मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन की नयी परिभाषाएं: अमित शाह

शाह ने कहा कि खादी के उपयोग के नवीनीकरण की मोदी की कोशिश से केवीआईसी को 95000 करोड़ रूपये का टर्नओवर हासिल करने में मदद मिली है। उन्होंने गुजरत के लोगों से खादी के कपड़ों का इस्तेमाल करने की अपील भी की।
शाह ने कहा, ‘‘ महात्मा गांधी ने बस देश की स्वतंत्रता की खातिर लड़ाई नहीं लड़ी, बल्कि उन्होंने आजादी मिलने के बाद स्वदेशी, सत्याग्रह, स्वभाषा, साधन शुद्धि, अपरिग्रह, प्रार्थना, उपवास और सादगी के माध्यम से देश के पुनर्निर्माण के तरीके भी सुझाये थे। ’’ उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने अंग्रेजों से संघर्ष के दौरान नागरिकों की चेतना में इन विचारों को भरा, ताकि आजादी हासिल होने के बाद देश के पुनर्निर्माण के लिए आधार बनाया जाए। गृह मंत्री ने कहा, ‘‘ दुर्भाग्य से कई सालों तक बापू के फोटो पर श्रद्धांजलि दी गयी तथा भाषणों में उनका जिक्र किया गया लेकिन खादी, हस्तकरघा, स्वएवं स्वदेशी के उपयोग को भुला दिया गया। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने बापू के इन विचारों को एक नयी जिंदगी दी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल जैसी केंद्र की नयी योजनाएं स्वदेशी की नयी परिभाषाएं हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ आत्मनिर्भरता के माध्यम से भारत के आर्थिक उत्थान, उसे वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने की अवधारणा एवं 130 करोड़ भारतीयों से स्वदेशी उत्पादों के उपयोग की अपील --ये तीनों विचार बापू के स्वेदशी (आंदोलन) से उपजे हैं।’’गांधी जी स्वदेशी की शक्ति को जानते थे इसलिए उन्होंने हमेशा स्वदेशी अपनाने की अपील की।
— Amit Shah (@AmitShah) January 30, 2022
आज साबरमती रिवरफ्रंट पर मिट्टी के कुल्हड़ों से बनाए गए उनके चित्र का लोकार्पण किया। गांधीजी का ये चित्र हमें सदैव अपनी मिट्टी से जुड़े रहने और देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करता रहेगा। pic.twitter.com/BJZeJG9WqE
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शाह ने कहा कि खादी के उपयोग के नवीनीकरण की मोदी की कोशिश से केवीआईसी को 95000 करोड़ रूपये का टर्नओवर हासिल करने में मदद मिली है। उन्होंने गुजरत के लोगों से खादी के कपड़ों का इस्तेमाल करने की अपील भी की। भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘ खादी न केवल गरीबों को सशक्त बनाने का मार्ग है, बल्कि यह भारत के आत्मसम्मान का भी उदाहरण है।’’ उन्होंने कहा कि खादी के उपयोग के पीछे गांधी द्वारा रखे गये विचार आज भी प्रासंगिक हैं। शाह ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में ‘स्वभाषा’ पर जोर दिया गया है। उन्होंने कहा कि नयी शिक्षा नीति भारतीय भाषाओं को उचित महत्व देगी क्योंकि यदि भारत अपनी भाषाओं से कट गया तो वह अपनी संस्कृति, इतिहास, साहित्य एवं व्याकरण से अलग हो जाएगा।
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