Purvottar Lok: 3 राज्यों में नई सरकार, क्या पड़ेगा राष्ट्रीय राजनीति पर प्रभाव ? नगालैंड में सभी दलों के सरकार में शामिल होने से नहीं बचा विपक्ष, अरुणाचल में आया बजट

Neiphiu Rio
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सबसे पहले बात करते हैं पूर्वोत्तर के उन तीन राज्यों की जहां मुख्यमंत्री के रूप में माणिक साहा, नेफ्यू रियो और कोनराड के. संगमा की सत्ता में वापसी हुई है। इसके लिए आपको सबसे पहले लिये चलते हैं मेघालय।

नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम पूर्वोत्तर लोक में आप सभी का स्वागत है। इस सप्ताह पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय को नई सरकार मिल गयी साथ ही नगालैंड में जिस तरह से सर्वदलीय सरकार का गठन हुआ है उसका प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है। असम में प्रधानमंत्री ने दो घंटे तक राज्य कैबिनेट के सदस्यों को सेवा मंत्र दिया तो अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अपना बजट पेश किया। इन सब खबरों पर विस्तार से नजर डालेंगे लेकिन सबसे पहले बात करते हैं पूर्वोत्तर के उन तीन राज्यों की जहां मुख्यमंत्री के रूप में माणिक साहा, नेफ्यू रियो और कोनराड के. संगमा की सत्ता में वापसी हुई है। इसके लिए आपको सबसे पहले लिये चलते हैं मेघालय।

मेघालय

नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के अध्यक्ष कोनराड के संगमा ने मंगलवार को लगातार दूसरी बार मेघालय के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की। संगमा के साथ 11 विधायकों ने मंत्रिपरिषद् के सदस्यों के तौर पर शपथ ली। संगमा ने कहा कि उनका ध्यान ऐसे क्षेत्रों पर रहेगा, जो बड़े स्तर पर रोजगार प्रदान कर सकें। एनपीपी के प्रेस्टोन तिनसोंग और स्नियाभलंग धार ने उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, जो सत्ता में आए गठबंधन में क्षेत्रीय दल की ताकत को रेखांकित करता है। तिनसोंग पिछली सरकार में भी उपमुख्यमंत्री थे। मंत्री पद की शपथ लेने वालों में भाजपा के अलेक्जेंडर लालू हेक, यूडीपी के पॉल लिंगदोह तथा किरमेन श्याला और एचएसपीडीपी के शकलियर वर्जरी भी शामिल हैं। मेघालय के राज्यपाल फागू चौहान ने एनपीपी के आठ विधायकों, यूनाइडेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) के दो विधायकों और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) के एक-एक विधायक को राजभवन में मंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। नियम के अनुसार, मेघालय की 60 सदस्यीय विधानसभा में मुख्यमंत्री समेत 12 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। मोदी ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘‘कोनराड संगमा और उनकी मंत्रिपरिषद् के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुआ। शपथ लेने वालों को बधाइयां। मेघालय को प्रगति की नयी ऊंचाइयों की ओर ले जाने के लिए उन्हें शुभकामनाएं।’’ गौर करने वाली बात है कि भाजपा ने संगमा सरकार को चुनाव से पहले ‘सबसे भ्रष्ट’ करार दिया था, लेकिन चुनाव के बाद वह एनपीपी के साथ सबसे पहले गठबंधन बनाने वाले दलों में भी शामिल थी। हम आपको बता दें कि एनपीपी हाल में हुए मेघालय विधानसभा चुनाव में 26 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी है। यूडीपी ने चुनाव में 11 सीट हासिल कीं, वहीं भाजपा, एचएसपीडीपी, पीडीएफ को दो-दो सीट मिलीं। इनके अलावा दो निर्दलीय सदस्यों ने संगमा को समर्थन दिया है।

