Dr Murli Manohar Joshi Birthday: मुरली मनोहर जोशी ने राम मंदिर आंदोलन में दिया था अहम योगदान, कहे जाते हैं बीजेपी की 'तीसरी धरोहर'

जब भी राम मंदिर की बात होती है। तो डॉ. मुरली मनोहर जोशी के नाम का जिक्र भी जरूर किया जाता है। आज यानी की 5 जनवरी को डॉ. मुरली मनोहर जोशी अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं।
अयोध्या के भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य लगभग अपनी समाप्ति की ओर है। वहीं 22 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राम मंदिर का उद्घाटन करेंगे। वैसे तो राम मंदिर का सपना तो सैकड़ों सालों से करोड़ों राम भक्त देख रहे थे। वहीं राम मंदिर के सपने को साकार करने के लिए कई राम भक्तों ने अपने प्राणों की आहूति तक दे दी। लेकिन जब भी राम मंदिर की बात होती है। तो डॉ. मुरली मनोहर जोशी के नाम का जिक्र भी जरूर किया जाता है। आज यानी की 5 जनवरी को डॉ. मुरली मनोहर जोशी अपना 90वां जन्मदिन मना रहे हैं। तो आइए जानते हैं उनके बर्थडे के मौके पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और शिक्षा
उत्तराखंड के नैनीताल में 5 जनवरी 1934 को डॉ. मुरली मनोहर जोशी का जन्म हुआ था। वह मूलरूप से उत्तराखंड के कुमायूं क्षेत्र के रहने वाले हैं। जोशी के पिता का नाम मन मोहन जोशी और माता का नाम चंद्रावती जोशी था। अपनी शुरूआती शिक्षा पूरी करने के बाद मुरली मनोहर जोशी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एमएससी की पढ़ाई की और फिर डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। वह स्पेक्ट्रोस्कोपी पर शोध करते थे।
आपको बता दें कि हिन्दी भाषा में शोध पत्र प्रस्तुत करने वह पहले शोधार्थी थे। इसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्होंने भौतिकी पढ़ाना शुरू किया। इसी दौरान वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे। कम उम्र में ही वह गौ रक्षा आंदोलन और 1955 में यूपी के कुंभ किसान आंदोलन से जुड़ गए।
राजनीति में प्रवेश
साल 1980 में डॉ मुरली मनोहर जोशी ने भारतीय जनता पार्टी के गठन में अहम भूमिका निभाई और पार्टी के अध्यक्ष बन गए। वहीं जब साल 1996 में वाजपेई जी की सरकार बनीं, तो उन्होंने गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई। वहीं साल 2014 में डॉ मुरली मनोहर जोशी उत्तर प्रदेश के कानपुर से लोकसभा सांसद चुने गए। उन्होंने इलाहाबाद लोकसभा सीट से लगातार तीन बार जीत हासिल की। इसके अलावा वह मध्यप्रदेश से भी 7 बार लोकसभा के सदस्य रह चुके है।
ऐसी रही राजनीतिक यात्रा
साल 1953-54 तक डॉ मुरली मनोहर जोशी ने गौ संरक्षण आंदोलन में भाग लिया।
साल 1955 में उत्तर प्रदेश के कुंभ किसान आंदोलन में उन्होंने एक्टिव मेंबर के तौर पर हिस्सा लिया।
जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते साल 1977 में अल्मोड़ा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद बनें।
साल 1980 में भाजपा पार्टी के गठन में अहम भूमिका रही और पार्टी के महासचिव पद पर रहे।
साल 1991 से 1993 तक डॉ मुरली मनोहर जोशी बीजेपी के अध्यक्ष थे।
इलाहाबाद निर्वाचन क्षेत्र से साल 1996 में संसद के सदस्य बनें।
साल 1998 से 2004 तक उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्री पद की जिम्मेदारी निभाई।
साल 2009 के आम चुनाव में वह वाराणसी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रहे।
वहीं 2014 में पीएम मोदी के लिए उन्होंने अपनी सीट छोड़ दी और कानपुर से चुनाव लड़ा।
राम मंदिर का सपना
आपको बता दें कि अयोध्या आंदोलन को परिणति तक पहुंचाने में आडवाणी के बाद दूसरे नंबर पर मुरली मनोहर जोशी शामिल रहे। आडवाणी की तरह उन्होंने ने भी राम मंदिर आंदोलन में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने अयोध्या के आंदोलन में अहम भूमिका निभाई। राम जन्मस्थान पर मंदिर निर्माण के आंदोलन के कारण उनको 8 जनवरी 1992 को गिरफ्तार कर लिया गया था। जब अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिक का ढांचा गिराया था। तो उस दौरान भाजपा के अध्यक्ष डॉ मुरली मनोहर जोशी थे। बताया जाता है कि डॉ मुरली मनोहर जोशी ने ही बीजेपी के लिए राम मंदिर आंदोलन के निहितार्थों को बखूबी समझते हुए पूरी प्लानिंग के साथ इसको जमीन पर उतारा था।
भाजपा की तीसरी धरोहर
बीजेपी की स्थापना के बाद से वाजपेयी जी के पीएम बनने के साथ आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी का नाम हमेशा जुड़ता रहा। जोशी को बीजेपी की तीसरी धरोहर भी कहा जाता है। 'भाजपा की तीन धरोहर- अटल-आडवाणी-मुरली मनोहर। उस दौरान इन तीनों नेताओं के लिए यह नारा खूब लगता था।
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