महाराष्ट्र ने आंतरिक सुरक्षा कानून पर सर्वदलीय बैठक बुलाई
सहयोगी शिवसेना और विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार ने अब अधिनियम का मसौदा चर्चा के लिए सर्वदलीय समिति के सामने पेश करने का फैसला किया है।
मुंबई। अपने प्रस्तावित आंतरिक सुरक्षा कानून पर गठबंधन सहयोगी शिवसेना और विपक्ष की तीखी आलोचना के बाद भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार ने अब अधिनियम का मसौदा चर्चा के लिए सर्वदलीय समिति के सामने पेश करने का फैसला किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव केपी बख्शी ने यहां जारी एक बयान में कहा, ‘‘मुख्यमंत्री के निर्देशों पर प्रस्तावित महाराष्ट्र आंतरिक सुरक्षा अधिनियम का मसौदा चर्चा के लिए एक सर्वलीय समिति के सामने पेश करने का फैसला किया गया है।
बख्शी ने कहा, ‘‘इसके बाद, कैबिनेट में प्रस्तावित मसौदा पर चर्चा की जाएगी और चर्चा के बाद, आम लोगों से सलाह और आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। अंतिम रूप से स्वीकृत मसौदा कैबिनेट की मंजूरी के बाद विधानमंडल में भेजा जाएगा।’’
सरकार के रूख पर प्रतिक्रिया करते हुए विपक्षी राकांपा के विधान पार्षद किरण पावसकर ने कहा, मुख्यमंत्री अच्छी तरह जानते हैं कि हम उन्हें महाराष्ट्र पर तानाशाहीपूर्ण राज थोपने की अपनी योजना पर आगे बढ़ने नहीं देंगे। इसलिए, उन्होंने विपक्ष के साथ विमर्श नहीं किया। अब, भाजपा पर शिवसेना के तमाचे ने उन्हें शर्मिंदा किया है और मुख्यमंत्री जबरिया आगे बढ़ने के लिए विपक्ष को लुभाने की अब कोशिश कर रहे हैं।’’
कांग्रेस के सचिव अल-नासिर जकरिया ने कहा कि भाजपा को अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे अपने पार्टी दिग्गजों के आदर्शों के खिलाफ जाने पर शर्मिंदा होना चाहिए जिन्होंने आपातकाल के लिए कांग्रेस की हमेशा आलोचना की है। जकरिया ने सवाल किया, ‘‘क्या ये नेता जिन्हें अब ‘मार्गदर्शक मंडल’ में धकेल दिया गया है, मोदी जी के नेतृत्व में अब भाजपा के रूख पर सहमति जताएंगे? हम चाहते हैं कि भाजपा दिग्गज सामने आएं और इस अधिनियम का विरोध करें या स्वीकार करें कि अपने एजेंडा के मुताबिक पार्टी के आदर्श ध्वस्त कर दिए गए।’’
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