MCD Mayor Election: ‘आप’ प्रत्याशी की याचिका पर तीन फरवरी को सुनवाई करेगा न्यायालय

Shelly Oberoi
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प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के महापौर पद का चुनाव जल्द कराने के संबंध में ओबेरॉय की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लिया।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आम आदमी पार्टी (आप) की महापौर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय की उस याचिका को तीन फरवरी को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर शुक्रवार को सहमति जताई, जिसमें दिल्ली में महापौर पद का चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है। प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के महापौर पद का चुनाव जल्द कराने के संबंध में ओबेरॉय की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी की दलीलों पर संज्ञान लिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता भी शामिल थे। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, “इसे तीन फरवरी को सूचीबद्ध किया जाएगा।”

पिछले मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में महापौर पद का चुनाव ‍इस महीने दूसरी बार नहीं हो सका था, क्योंकि उपराज्यपाल द्वारा नियुक्त पीठासीन अधिकारी ने कुछ पार्षदों के हंगामे के बाद एमसीडी सदन की बैठक को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया था। ‘आप’ के राष्ट्रीय प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने बृहस्पतिवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर गुंडागर्दी करने और एमसीडी की कार्यवाही में बाधा डालने का आरोप लगाया था।उन्होंने कहा था कि एमसीडी सदन के नेता मुकेश गोयल और ‘आप’ की महापौर पद की उम्मीदवार शैली ओबेरॉय ने दिल्ली में महापौर पद का चुनाव समयबद्ध तरीके से सुनिश्चित करने का निर्देश देने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है। भारद्वाज ने कहा था कि पार्टी ने महापौर पद के चुनाव में एल्डरमैन (मनोनीत पार्षद) के मतदान करने पर रोक लगाने की भी मांग की है।

‘आप’ प्रवक्ता ने कहा था, “हमने उच्चतम न्यायालय में दो प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली-महापौर चुनाव समयबद्ध तरीके से कराया जाए और एमसीडी बोर्ड गठित किया जाए। दूसरी-चूंकि, संविधान के अनुच्छेद 243आर और डीएमसी अधिनियम की धारा-3 के तहत एल्डरमैन को वोट देने का अधिकार नहीं है, इसलिए उन्हें मतदान से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।” भारद्वाज ने कहा था, “उन्हें (भाजपा को) इतने लंबे समय तक एमसीडी पर कब्जा बनाए रखने और अवैध रूप से नियंत्रित करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। एकीकरण और परिसीमन के बहाने एमसीडी को केंद्र सरकार के अधीन कर दिया गया। दिल्ली की जनता ने एमसीडी में ‘आप’ को जनादेश दिया है।

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बावजूद इसके, भाजपा गंदी राजनीति पर उतर आई है। वे (भाजपा नेता) हंगामा कर रहे हैं और महापौर चुनाव नहीं होने दे रहे हैं।” नवनिर्वाचित एमसीडी सदन की छह जनवरी को पहली बैठक भी ‘आप’ और भाजपा पार्षदों के हंगामे के कारण स्थगित कर दी गई थी। दिसंबर 2022 में हुए एमसीडी चुनावों में ‘आप’ ने कुल 250 वार्डों में से 134 में जीत दर्ज की थी, जबकि भाजपा को 104 वार्ड में विजय हासिल हुई थी।

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