जहां तक संगमा की बात है तो आपको बता दें कि मेघालय के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथग्रहण करने वाले कोनराड के. संगमा ने अपने पिता पूर्णो अगितोक संगमा की छाया से उभरकर स्वयं को एक कुशल नेता के रूप में स्थापित कर लिया है। विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ समय पहले, कोनराड को दो बातों का एहसास हो गया था- पहला तो यह कि पिछले चुनाव में उनसे अधिक सीटें लाने वाली कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के अप्रत्याशित रूप से दलबदल करके तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो जाने के चलते और कमजोर पड़ गई है। दूसरा, मुकुल संगमा के व्यक्तिगत करिश्मे के बावजूद पर्वतीय राज्य मेघालय के लोग तृणमूल कांग्रेस जैसी नयी पार्टियों के साथ ही राज्य के बाहर से आने वाले और चुनाव प्रचार करने वाले उन नेताओं को लेकर संशय में रहे, जिन्हें वे अच्छी तरह से नहीं जानते। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन से किनारा कर लिया और उनकी पार्टी अकेले ही चुनावी रण में उतरी। मेघालय में भाजपा को भी लोगों द्वारा मोटे तौर पर बाहरी लोगों की पार्टी के रूप में देखा जाता है, भले ही संगमा की पार्टी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का हिस्सा रही। कोनराड संगमा की गणना सही साबित हुई। अपनी पार्टी की स्थानीय जड़ों पर जोर देने वाले प्रचार अभियान पर ध्यान केंद्रित करके, वह पिछले चुनाव में 19 सीटों के मुकाबले इस बार 26 सीटें जीतने में कामयाब रहे। साथ ही उनकी पार्टी की वोट हिस्सेदारी करीब 21 प्रतिशत से बढ़कर 31 प्रतिशत से अधिक हो गई। हालांकि, जब उन्हें लगा कि स्थिरतापूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 31 का जादुई आंकड़ा उनके पास नहीं है, तो उन्होंने अन्य दलों, विशेष रूप से भाजपा की ओर हाथ बढ़ाया। संगमा को भाजपा से केवल दो विधायकों के समर्थन नहीं बल्कि केंद्र सरकार से सहायता की भी उम्मीद है। संगमा एक ऐसा गठबंधन बनाने में सफल रहे जिसमें यूडीपी और एचएसपीडीपी के साथ ही निर्दलीय भी शामिल हैं। उन्होंने इस तरह से विधानसभा में तीन चौथाई समर्थन जुटा लिया। इसमें उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी मुकुल संगमा को छोड़कर हर कोई शामिल है। 

इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने अपने दूसरे कार्यकाल में कैबिनेट की पहली बैठक आयोजित की जिसमें दो विधेयकों को मंजूरी प्रदान की गई। प्रदेश में संगमा के नेतृत्व में मेघालय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनने के बाद पहली बार मंत्रिमंडल की बैठक हुई। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में गेमिंग के नियमन से संबंधित 2021 के अधिनियम को निरस्त करने से जुड़े विधेयक तथा आकस्मिक निधि विधेयक, 2023 को स्वीकृति दी गई। बैठक के बाद संगमा ने कहा, ‘‘हम दो अध्यादेशों को विधेयक के रूप में लाए हैं और आगामी बजट सत्र के दौरान इन्हें पारित किया जाएगा।’’ उन्होंने बताया कि मेघालय विधानसभा का बजट सत्र 20 मार्च को आरंभ होगा। मुख्यमंत्री के मुताबिक, मंत्रिमंडल ने उनके एवं उप मुख्यमंत्री के अलावा तीन मंत्रियों को कैबिनेट के प्रवक्ता नियुक्त किए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे और उप मुख्यमंत्री प्रेस्टोन टिनसांग के अलावा मंत्री अम्पारीन लिंगदोह, मार्कस और पॉल लिंगदोह को मंत्रिमंडल का आधिकारिक प्रवक्ता बनाया गया है।’’ संगमा ने बताया कि मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा आज शाम तक कर दिया जाएग।

