खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच NCP, शिवसेना, कांग्रेस विधायकों को होटलों में किया गया शिफ्ट

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सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधायक पहले जयपुर के लिए रवाना होने वाले थे, लेकिन बाद में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए उन्हें मुंबई में ही रखने का फैसला किया गया।

मुंबई। महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक नाटक और विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच राकांपा, कांग्रेस और शिवसेना ने अपने-अपने विधायकों को मुंबई के विभिन्न लग्जरी होटलों में भेजा है। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने अपने विधायकों को जुहू इलाके के जे डब्ल्यू मैरियट होटल में रखा है, वहीं राकांपा के विधायक पवई के द रेनेसां होटल में ठहरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, शिवसेना के विधायक यहां अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित द ललित होटल में ठहरे हैं।

सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस विधायक पहले जयपुर के लिए रवाना होने वाले थे, लेकिन बाद में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए उन्हें मुंबई में ही रखने का फैसला किया गया। उच्चतम न्यायालय ने रविवार को देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के फैसले के खिलाफ शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन द्वारा दायर याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किए। महाराष्ट्र में हुए आश्चर्यजनक उलटफेर में शनिवार को फडणवीस की मुख्यमंत्री के रूप में वापसी हुई जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ जब कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस और राकांपा ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने पर सहमति बनने की घोषणा की थी। 

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बाद में शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की ‘‘मनमानी और दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई/फैसले’’ के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर की। कोश्यारी द्वारा आनन-फानन में राजभवन में शनिवार सुबह शपथ ग्रहण समारोह में नाटकीय तरीके से फडणवीस और पवार को शपथ दिलाए जाने के बाद राकांपा में दरार दिखाई देने लगी। पार्टी अध्यक्ष शरद पवार ने भतीजे अजित पवार के कदम से दूरी बनाते हुए कहा कि फडणवीस का समर्थन करना उनका निजी फैसला है न कि पार्टी का। बाद में राकांपा ने अजित पवार को पार्टी विधायक दल के नेता पद से हटाते हुए कहा कि उनका कदम पार्टी की नीतियों के अनुरूप नहीं है। उल्लेखनीय है कि भाजपा और शिवसेना ने विधानसभा चुनाव में क्रमशः 105 और 56 सीटें जीती हैं, जबकि राकांपा और कांग्रेस को क्रमशः 54 और 44 सीटों पर जीत मिली है।

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