अगर आप नहीं देख पाये है मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट तो यहां पढ़ें सभी बड़ी बातें

modi-govt-2-0-first-budget-highlights
[email protected] । Jul 5 2019 8:36PM

वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये विनिवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 1.05 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे पहले अंतरिम बजट में 90 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था।

धीमी पड़ती घरेलू अर्थव्यवस्था को फिर से तेजी की राह पर लाने की चुनौती के बीच पेश मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट में राजकोषीय अनुशासन को कायम रखते हुये 2022 तक सभी को बिजली, स्वच्छ ऊर्जा और मकान उपलब्ध कराने का वादा कर बजट में गांव, गरीब, किसान को साधने का प्रयास किया गया है। यहीं नहीं 2024 तक नल से हर घर जल पहुंचाने का वादा भी किया गया है।  मोदी सरकार का यह बजट निवेश बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को गति देने और आवास सहित सामाजिक क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने के बावजूद आम नौकरी पेशा लोगों और मध्यम वर्ग की उम्मीदों में नये रंग भरने से चूक गया। वेतनभोगी तबके के लिये कर स्लैब और कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया लेकिन पांच लाख रुपये तक की करयोग्य आय पर कर छूट को बरकरार रखा गया है। हालांकि, अंतरिम बजट की तरह कर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया। देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में वित्त वर्ष 2019-20 का बजट पेश करते हुए गांव, गरीब और किसान, महिलाओं, छोटे उद्मियों एवं कारोबारियों, निवेशकों के लिए अपने पिटारे से कई घोषणाएं की। इनका सीधा मकसद निवेश को आसान बनाना और आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है। सीतारमण ने दो घंटे से अधिक लंबे चले बजट भाषण में दो करोड़ रुपये और इससे अधिक की वार्षिक आय वालों पर अधिभार की दर बढ़ा दी है। दो से पांच करोड़ रुपये की वार्षिक आय पर अब 25 प्रतिशत अधिभार देना होगा जबकि पांच करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर 37 प्रतिशत की दर से अधिभार का प्रस्ताव किया गया है। 

इससे पहले 50 लाख से अधिक लेकिन एक करोड़ से कम आय वाले व्यक्तिगत कर दाताओं पर 10 प्रतिशत और एक करोड़ से अधिक लेकिन दो करोड़ से कम आय वालों पर 15 प्रतिशत की दर से अधिभार लागू है।  गैस, जल, सूचना, हवाईअड्डों और राष्ट्रीय राजमार्गो जैसे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हुये ‘‘न्यू इंडिया’’के सपने को साकार करने की दिशा में अगले पांच साल के दौरान दस लाख करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की गई है। सस्ते मकानों के कर्ज पर अतिरिक्त डेढ लाख रुपये ब्याज के लिए कर कटौती देने का प्रस्ताव है। इससे आवास ऋण पर कुल मिलाकर 3.5 लाख रुपये के ब्याज पर कर छूट का लाभ मिलेगा। कर संसाधन जुटाने के लिये पेट्रोल एवं डीजल पर लगने वाले सड़क एवं अवसंरचना उपकर और विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में एक-एक रूपये प्रति लीटर की वृद्धि की गयी है जिसका प्रभाव पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इससे सरकार को 28,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा।  सीतारमण ने 27 लाख 86 हजार 349 करोड़ रुपये के कुल व्यय का बजट पेश किया है जिसमें राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। पिछले वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान में राजकोषीय घाटा छह लाख 34 हजार 398 करोड़ रुपये पर जीडीपी का 3.4 प्रतिशत रहा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि इस बजट में आर्थिक सुधार, नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के साथ गांव एवं गरीब का कल्याण भी है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जहां इसे नये भारत को साकार करने वाला बजट बताया, वहीं मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को सरकार का यह सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक दस्तावेज महज ‘‘नयी बोतल में पुरानी शराब’’ नजर आया। 