इसके अलावा मेघालय में सत्तारुढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली गठबंधन एमडीए के वरिष्ठ नेता थॉमस ए. संगमा 11वीं विधानसभा के अध्यक्ष निर्विरोध चुने गए। राज्यसभा के पूर्व सदस्य थॉमस ए. संगमा को विधानसभा का नया अध्यक्ष निर्विरोध चुना गया। विपक्षी दलों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वॉयस ऑफ द पीपल्स पार्टी ने उनके खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था।

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इसके अलावा, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा ने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है। उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को एनपीपी के पास बरकरार रखा वहीं गठबंधन सहयोगियों को राजनीतिक रूप से कम महत्वपूर्ण माने जाने वाले विभाग दिए। मुख्य सचिव डीपी वाहलांग द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार संगमा ने वित्त, वन, राजनीतिक, कार्मिक, आईटी और खनन एवं भूविज्ञान विभाग अपने पास रखे। दो उप मुख्यमंत्रियों में से एक प्रेस्टोन तिनसोंग को गृह, पीडब्ल्यूडी, जिला परिषद मामलों और संसदीय मामलों के विभाग आवंटित किए गए। एक अन्य उपमुख्यमंत्री एस धर को शहरी मामलों, परिवहन, उद्योग और जेल तथा सुधार सेवाओं का प्रभार दिया गया है। राज्य मंत्रिमंडल में एकमात्र महिला एम अम्परीन लिंगदोह को स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, कानून, सूचना एवं जनसंपर्क और कृषि विभाग दिए गए हैं। भाजपा मंत्री एएल हेक को पशु चिकित्सा, मत्स्य पालन, मुद्रण और स्टेशनरी और सचिवालय प्रशासन विभाग दिए गए हैं। यूडीपी के पॉल लिंगदोह को समाज कल्याण, पर्यटन, कला और संस्कृति विभागों का प्रभार दिया गया है, जबकि उनकी पार्टी के सहयोगी किर्मेन शायला को आबकारी, राजस्व और कानूनी मेट्रोलॉजी विभाग आवंटित किए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि एचएसपीडीपी के शाक्लियार वारजरी को खेल और युवा मामले, श्रम, पंजीकरण और स्टाम्प विभाग सौंपे गए हैं। संगमा की अध्यक्षता में नयी सरकार की पहली मंत्रिमंडल बैठक के बाद विभागों की घोषणा की गई। इस बीच, यूडीपी अध्यक्ष मेटबाह लिंगदोह को राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। विभागों के बंटवारे के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा, “जब यूडीपी का समर्थन आया तो थोड़ी देर हो चुकी थी और मंत्रिमंडल में जगह का आवंटन लगभग पूरा हो चुका था।” उन्होंने कहा कि दो विधायकों वाले पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट को कोई मंत्री पद नहीं मिला।

