कृष्ण Janmabhoomi मामला स्थानांतरित करने की याचिका पर नोटिस जारी

Krishna Janmabhoomi case
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इस मामले में हिंदू भक्तों ने उस जमीन पर अधिकार का दावा किया है जहां ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि मूल वाद की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए। सभी संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख दो मार्च, 2023 तय की।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा की अदालत में लंबित श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर संबद्ध पक्षों को बृहस्पतिवार को नोटिस जारी किया। इस मामले में हिंदू भक्तों ने उस जमीन पर अधिकार का दावा किया है जहां ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने अनुरोध किया है कि मूल वाद की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए। सभी संबद्ध पक्षों को नोटिस जारी करते हुए अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख दो मार्च, 2023 तय की।

यह नोटिस शाही मस्जिद ईदगाह की प्रबंधन समिति, श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट, कटरा केशव देव, दीग गेट और श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान मथुरा को जारी की गई है। न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव ने कटरा केशव देव खेवट मथुरा के भगवान श्री कृष्ण विराजमान के मित्र रंजना अग्निहोत्री और सात अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया।

याचिकाकर्ताओं ने ईदगाह मस्जिद पर हिंदू समुदाय के अधिकार का दावा करते हुए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के समक्ष वाद दायर किया था जिसमें कहा गया कि इस मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया और इस तरह का निर्माण एक मस्जिद नहीं हो सकता क्योंकि कभी किसी वक्फ का गठन नहीं किया गया और वह भूमि कभी मस्जिद निर्माण के लिए समर्पित नहीं थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दलील दी कि इस मामले में शामिल मुद्दे भगवान कृष्ण के करोड़ों भक्तों से जुड़े हैं और यह राष्ट्रीय महत्व का मामला है। जैन ने कहा, “इस मामले में इतिहास, शास्त्रों, हिंदू और मुस्लिम कानूनों की व्याख्या और भारत के संविधान की व्याख्या से जुड़े कई प्रश्न शामिल हैं। इसलिए, निचली अदालत में लंबित सभी मुकदमों की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए।” यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील ने इस स्थानांतरण आवेदन का विरोध किया और दलील दी कि मौजूदा आवेदन पोषणीय नहीं है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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