीय मिशन ने सक्रियता से काम किया, यह विषय वहां की अदालत में गया और इसके बाद मछुआरों की रिहाई हुई और उन्हें विशेष विमान से देश वापस लाया गया। मुरलीधरन ने कहा, ‘‘यह हमारी सरकार और प्रधानमंत्री की इन विषयों के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।''

बंगाल हिंसा पर राज्यसभा में हंगामा

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में पिछले दिनों हुई कथित हिंसा के मुद्दे पर शुक्रवार को राज्यसभा में हंगामा हुआ जिसके कारण सदन की कार्यवाही 11 बज कर 54 मिनट पर 12 बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी गई। भारतीय जनता पार्टी की रूपा गांगुली ने शून्य काल के तहत इस मुद्दे को उठाया और भावुक होते हुए पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया और हंगामा शुरु हो गया। इस दौरान भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। हंगामे के बीच उपसभापति हरिवंश ने विशेष उल्लेख के तहत लोक महत्व से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए बीजू जनता दल की ममता मोहंता का नाम पुकारा। हंगामे के बीच ही ममता ने अपना मुद्दा उठाया लेकिन उनकी बात सुनी नहीं जा सकी। उपसभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से शांत रहने की अपील की। अपनी बात का असर होते न देख उन्होंने कार्यवाही 11 बजकर 54 मिनट पर दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। इससे पहले, गांगुली ने बंगाल हिंसा के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि वह पश्चिम बंगाल के बारे में जो कहना चाह रही हैं, उसकी चर्चा करने से सिर ग्लानि से झुक जाता है। उन्होंने कहा कि बीरभूम जिले में दो बच्चों सहित आठ लोगों को जलाकर मार दिया गया। उन्होंने कहा कि राज्य की पुलिस पर किसी को भरोसा नहीं रह गया है। गांगुली ने कहा, ‘‘झालदा में काउंसिलर मरता है...सात दिन के अंदर 26 हत्याएं होती हैं...26 राजनीतिक हत्याएं...आग से जलाकर खत्म कर दिया गया है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला है कि पहले सभी के हाथ पैर तोड़े गये और फिर कमरे में बंद करके जला दिया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘...वहां एक-एक कर लोग भाग रहे हैं। वहां पर लोग जीने की स्थिति में नहीं हैं। पश्चिम बंगाल भारत का अंग है। हमें...रूपा गांगुली को राष्ट्रपति शासन चाहिए। हमें जीने का हक है। पश्चिम बंगाल में जन्म लेना कोई अपराध नहीं है। ये अपराध नहीं हो सकता।’’ और इतना कहते हुए वह रोने लगीं।

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