नगालैंड

दूसरी ओर, नगालैंड से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो ने नगालैंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांचवें कार्यकाल के लिए मंगलवार को शपथ ली। राज्यपाल ला गणेशन ने 72 वर्षीय रियो को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। एनडीपीपी के टीआर जेलियांग और भाजपा के वाई पैटन को राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। रियो के मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यों ने भी शपथ ली। मंत्रिपरिषद् के सदस्य के रूप में शपथ लेने वालों में अपने मजाकिया अंदाज के लिए सोशल मीडिया पर लोकप्रिय एवं भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख तेमजेन इम्ना अलॉन्ग और पहली बार नगालैंड विधानसभा के लिए चुनी गई दो महिलाओं में शुमार सलहौतुओनुओ क्रूस भी शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष जेपी नड्डा और असम के मुख्यमंत्री एवं पूर्वोत्तर लोकतांत्रिक गठबंधन (एनईडीए) के संयोजक हिमंत विश्व शर्मा भी इस मौके पर मौजूद थे। रियो के मंत्रिमंडल में एनडीपीपी से सात और भाजपा से पांच मंत्री हैं। मंत्रिपरिषद में शामिल किये गये नये चेहरों में सिर्फ क्रूस और पी बाशंगमोनबा ही हैं। रियो अपने राज्य में सर्वदलीय सरकार का नेतृत्व करेंगे, जहां कोई विपक्षी दल नहीं होगा। एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में राज्य विधानसभा की 60 सीट में से 37 सीट पर जीत हासिल की। वहीं, पांचवां कार्यकाल मिलने के साथ रियो नगालैंड में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले नेता हो गये हैं। उन्होंने एससी जमीर का रिकार्ड तोड़ दिया, जो 1980, 1982-86, 1989-90 और 1993-2003 तक मुख्यमंत्री रहे थे। उधर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नगालैंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफ्यू रियो और उनकी मंत्रिपरिषद् के सदस्यों को बधाई दी और उम्मीद जताई कि वे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए सुशासन के पथ पर आगे बढ़ेंगे। हम आपको बता दें कि एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने हाल में संपन्न नगालैंड चुनाव में राज्य विधानसभा की 60 सीट में से 37 सीट जीतीं।

इसके अलावा, नगालैंड के नए उपमुख्यमंत्री यानथुंगो पैटन ने कहा है कि शांति वार्ता को सफल बनाने के लिए केंद्र और नगा वार्ताकारों को एक समझ कायम करनी होगी। पैटन ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दावा किया कि केंद्र शांति वार्ता को लेकर बहुत गंभीर है और नेफ्यू रियो के नेतृत्व में राज्य सरकार भी एक सूत्रधार के रूप में प्रमुख भूमिका निभा रही है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार जल्द से जल्द स्थायी समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी।”

इसके अलावा, जनता दल (यू) के केंद्रीय नेृतृत्व ने अपने दल की नगालैंड इकाई द्वारा राज्य में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन सरकार को समर्थन देने को "उच्च अनुशासनहीनता" और "मनमाना" बताया और राज्य इकाई को भंग कर दिया। उल्लेखनीय है कि जद (यू) ने नगालैंड की 60 सदस्यीय विधानसभा के हाल में हुए चुनाव में एक सीट हासिल की थी।

इसके अलावा, नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने अपने दो उप मुख्यमंत्रियों और नौ मंत्रियों में विभागों का बंटवारा कर दिया है। रियो ने 24 विधायकों को विभिन्न विभागों का सलाहकार नियुक्त किया है। रियो ने वित्त, कार्मिक और प्रशासनिक सुधार जैसे विभाग अपने पास रखे और अन्य विभाग किसी मंत्री को आवंटित नहीं किए। नियम के अनुसार, 60 सदस्यीय विधानसभा वाले नगालैंड में मुख्यमंत्री सहित 12 से अधिक मंत्री नहीं हो सकते हैं।

इसके अलावा, नगालैंड राज्य चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि वह लगभग दो दशकों के बाद 16 मई को महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के साथ 39 शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के चुनाव कराएगा। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो की अध्यक्षता में नवगठित नगालैंड मंत्रिमंडल ने मंगलवार को अपनी पहली बैठक में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार 33 प्रतिशत महिला आरक्षण के साथ इस साल मई तक यूएलबी चुनाव कराने पर विचार-विमर्श किया था। इसके बाद, राज्य चुनाव आयुक्त (एसईसी) टी. म्हाबेमो यानथन ने घोषणा की कि महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट आरक्षित करने के साथ राज्य में तीन नगर परिषदों और 36 नगर परिषदों के गठन के लिए चुनाव 16 मई को होंगे। चुनाव कार्यक्रम को अधिसूचित करते हुए उन्होंने कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया तीन अप्रैल से शुरू होगी और 10 अप्रैल को समाप्त होगी। नामांकन पत्रों की जांच 12 और 13 अप्रैल को की जाएगी, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 24 अप्रैल है। मतगणना 19 को होगी।