इसे भी पढ़ें: बजट के साथ ही आम लोगों पर महंगाई की मार, पेट्रोल-डीजल हुआ महंगा

सीतारमण ने अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिये नकदी संकट से जूझ रही गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिये उपायों की घोषणा की है। बजट में कहा गया है कि सरकारी बैंक एनबीएफसी कंपनियों के एक लाख करोड़ रुपये के ऋण खरीद सकते हैं और बैंकों को इसके लिए एकबारगी अल्प अवधि की ‘क्रेडिट गारंटी’ दी जाएगी।सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में पूंजी उपलब्धता बढ़ाने के वास्ते चालू वित्त वर्ष के दौरान उनमें 70,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जायेगी। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंकों का निजीकरण कर संसाधन जुटाने का भी प्रस्ताव किया गया है।  कर बोझ कम करने की उद्योग जगत की मांग पर गौर करते हुये 400 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाली कंपनियों के लिये कंपनी कर की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दी। उन्होंने कहा कि इस कदम से 99.3 प्रतिशत कंपनियां कम कर के दायरे में आ जायेंगी। अब तक 250 करोड़ कारोबार करने वाली कंपनियां पर ही 25 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा रहा था।  कर स्लैब में उन्होंने कोई छेड़छाड़ नहीं की और उस संबंध में अपने भाषण में कुछ नहीं कहा। उन्होंने 45 लाख रुपये तक का मकान खरीदने के लिये 31 मार्च, 2020 तक लिये गये आवास रिण पर ब्याज में डेढ लाख रुपये की अतिरिक्त कर छूट देने की भी घोषणा की। इसी प्रकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देते हुये उनकी खरीद के कर्ज पर ब्याज में डेढ लाख रुपये तक की कर कटौती का प्रस्ताव किया है। वित्त मंत्री सीतारमण ने सोने और कीमती धातुओं पर आयात शुल्क को 10 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है। इस कदम से भी उन्हें राजस्व संसाधन बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके अलावा टाइलों, आटो कलपुर्जों, कुछ सिंथेटिक रबड़, डिजिटल और वीडियो रिकार्डर, सीसीटीवी कैमरा, विनायल फ्लोरिंग और काजू गिरी आदि पर सीमा शुल्क की मूल दरें बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।  कुछ सिगरेटों पर उत्पाद शुल्क में भी वृद्धि की गई है। 65 मिलीमीटर से अधिक लंबी सिगरेट पर पांच रुपये प्रति एक हजार इकाई उत्पाद शुल्क लगाया गया है। 

इसे भी पढ़ें: जानें मोदी सरकार 2.0 के पहले बजट में किसको क्या मिला?

इसी प्रकार चबाने वाले तंबाकू, जर्दा और अन्य तंबाकू पर 0.5 प्रतिशत की दर से शुल्क लगाया गया है।  वित्त मंत्री ने बैंक खाते से एक साल में एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर दो प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती यानी टीडीएस लगाने का प्रस्ताव किया है। उन्होंने कर रिटर्न दाखिल करने के लिये पैन नहीं होने पर आधार कार्ड के इस्तेमाल का भी प्रस्ताव किया है।  वित्त मंत्री ने कहा कि देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह बढ़ाने के लिये सरकार विमानन, मीडिया, एनिमेशन और बीमा क्षेत्र में एफडीआई नियमों को अधिक उदार बनाने को लेकर विचार विमर्श करेगी। बजट में इसके साथ ही बीमा मध्यस्थों के क्षेत्र में 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है। एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में स्थानीय स्तर पर माल खरीदने के नियमों में और राहत दी जायेगी। वित्त मंत्री ने कर अनुपालन बेहतर करने और करदाताओं को रिटर्न दाखिल करने में सरलता के लिये भी उपायों की घोषणा की है। अर्थव्यवस्था में नकदी रहित लेनदेन बढ़ाने के लिये 50 करोड़ रुपये सालाना कारोबार करने वाले व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भीम, यूपीआई, आधार पे, नेफ्ट, आरटीजीएस से ही भुगतान करने को कहा गया है। ऐसा लेनदेन करते हुये उन्हें कोई शुल्क नहीं देना होगा। ग्राहकों और व्यापारियों से बैंक किसी तरह का मर्चेंट डिस्काउंट रेट भी नहीं वसूलेंगे। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक और बैंक इस पर आने वाली पूरी लागत को खुद वहन करेंगे। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के मामले में वित्त मंत्री ने कहा कि इसे सौदे के निपटान और विकल्प के तहत होने वाले सौदे के मूल्य के अंतर पर तक ही सीमित रखा जायेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र पर अगले पांच साल के दौरान सरकार 100 लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये विनिवेश लक्ष्य को बढ़ाकर 1.05 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया है। इससे पहले अंतरिम बजट में 90 हजार करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया था। एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा के तहत सीतारमण ने कहा कि आवास वित्त कंपनियों का नियमन राष्ट्रीय आवास बैंक से हटाकर रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र में कर दिया जायेगा। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को और अधिक पूंजी उपलब्ध कराने के लिये 70 हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा की है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़