त्रिपुरा

उधर, त्रिपुरा से आई खबरों की बात करें तो भाजपा के वरिष्ठ नेता माणिक साहा ने बुधवार को त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उन्होंने दूसरी बार यह जिम्मेदारी संभाली है। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली जिनमें रतनलाल नाथ, प्राणजीत सिंघा रॉय, सांतना चकमा, टिंकू रॉय और बिकाश देबबर्मा और सुक्ला चरण नोएटिया शामिल हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के अध्यक्ष जे पी नड्डा और मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद रहे। कुल मिलाकर, भाजपा के आठ और उसके सहयोगी दल आईपीएफटी के एक सदस्य को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। इनमें से पांच नए चेहरे हैं, जबकि पहले के मंत्रिमंडल में शामिल रहे चार मंत्रियों को भी नये मंत्रिमंडल में जगह मिली है। नोएटिया ‘इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा’ (आईपीएफटी) से ताल्लुक रखते हैं। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों को शपथ दिलाई। माणिक साहा के नेतृत्व वाले मंत्रिपरिषद में तीन आदिवासी विधायकों को स्थान मिला है। धनपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतने वाली केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है, हालांकि अब भी तीन मंत्री पद खाली हैं। विपक्षी वाम दलों और कांग्रेस ने चुनाव बाद हुई हिंसा का हवाला देते हुए शपथ ग्रहण समारोह का बहिष्कार किया। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री की शपथ लेने पर माणिक साहा को बधाई दी और कहा कि वह और उनकी टीम जनता की अकांक्षाओं को पूरा करेगी।

इसके अलावा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और टिपरा मोथा सुप्रीमो प्रद्योत किशोर देबबर्मा के बीच एक उच्च स्तरीय बैठक के एक दिन बाद कहा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ‘‘टिपरालैंड’’ या ‘‘ग्रेटर टिपरालैंड’’ जैसी मांगों का कभी समर्थन नहीं करेगी। हम आपको बता दें कि ‘‘ग्रेटर टिपरालैंड’’ की मांग करने वाली क्षेत्रीय पार्टी टिपरा मोथा ने 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ा और 60 सदस्यीय त्रिपुरा विधानसभा में 13 सीटें जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मूल निवासियों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को कैसे ऊपर उठाया जाए, इसे लेकर हमने जनजातीय कल्याण पर चर्चा की। बैठक में वार्ताकार नियुक्त करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया, लेकिन जनजातीय कल्याण पर चर्चा हुई।'' उल्लेखनीय है कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक के तुरंत बाद, टिपरा मोथा सुप्रीमो ने दावा किया था कि केंद्र सरकार सुधारात्मक उपाय करने के लिए जनजातीय लोगों की समस्याओं के मद्देनजर आधिकारिक तौर पर एक वार्ताकार नियुक्त करेगी। मुख्यमंत्री ने दोहराया कि जनजातीय कल्याण भाजपा-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) सरकार के लिए प्राथमिकता वाला क्षेत्र होगा।

हम आपको बता दें कि टिपरा मोठा के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने गृहमंत्री के साथ एक बैठक के बाद फेसबुक पोस्ट में कहा, 'मैं धरती पुत्रों की वास्तविक समस्याओं को समझने के लिए गृह मंत्री को धन्यवाद देता हूं। हमने ब्रू समझौते पर हस्ताक्षर करके 23 साल बाद अपने राज्य में अपने ब्रू लोगों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया और आज हमने यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संवाद शुरू किया है कि हमारा अस्तित्व सुरक्षित रहे। गठबंधन और मंत्रिमंडल जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई, सिर्फ हमारे 'डोप' (समाज) के हित की चर्चा हुई।” उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा के पूर्व शासक परिवार के वंशज देबबर्मा लंबे समय से ‘तिप्रसा’ नाम से एक अलग राज्य बनाने की अपनी पार्टी की मांग के “संवैधानिक समाधान” का अनुरोध कर रहे हैं। वहीं, भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह छोटे राज्य त्रिपुरा के विभाजन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, वहीं उसके नेताओं ने त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद को अधिक विधायी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियां देने की इच्छा व्यक्त की है। त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद फिलहाल अस्तित्व में है और राज्य में जनजातीय समुदायों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में मामलों को देखती है।

असम

उधर, असम से आई खबरों की बात करें तो असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा है कि पूर्वोत्तर में चुनाव लड़ने वाले सभी राजनीतिक दलों को यह समझना चाहिए कि उन्हें अंतत: भाजपा का समर्थन करना ही होगा। शर्मा ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के 'सबसे बड़े नेता' हैं और इस क्षेत्र में हर कोई उनका समर्थन करता है। नगालैंड में जनता दल (यू) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) द्वारा एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन को समर्थन देने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने के लिए पूर्वोत्तर आने वाले सभी दलों को पहले यह समझ लेना चाहिए कि उन्हें धारा के साथ ही चलना होगा।

इसके अलावा, पाकिस्तानी एजेंटों को कथित तौर पर सिम कार्ड मुहैया कराने के आरोप में असम के मोरीगांव और नागांव जिलों से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि कई मोबाइल फोन, सिम कार्ड और हैंडसेट समेत कई दूसरी सामाग्रियां जब्त की गई हैं जिनका इस्तेमाल एक विदेशी दूतावास के साथ रक्षा संबंधी सूचनाएं साझा करने के लिए किया जाता था। असम पुलिस के प्रवक्ता प्रशांत भुइंयां ने कहा कि खुफिया ब्यूरो और दूसरे सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर मंगलवार रात चलाए गए अभियान के दौरान ये गिरफ्तारियां की गईं। उन्होंने बताया, ‘‘ऐसी जानकारी मिली थी कि इन दो जिलों में करीब 10 लोगों ने फर्जीवाड़ा कर सिम कार्ड खरीदे और कुछ पाकिस्तान एजेंट को मुहैया कराए। यह देश की अखंडता और संप्रभुता के खिलाफ काम है।’’ गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान आशिकुल इस्लाम, बदरुद्दीन, मिजानुर रहमान, बहारुल इस्लाम और वहीदुज्जमां के रूप में हुई है। इनमें बहारुल इस्लाम मोरीगांव जिले का निवासी है और शेष सभी नगांव के रहने वाले हैं। पुलिस का कहना है कि पूछताछ के दौरान यह खुलासा हुआ कि आशिकुल इस्लाम दो ‘आईएमईआई’ नंबर वाले मोबाइल हैंडसेट का इस्तेमाल कर रहा था। इससे व्हाट्सअप कॉल की गई और एक विदेशी दूतावास के साथ रक्षा संबधी सूचना साझा की गई।

इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सप्ताह असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उनके मंत्रिपरिषद के साथ बैठक की। हालांकि, बैठक में हुई चर्चा को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है। मुख्यमंत्री शर्मा ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे कैबिनेट सहयोगियों के लिए एक दुर्लभ सौभाग्य है कि आज गुवाहाटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर मिला।’’ अधिकारियों के मुताबिक, कोईनाधोरा राज्य गेस्ट हाउस में हुई बैठक करीब दो घंटे तक चली। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में नई सरकारों के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए पूर्वोत्तर के दो दिवसीय दौरे पर थे।

अरुणाचल प्रदेश

उधर, अरुणाचल प्रदेश से आई खबरों की बात करें तो आपको बता दें कि राज्य के मुख्य मंत्री पेमा खांडू ने इस सप्ताह विधानसभा में कहा कि उनकी सरकार असम के साथ दशकों पुराने सीमा विवाद पर किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले राज्य की जनता को विश्वास में लेगी। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य निनोंग एरिंग की पहल पर प्रश्नकाल के दौरान चर्चा पर सदन में जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन क्षेत्रों को लेकर असम के साथ विवाद है उनके अध्ययन के लिए राज्य सरकार की ओर से गठित 12 क्षेत्रीय समितियों ने संबंधित प्राधिकारियों को अपनी-अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं। उन्होंने कहा कि वह इस मामले को असम के मुख्यमंत्री के समक्ष जल्द ही किसी समय उठाएंगे। खांडू ने कहा, ‘‘किसी निर्णय पर पहुंचने से पहले, मैं समितियों के साथ दोबारा बैठूंगा ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों की तस्वीर स्पष्ट हो सके। यदि जनता को कोई शिकायत है, तो इसे असम के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।’’

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के उप मुख्यमंत्री चाउना मीन ने इस सप्ताह वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 758.26 करोड़ रुपये के घाटे का बजट पेश किया। बजट में आजीविका के अवसर सृजित करने पर विशेष जोर दिया गया है। बजट में अगले वित्त वर्ष में 14 प्रतिशत की वृद्धि के साथ कुल प्राप्तियां 29,657.16 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया है। यह चालू वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में 26,111.63 करोड़ रुपये था।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक निनोंग इरिंग ने खतरे की आशंका जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश में चीन निर्मित सीसीटीवी कैमरे पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया है। पासीघाट पश्चिम के विधायक इरिंग ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे एक पत्र में अपने घरों में चीनी सीसीटीवी कैमरे का उपयोग नहीं करने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए एक अभियान शुरू करने का भी सुझाव दिया। विधायक ने कहा कि आवश्यकतानुसार सीसीटीवी डेटा को सुरक्षित रखने के लिए सरकार स्वदेशी क्लाउड-आधारित सर्वर शुरू करने पर विचार कर सकती है। मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए विधायक ने कहा कि देश में उपयोग किए जा रहे चीन निर्मित सीसीटीवी कैमरे बीजिंग द्वारा ‘‘आंख और कान’’ के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 366 के खंड 26 के प्रावधान के तहत दी गई 6वीं अनुसूची के क्षेत्रों में रहने वाली राज्य की स्थानीय जनजातीय आबादी को आयकर अधिनियम, 1961 से छूट दी गई है। विधानसभा में कांग्रेस सदस्य नबाम टुकी द्वारा राज्य के कुछ आदिवासियों को आयकर विभाग से नोटिस मिलने के संबंध में उठाए गए सवाल पर मीन ने कहा कि आदिवासी समुदाय को आयकर विभाग से आयकर अधिनियम, 1961 के अनुच्छेद 197 के तहत कर छूट प्रमाणपत्र (टीईसी) प्राप्त करने की जरूरत है। वित्त, योजना और निवेश मंत्री मीन ने कहा, “अगर कोई आदिवासी अपने राज्य में कमाई करता है, तो वह आयकर के दायरे में नहीं है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति गैर-अनुसूचित क्षेत्र या देश के अन्य राज्यों में कमाई करता है तो वह आयकर के दायरे में आएगा।” टुकी ने जब कहा कि आयकर विभाग ने कई लोगों को उनके बैंक खातों में वर्षों पहले जमा रुपयों के आधार पर कानूनी भेजा है तो उपमुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार को अभी तक ऐसी कोई सूचना नहीं मिली है।

इसके अलावा, अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चौना मीन ने कहा है कि प्रदेश सरकार ने चीन, भूटान और म्यांमार की सीमा से लगे क्षेत्रों में कई बुनियादी ढांचा विकास कार्यक्रम शुरू किए हैं। उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (बीएडीपी) के तहत 65 आदर्श गांवों में बुनियादी ढांचे का विकास किया गया है। मीन भारत से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चीन द्वारा की जा रही निर्माण गतिविधियों के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में कांग्रेस विधायक निनॉन्ग एरिंग के एक सवाल का जवाब दे रहे थे। मीन ने कहा, ‘‘बीएडीपी निधि और राज्य निधि के सामान्य आवंटन से सीमा पर बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करने के लिए सड़क संपर्क, फुट सस्पेंशन ब्रिज, स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसी सुविधाएं भी प्रदान की गई हैं।”

इसके अलावा, भारतीय रेलवे 21 मार्च को पूर्वोत्तर के लिए ‘भारत गौरव ट्रेन’ संचालित करेगा। इस ट्रेन के जरिए लोग क्षेत्र का भ्रमण कर सकेंगे। रेल मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि पंद्रह दिवसीय यात्रा में असम, अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, त्रिपुरा और मेघालय को शामिल किया जाएगा। मंत्रालय ने कहा, “बहु प्रतीक्षित ट्रेन भ्रमण कार्यक्रम "नॉर्थ ईस्ट डिस्कवरी: बियॉन्ड गुवाहाटी" को संचालित करने का निर्णय लिया है। ट्रेन का सफर 21 मार्च 2023 को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से शुरू होगा।” बयान में कहा गया है कि अत्याधुनिक ‘डीलक्स एसी’ पर्यटक ट्रेन में कुल 156 पर्यटक सफर कर सकते हैं। रेलवे के मुताबिक, ट्रेन 15 दिनों में असम के गुवाहाटी, शिवसागर, जोरहाट एवं काजीरंगा, त्रिपुरा में उनाकोटी, अगरतला व उदयपुर, नगालैंड के दीमापुर और कोहिमा तथा मेघालय में शिलांग व चेरापूंजी को कवर करेगा।

मणिपुर

मणिपुर से आई खबर की बात करें तो आपको बता दें कि असम राइफल्स ने मणिपुर के तेंगनौपाल जिले से 55.86 करोड़ रुपये मूल्य का मादक पदार्थ ‘ब्राउन शुगर’ जब्त कर म्यांमा के दो नागरिकों को हिरासत में लिया है। असम राइफल्स के जवानों ने मंगलवार को भारत-म्यांमा सीमा के पास एच मुन्नोम गांव में नियमित जांच के दौरान पड़ोसी देश म्यांमा के तमू शहर के रहने वाले दो कथित तस्करों को देखा। असम राइफल्स ने कहा, “दोनों दोपहिया वाहन पर संदिग्ध तरीके से घूम रहे थे। उनके पास तीन डिब्बे थे और वे मोरेह शहर की ओर जा रहे थे।” डिब्बों की जांच करने पर असम राइफल्स की टीम को 648 साबुनदानी मिलीं, जिनके अंदर 27.94 किलोग्राम ‘ब्राउन शुगर’ रखी थी। आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए आरोपियों और जब्त की गई ब्राउन शुगर मोरेह थाने के सुपुर्द कर दी गई है।

मिजोरम

इसके अलावा, मिजोरम से आई खबरों की बात करें तो राज्य के कोलासिब जिले में मिजोरम सशस्त्र पुलिस के एक जवान ने अपने दो सहकर्मियों को कथित रूप से गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गई। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मिजोरम-असम सीमा के निकट बुआरचेप गांव में एक सीमा चौकी पर सशस्त्र बलों की दूसरी बटालियन के ये तीनों पुलिसकर्मी तैनात थे, तभी यह घटना हुई। मिजोरम पुलिस महानिरीक्षक (कानून एवं व्यवस्था) ललबैकथंगा खियांगते ने कहा, ‘‘आरोपी हवलदार बिमल कांति चकमा (56) ने उसके व्यवहार को लेकर शिकायत करने पर गुस्से में आकर दोनों पुलिसकर्मियों पर अपनी सर्विस राइफल से कम से कम 15 गोलियां चलाईं।’’ उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान हवलदार जे ललरोहलुआ और हवलदार इंद्रा कुमार राय के रूप में की गई है।

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